राष्ट्रपति से मिले जदयू के ललन सहित INDIA का 31 सदस्यीय प्रतिनिधिमंडल, मोदी सरकार पर संविधान के उसूलों पर नहीं चलने का आरोप

राष्ट्रपति से मिले जदयू के ललन सहित INDIA का 31 सदस्यीय प्रतिनिधिमंडल, मोदी सरकार पर संविधान के उसूलों पर नहीं चलने का आरोप

दिल्ली/पटना. कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे, जदयू अध्यक्ष ललन सिंह सहित INDIA गठबंधन के 31 सदस्य बुधवार को राष्ट्रपति से मिले। मुलाकात के बाद मल्लिकार्जुन खड़गे ने कहा कि INDIA गठबंधन के डेलिगेशन ने मणिपुर में जो देखा, उसे राष्ट्रपति महोदया के सामने रखा। हमने उन्हें बताया कि राहत शिविरों में लोगों को समय पर राशन और दवा भी नहीं मिल पा रही है। मणिपुर को लेकर हमने राष्ट्रपति महोदया को एक मेमोरेंडम भी सौंपा है। उन्होंने हमें मेमोरेंडम के बारे में सोचने का आश्वासन दिया है। उन्होंने आरोप लगाया कि सरकार हमें सदन में बोलने नहीं दे रही है। मेरे माइक को तुरंत बंद कर दिया जाता है। ये सरकार न संविधान को बचाना चाहती है और न ही संविधान के उसूलों पर चलना चाहती है। इसलिए हम एक होकर मजबूती के साथ लड़ेंगे।

प्रतिनिधिमंडल में भारतीय राष्ट्रीय विकासात्मक समावेशी गठबंधन (आई.एन.डी.आई.ए.) के 21 सांसद भी शामिल थे जिन्होंने 29-30 जुलाई को मणिपुर का दौरा किया था। यह बैठक ऐसे समय हुई जब विपक्ष संसद में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के बयान की मांग को लेकर अड़ा हुआ है। साथ ही साथ वह मणिपुर हिंसा पर व्यापक चर्चा की मांग कर रहा है। 

खड़गे ने कहा कि हमने राष्ट्रपति को विशेष रूप से मणिपुर में महिलाओं के खिलाफ अत्याचार, पुनर्वास और अन्य स्थितियों के बारे में जानकारी दी. हमारी मुख्य मांग है कि प्रधानमंत्री को मणिपुर का दौरा करना चाहिए और राज्य में शांति बहाल करने की दिशा में कदम उठाना चाहिए। आम आदमी पार्ट सांसद सुशिल गुप्ता ने कहा कि हमारी मांग है कि प्रधानमंत्री सदन में आएं और मणिपुर जाएं। वे वहां शांति का रास्ता निकालें। यह सब हमने राष्ट्रपति जी को बताया और हरियाणा की स्थिति से भी अवगत कराया।

राष्ट्रपति मुर्मू से मुलाकात पर कांग्रेस सांसद अधीर रंजन चौधरी ने कहा कि हमने जो भी वहां देखा वह सब राष्ट्रपति जी के सामने रखा है। मणिपुर के हालात दिन पर दिन संगीन होते जा रहे हैं। विपक्षी दलों की ओर से राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू को सौंपे गए ज्ञापन में कहा गया, "हम बिना किसी देरी के राज्य में शांति और सद्भाव स्थापित करने के लिए आपसे तत्काल हस्तक्षेप का अनुरोध करते हैं। प्रभावित समुदायों को न्याय प्रदान करने के लिए केंद्र और राज्य सरकार दोनों को अपना कर्तव्य पूरा करना चाहिए। हम आपसे निवेदन करते हैं कि आप प्रधानमंत्री पर मणिपुर की मौजूदा स्थिति पर संसद को तत्काल संबोधित करने के लिए दबाव डालें, जिसके बाद इस मामले पर एक विस्तृत और व्यापक चर्चा हो।"

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