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आखर बिहार उत्सव : राज्यपाल ने किया मातृभाषा को लेकर हीनता नहीं गर्व की अनुभूति रखने का आह्वान

आखर बिहार उत्सव : राज्यपाल ने किया मातृभाषा को लेकर हीनता नहीं गर्व की अनुभूति रखने का आह्वान

PATNA : मातृभाषा को लेकर हमारे अंदर कोई हीनता का भाव नहीं होना चाहिए बल्कि इसे लेकर गर्व होना चाहिए। आखर बिहार उत्सव की शुरुआत करते हुए बिहार के राज्यपाल राजेंद्र विश्वनाथ आर्लेकर ने रविवार को होटल चाणक्य में यह बातें कहीं। उन्होंने कहा कि आज के दौर में लोगों को अगर अंग्रेजी नहीं आती है तो वे हीनता से ग्रसित हो जाते हैं जबकि हीनता और लज्जा तो तब होनी चाहिए जब आप अपनी मातृभाषा नहीं जानते हैं। 

 प्रभा खेतान फाउंडेशन के तत्वावधान में आयोजित कार्यक्रम को भाषा संरक्षण, विस्तार एवं विकास की दिशा राज्यपाल ने महत्वपूर्ण बताया। उन्होंने कहा कि भाषाई विविधता को लेकर बिहार बेहद संपन्न है। यहां 5 प्रमुख मातृभाषा है। ऐसे में अभिभावकों को चाहिए कि वे अपनी मातृभाषा में बच्चों से नित संवाद करें। तभी मातृभाषा की पीढ़ीगत समृद्धि होगी। 

राष्ट्रीय पुरस्कारों से सम्मानित लेखक एवं पत्रकार अनंत विजय ने कहा कि यह दौर भारतीय भाषाओं का स्वर्णकाल है। ऐसे में आज हिंदी विलाप की नहीं बल्कि विकास की भाषा बन चुकी है। उन्होंने कहा कि बिहार में बोली जाने वाली सभी भाषाओं का समुच्चय हिंदी है। वरिष्ठ साहित्यकार, पद्मश्री उषाकिरण खान ने कहा कि  मातृभाषा में लिखित साहित्य की कमी है। इसे दूर करने की जरूरत है। उन्होंने भाषाओं की बेहतरी की दिशा में प्रभा खेतान फाउंडेशन के कार्यों की उत्कृष्ट बताया। 

इस अवसर पर कई सत्रों में बिहार की भाषाओं की महत्ता एवं चुनौतियों पर भोजपुरी, मैथिली, मगही, अंगिका आदि के जानकरों ने संवाद किया। वहीं लोकगायिका शारदा सिन्हा ने कहा कि आखर के कार्यक्रम में आना अपने घर के आंगन में आने जैसा है। उन्होंने कई लोकगीतों की आकर्षक प्रस्तुति दी। वरिष्ठ लेखक एवं पत्रकार रत्नेश्वर ने देश में विलुप्त हो रही भाषाओं को बचाने की जरूरत पर बल दिया।

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