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लोजपा का 24 वां स्थापना दिवस : जानें पार्टी से जुड़े कई रोचक तथ्य, कब हुई स्थापना और आखिर क्यों हुई पार्टी में टूट ?

लोजपा का 24 वां स्थापना दिवस : जानें पार्टी से जुड़े कई रोचक तथ्य, कब हुई स्थापना और आखिर क्यों हुई पार्टी में टूट ?

PATNA: लोक जनशक्ति पार्टी (लोजपा) अपना 24 वां स्थापना दिवस मना रही है। लोजपा का गठन 2000 में स्व. रामविलास पासवान ने किया था। रामविलास पासवान जब जनता दल से अलग हुए थे तब उन्होंने एक नई पार्टी का गठन किया जिसका नाम रखा लोक जनशक्ति पार्टी। लोजपा पार्टी के गठन को लेकर कई रोचक कहानियां हैं। जिसे हम आज आपको इस लेख के जरिए बताएंगे। हालांकि लोजपा आज अपना 24 वां स्थापना दिवस मना रहा है, लेकिन इन 23 सालों में लोजपा पार्टी ने कई उतराव-चढ़ाव देखा है। आलम यह है कि आज लोजपा का स्थापना दिवस दो पार्टियों बड़ी धूम-धाम से मना रही है। एक तरफ पार्टी की स्थापना दिवस स्व. रामविलास पासवान के बेटे और जमुई सासंद चिराग पासवान मना रहे हैं। तो दूसरी और उनके चाचा और रामविलास पासवान के भाई पशुपति पारस इसका स्थापना दिवस मना रहे हैं। तो आज हम जानते हैं कि कैसे लोजपा दो भागों में बंट कर अपना 23 साल का सफर पूरा किया है। 

लोजपा का स्थापना कब हुआ ?

लोक जनशक्ति पार्टी अथवा लोजपा की स्थापना रामविलास पासवान ने 2000 में की थी। पासवान पहले जनता पार्टी से होते हुए जनता दल और उसके बाद जदयू का हिस्सा रहे, लेकिन जब बिहार की सियासत के हालात बदले तो उन्होंने अपनी पार्टी बना ली। बिहार में इस पार्टी की पकड़ निचली जातियों और दलित समुदाय में मानी जाती है। बहुत कम लोगों को साथ लेकर पासवान ने यह पार्टी बनाई थी और इसका मकसद राज्य के निचले तबके को जोड़ना था। दलितों की राजनीति करने वाले पासवान ने 1981 में दलित सेना संगठन की भी स्थापना की थी।

लोजपा के गठन का मकसद

लोजपा पार्टी का गठन करने के पीछे का मकसद था दलितों को एकजुट करना। साथ ही सामाजिक न्याय और दलितों पीड़ितों की आवाज उठाना। बिहार में दलित समुदाय की आबादी तो करीब 17 फीसदी है, लेकिन पासवान जाति का वोट करीब पांच फीसदी है, जो लोजपा का कोर वोट बैंक माना जाता है और इस जाति के सर्वमान्य नेता राम विलास पासवान माने जाते थे। ऐसा कहा जाता था कि जिस गठबंधन में लोजपा रहेगी उसकी जीत पक्की है। 

लोजपा का प्रदर्शन

लोजपा के गठन के बाद स्व. रामविलास पासवान पहले कांग्रेस और राजद सुप्रीमो लालू यादव के राष्ट्रीय जनता दल से जुड़ कर बिहार में काफी अच्छा प्रदर्शन किया। 2004 के लोकसभा में इस गठबधंन में रहते हुए लोजपा ने 4 सीटें तो विधानसभा में 29 सीटों पर अपना कब्जा जमाया था। साल 2009 के आम चुनाव में लोजपा 'चौथे मोर्चे' यानी फोर्थ फ्रंट में शामिल हुई थी पर एक भी सीट पर जीत नहीं मिली थी। लोजपा ने 2010 का विधानसभा चुनाव फिर राजद के साथ मिलकर लड़ा। पार्टी को सिर्फ 3 सीटें हाथ लगीं। साल 2014 के लोकसभा चुनाव में लोजपा ने 12 साल बाद फिर एनडीए के साथ गठबंधन की घोषणा की। इस गठबंधन में आकर 7 सीटों पर चुनाव लड़कर लोजपा ने 6 सीटें जीतीं। राम विलास पासवान के बेटे चिराग पासवान भी जमुई सीट से पहली बार चुनाव लड़े और जीत गए। दूसरी तरफ राम विलास पासवान को केंद्र में मंत्री बनाया गया। 2014 की एनडीए सरकार में पासवान को मंत्री पद भी मिला। एनडीए के ही दल के रूप में 2015 का बिहार विधानसभा चुनाव भी लोजपा ने 20 सीटों पर लड़ा और सिर्फ 2 सीटों पर जीत मिली। 

वहीं 2019 के लोकसभा चुनाव में राम विलास पासवान और बीजेपी के बीच सीटों को लेकर काफी गहमागहमी देखी गई। लंबे मंथन के बाद 40 में से बीजेपी और जेडीयू को 17-17 और एलजेपी को 6 सीटों पर लड़ने का मौका मिला। जबकि राम विलास पासवान को राज्यसभा भेजने का फैसला किया गया। पार्टी सभी 6 सीटों पर जीत गई। इसके साथ ही राम विलास पासवान ने अपने बेटे चिराग पासवान को आगे कर दिया। 5 नवंबर 2019 को चिराग पासवान को लोक जनशक्ति पार्टी का राष्ट्रीय अध्यक्ष चुना गया। अध्यक्ष पद की कमान मिलते ही चिराग ने 'बिहार फर्स्ट, बिहारी फर्स्ट' के नाम से बिहार में यात्रा निकाली।

लोजपा में टूट

लंबी बीमारी के बाद केंद्रीय मंत्री रामविलास पासवान का 74 साल की उम्र में 8 अक्टूबर 2020 को दिल्ली में निधन हो गया। उनके निधन के बाद उनके बेटे और भाई में मतभेद बढ़ने लगा और 2021 में लोक जनशक्ति पार्टी में टूट हो गई। 2021 में पार्टी दो पार्टियों लोक जनशक्ति पार्टी (रामविलास) और राष्ट्रीय लोक जनशक्ति पार्टी में बंट गई। चिराग पासवान औऱ पशुपति पारस में  पार्टी के नेतृत्व को लेकर खींचतान थी, रामविलास के निधन के बाद यह दरार और बढ़ गई और दोनों अलग हो गए। और आज आलम यह है कि, दोनों पार्टियां अलग अलग लोजपा की स्थापना दिवस मना रही है। दोनों पार्टियों के द्वारा आए दिन एक दूसरे पर आरोप-प्रत्यारोप लगाए जाते हैं। दोनों चाचा भतीजा ने कभी एक ना होने की बात भी कई दफा कही है। वहीं इन दोनों पार्टियों के बीच रामविलास पासवान के पंपरागत सीट को लेकर आज भी मतभेद बनी हुई है। फिलहाल हाजीपुर में पशुपति पारस का शासन है लेकिन चिराग पासवान भी कई बार हाजीपुर से सीट लड़ने की बात कही है। वहीं मौजूदा समय की बात करें तो दोनों ही पार्टियां एनडीए गठबंधन में शामिल है और शीर्ष नेतृत्व के आधार पर ही चुनाव लड़ने की बात करती है।  

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