PATNA. बिहार में बिजली की प्रर्याप्त उपलब्धता के लिए बिहार सरकार ने छत्तीसगढ़ की एक प्राइवेट कंपनी से 2500 मेगावाट खरीदने का फैसला किया है। बताया जा रहा है कि बिजली कंपनी और छत्तीसगढ़ के बीच हुए करार को बिहार विद्युत विनियामक आयोग ने मंजूरी दे दी है। जिसके तहत कंपनी अगले तीन वर्षों तक बिजली की खरीदारी करेगी।
4.24 प्रति यूनिट की दर से होगी खरीदारी
बताया गया कि बिहार की बिजली कंपनी ने छत्तीसगढ़ की कंपनी एसकेएस जेनरेशन लिमिटेड से बिजली खरीद के लिए कुछ साल पहले करार किया था, लेकिन बिहार को बिजली बेचने के लिए विनियामक आयोग से इसकी मंजूरी लेनी जरूरी थी। इसी कड़ी में कंपनी ने विनियामक आयोग के समक्ष याचिका दायर की थी। आयोग ने जनवरी में कंपनी की याचिका पर सुनवाई करते हुए साफ कहा कि बिजली खरीद को मंजूरी दी। विनियामक के निर्देशानुसार एसकेएस से बिहार सरकार 4.24 रुपए प्रति यूनिट की दर से बिजली की खरीदारी करेगी।
बिजली कंपनी ने छत्तीसगढ़ की कंपनी एसकेएस जेनरेशन लिमिटेड से बिजली खरीद का करार अरसा पहले किया था। खरीद से पहले विनियामक आयोग से इसकी मंजूरी लेनी जरूरी थी। इसी कड़ी में कंपनी ने विनियामक आयोग के समक्ष याचिका दायर की थी। आयोग ने जनवरी में कंपनी की याचिका पर सुनवाई करते हुए साफ कहा कि बिजली खरीद में यह ध्यान रखा जाना चाहिए कि इसका असर बिजली उपभोक्ताओं पर नहीं हो। बिजली की खरीद की दर 4.24 रुपये प्रति यूनिट तय की गई। कंपनी एक बार में कुल करार का कम से कम 55 फीसदी मेगावाट बिजली खरीद करेगी। चूंकि करार के तहत कंपनी को खुले बाजार की तुलना में सस्ती बिजली मिलेगी, इसलिए आयोग ने फरवरी में कंपनी की याचिका को मंजूर करते हुए फैसला सुना दिया।
एक करोड़ 62 लाख उपभोक्ता
बिहार में अभी एक करोड़ 62 लाख बिजली उपभोक्ता है, जिनकों अभी हर दिन औसतन 45 सौ मेगावाट की बिजली आपूर्ति की जा रही है। इनमें तीन हजार की आपूर्ति एनटीपीसी से की जा रही है। बाकि 15 सौ से 18 मेगावाट बिजली की खरीदारी खुले बाजार से करनी पड़ रही है, जिसके कारण कई बार बिहार सरकार को अधिक कीमत चुकाना पड़ता है, जिसका असर बिजली उपभोक्ताओं पर पड़ता है। ऐसे में छत्तीसगढ़ की कंपनी से बिजली की खरीदारी से बिहार को अब खुले बाजार पर निर्भरता खत्म हो जाएगी।