बिहार उत्तरप्रदेश मध्यप्रदेश उत्तराखंड झारखंड छत्तीसगढ़ राजस्थान पंजाब हरियाणा हिमाचल प्रदेश दिल्ली पश्चिम बंगाल

LATEST NEWS

2013 के बाद 23ः 'कुशवाहा' ने एक दशक में बनाई दो पॉलिटिकल पार्टी , तब RLSP अब RLJD...

2013 के बाद 23ः  'कुशवाहा' ने एक दशक में बनाई दो पॉलिटिकल पार्टी , तब RLSP अब RLJD...

PATNA:  उपेन्द्र कुशवाहा ने जेडीयू से इस्तीफा दे दिया. इसी के साथ विधान परिषद की सदस्यता से भी इस्तीफे की घोषणा कर दी. साथ ही नए राजनीतिक दल का भी ऐलान कर दिया. एक दशक बाद उपेन्द्र कुशवाहा को फिर से नई पार्टी बनाने को मजबूर होना पड़ा. दशक पहले कुशवाहा ने जेडीयू से इस्तीफा देकर और राज्यसभा सांसदी को त्यागकर राष्ट्रीय लोक समता पार्टी का गठन किया था . एक बार फिर वही स्थिति आ गई. इस बार जेडीयू की सदस्यता और विप सीट को छोड़ राष्ट्रीय लोक जनता दल का गठन किया है।  

दो साल में ही आउट हो गए कुशवाहा 

उपेन्द्र कुशवाहा मार्च 2021 में जेडीयू में शामिल हुए थे। इसी के साथ अपनी पार्टी रालोसपा का जेडीयू में विलय कर दिया था. विलय की घोषणा करते हुए उपेंद्र कुशवाहा ने कहा था कि यह देश और राज्य के हित में है. उन्होंने कहा था कि विलय वर्तमान राजनीतिक परिस्थिति की मांग थी.इसके पहले वे 2013 में जेडीयू से अलग हुए थे और अलग पार्टी रालोसपा बनाई थी. साल 2014 में कुशवाहा एनडीए में शामिल हो गए थे, जबकि नीतीश कुमार आरजेडी के साथ चले गए थे. 2014 में उपेंद्र कुशवाहा को तीन लोकसभा सीटें बिहार में मिली थीं और सभी पर जीत हुई थी. कुशवाहा मोदी सरकार के पहले कार्यकाल में मंत्री भी बनाए गए. साल 2015 के बिहार विधानसभा चुनाव में कुशवाहा की पार्टी ने 23 सीटों पर चुनाव लड़ा था लेकिन महज़ तीन सीटों पर ही खाता खोल पाई थी इसके बाद साल 2018 में कुशवाहा एनडीए से अलग हो गए थे और केंद्रीय मंत्री पद से इस्तीफा दे दिया था.

2000 में जंदाहा से चुनाव जीते थे कुशवाहा, नेता प्रतिपक्ष भी बने थे  

साल 2000 के विधानसभा चुनाव में उपेन्द्र कुशवाहा ने जंदाहा सीट से ही चुनाव लड़ा और जीत हासिल की थी। चुनाव जीतने के बाद कुशवाहा, नीतीश कुमार के करीब आ गए। इसी का नतीजा था कि साल 2004 में जब सुशील मोदी लोकसभा चुनाव जीतकर केन्द्र में चले गए तो नीतीश के समर्थन से कुशवाहा बिहार विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष बना दिए गए। इसके बाद इन्हें बिहार के भावी सीएम की कतार में भी गिना जाने लगा. 2005 में हुए विधानसभा के पहले चुनाव में उपेन्द्र कुशवाहा जंदाहा सीट से चुनाव हार गए। उस चुनाव में किसी भी पार्टी को पूर्ण बहुमत नहीं मिला और जोड़-तोड़ करने के बाद भी कोई पार्टी सरकार नहीं बना पायी। इसके बाद अक्टूबर 2005 में ही फिर से चुनाव हुए, लेकिन इस बार दलसिंहपुर सीट से उपेन्द्र कुशवाहा चुनाव हार गये. हार की वजह से नीतीश सरकार में इन्हें मंत्री नहीं बनाया जा सका। 

2005 में विस चुनाव हार गए थे कुशवाहा

2005 के विधानसभा चुनाव में नीतीश के नेतृत्व में जदयू-भाजपा की सरकार बनी. उपेन्द्र कुशवाहा को इसमें जगह नहीं मिली। माना जाता है कि तभी से ही दोनों नेताओं के बीच मनमुटाव की शुरुआत हो गई थी। इसके बाद कुशवाहा ने नीतीश का साथ छोड़कर एनसीपी की सदस्यता ग्रहण कर ली। एनसीपी ने उन्हें पार्टी का प्रदेश अध्यक्ष बनाया लेकिन महाराष्ट्र में उत्तर भारतीयों पर हुई हमलों की घटनाओं के बाद कुशवाहा ने एनसीपी भी छोड़ दी। साल 2009 में कुशवाहा की फिर से जदयू में एंट्री हुई और पार्टी ने उन्हें 2010 में राज्यसभा भी भेज दिया, लेकिन उस दौरान भी पार्टी लाइन से हटकर बयानबाजी करने के चलते उन्हें फिर से जदयू छोड़नी पड़ी। साल 2013 में उपेन्द्र कुशवाहा ने जेडीयू को छोड़कर जोरदार तरीके से पटना के गांधी मैदान से नई पार्टी राष्ट्रीय लोक समता पार्टी (रालोसपा) के गठन का ऐलान किया था. 

 

Suggested News