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18 दिन की “अपराजिता” जिंदगी से हारी, लेकिन दो लोगों की आंखों को कर गई रोशन, बनी सबसे कम उम्र की आई डोनर

18 दिन की “अपराजिता” जिंदगी से हारी, लेकिन दो लोगों की आंखों को कर गई रोशन, बनी सबसे कम उम्र की आई डोनर

SHAHDOL : उसकी उम्र सिर्फ 18 दिन की थी, जब वह दुनिया से चली गई। लेकिन उसकी आंखे अब भी जीवित हैं। जो किसी दूसरे की जिंदगी में रोशनी फैलाने का काम करेगी। एक माता-पिता ने अपनी 18 दिन की बच्ची की मौत के बाद भी उसे जिंदा रखा है और अब वह झारखंड की सबसे कम उम्र की आई डोनर बन गई है। 

मामला एमपी के शहडोल में रहनेवाले धीरज गुप्ता और राजश्री से जुड़ा है, जिनको शादी के तीन साल बाद बेटी की प्राप्ती हुई, जिसका बड़े प्यार से नाम दिया गया अपराजिता। लेकिन नाम की तरह वह जिंदगी की जंग को जीत नहीं सकी और महज 18 दिन में ही उसने दुनिया को अलविदा कह दिया। लेकिन, मासूम बच्ची को जीवित रखने की एक आखिरी कोशिश बाकी थी, वह थी उसकी आंखें। बच्ची की मौत के बाद दंपति ने अपनी बच्ची की आंखे दान करने का फैसला लिया। जिसके बाद अब अपराजिता की आंखों ने दो लोगों को नई रोशनी दी। जिसके बाद यह अब तक कि सबसे छोटी आई डोनर बन गई।

जन्म के बाद दिख रही थी बेटी की प्यारी आंखें

अपराजिता की मौत के बाद उसके माता-पिता ने बताया कि बेटी के जन्म के बाद सिर्फ उसकी प्यारी आंखें दिखाई दे रही थीं। कश्यप आई हॉस्पिटल से संपर्क कर नेत्रदान की इच्छा जताई। तुरंत अस्पताल से टीम पहुंच कर बच्ची का कॉर्निया रिट्रिव किया। और उसे आई बैंक में सुरक्षित रखा गया। दूसरे या तीसरे दिन ही दो लोगों में इसकी कॉर्निया ट्रांसप्लांट की गई। अब दोनों मेरी बेटी की आंखों से दुनिया देख रहे हैं। बेटी तो नहीं रही, लेकिन उसकी आंखें आज भी जिंदा है।

बच्ची जन्म के बाद से ही बीमार थी
 बच्ची जन्म के बाद से ही बीमार थी, उसके शरीर में फूड पाइप विकसित नहीं हुआ था। झारखंड रांची के पिस्का मोड स्थित हरिगोविंद नर्सिंग हॉस्पिटल में 18 जुलाई को उसका जन्म हुआ था। 20 जुलाई को उसका ऑपरेशन किया गया। लेकिन 4 अगस्त को उसकी मौत हो गई।

देश में सबसे छोटी डोनर की लिस्ट में शामिल

कॉर्निया रिट्रीव करने वाली डॉ. भारती कश्यप के अनुसार, अपराजिता न सिर्फ झारखंड बल्कि देश में भी सबसे छोटी टॉप 5 डोनर बन चुकी है। अब नेत्रदान पखवाड़ा के उपलक्ष्य में आयोजित कार्याक्रम के दौरान अपराजिता की मां राजश्री व पिता धीरज गुप्ता को झारखंड के राज्यपाल द्वारा 31 अगस्त को सम्मानित किया जाएगा।

बता दें कि देशभर में 100 लोगों में सिर्फ 3 को ही कॉर्निया मिल पाता है। दूसरी ओर हर दिन हजारों लोगों की मौत होती है। लेकिन जागरूकता के अभाव में नेत्रदान करने से वंचित रह जाते हैं। यहीं वजह है कि लोगों को जागरूक करने हर साल 25 अगस्त से 8 सितंबर तक राष्ट्रीय नेत्रदान पखवाड़ा के रूप में मनाया जाता है। 


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