NALANDA : बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार जहां एक ओर जहाँ बड़ी से बड़ी योजनाओं को मूर्त रूप दिलाने में जुटे हैं। वहीं उनके ही अधिकारियों की लापरवाही के कारण कई योजनाओं पर काम पूरा होने के बाद भी उसे इस्तेमाल में नहीं लाया जाता है। ऐसे ही स्थिति सिलाव प्रखण्ड के नेपुरा गांव में 30 लाख की लागत से बना बुनकर भवन का है।
बताते चलें की 10 साल पूर्व इस भवन का निर्माण इसलिए कराया गया था कि यहां बुनकर एक साथ बैठकर सरकार द्वारा दिये गए मशीन पर कपड़ा का निर्माण कर सक। लेकिन 10 साल से अधिक बीतने को है फिर भी बुनकरों के लिए यह भवन सौंपा नहीं गया है। जिसके कारण बुनकर अभी भी अपने छोटे-छोटे कमरों में जैसे तैसे कपड़ा का निर्माण कर रहे है।
बुनकरों का कहना है कि जब इसे हमलोगों के लिए बनाया गया था तो अब तक सौंपा क्यों नहीं गया। सरकार सिर्फ दिखावे के लिए बुनकरों के उत्थान की बात करती हैं। अगर उत्थान किया जाता तो आज खादी की यह हालत नहीं होती। बुनकरों के साथ सरकार अन्याय कर रही हैं। सिर्फ दिखावे को लेकर घोषणाएं की जाती है। लेकिन उसे मूर्त रूप नहीं दिया जाता है। 10 साल बाद यह भवन धीरे-धीरे जर्जर होना शुरू हो गया है। कहीं फर्श टूट गया है तो कहीं दीवारों में दरार आनी शुरू हो गई है। वहीं उद्योग विभाग के अधिकारी की माने तो इस भवन का निर्माण बुनकरों को प्रशिक्षण देने के लिए बनाया गया था। यहाँ पर पूर्व से ही दो कर्मी की नियुक्त है। जल्द ही इसे बुनकर संघ के हवाले कर दिया जाएगा।
नालंदा से राज की रिपोर्ट