DESK : कुछ दिन पहले हरिद्वार में हुए धर्म संसद में अभद्र भाषा (hate speech) को लेकर हुए बवाल के बाद आलोचनाओं से घिरे पीएम मोदी को बड़ी राहत मिली है। इस कार्यक्रम को लेकर 32 रिटायर्ड राजनयिकों ने बुधवार को एक संयुक्त बयान जारी किया है. इसमें इन्होंने केंद्र सरकार का समर्थन करते हुए उन लोगों पर सवाल उठाया है। जो अपने अपने राजनीतिक लाभ के लिए दोहरे मापदंड अपनाते हैं।
संयुक्त बयान में कहा गया है कि कुछ लोग लगातार एक एजेंडे के तहत मोदी सरकार के खिलाफ इस तरह के अभियान चलाते हैं.बयान में कहा गया है कि हर तरह की हिंसा की निंदा की जानी चाहिए, इसे सिलेक्टिव रूप से देखना गलत है। बयान में ये भी कहा गया है कि ऐसे घृणास्पद भाषणों की निंदा होनी चाहिए। बयान में कहा गया है कि हिंसा के लिए प्रेरित करने वाले सभी बयानों की धार्मिक, जातीय, वैचारिक या क्षेत्रियता की परवाह किए निंदा की जानी चाहिए. निंदा में दोहरे मानदंड अपनाना गलत है.
सिर्फ कुछ बयान को बना रहे हैं मुद्दा
संय़ुक्त बयान में कहा गया है कि दिसंबर के मध्य में हरिद्वार में एक धार्मिक सभा में आपत्तिजनक अल्पसंख्यक विरोधी बयानों को कुछ लोगों ने पकड़ रखा है। निस्संदेह इनकी निंदा की जानी चाहिए, लेकिन इसे बढ़ा-चढ़ा कर पेश करना गलत है. हरिद्वार के भाषणों को गलत रूप से चित्रित करने के प्रयास किया जा रहा है, जिसके लिए एक समूह काम कर रहा है।
गलत तरीके से किया जाता है प्रचारित
रिटायर्ड राजनयिकों ने कहा कि पीएम मोदी सबका साथ, सबका विकास, सबका विश्वास, सबका प्रयास का संदेश देते हैं. लेकिन नारे को लेकर कुछ लोगों की ओऱ से आरोप लगाया जाता है कि यह सिर्फ एक समुदाय (बहुसंख्यक समुदाय) के लिए है, न कि सभी के लिए. लेकिन यह ठीक नहीं हैं। पीएम मोदी के बयान को गलत तरीके से पेश कर माहौल बिगाड़ने की कोशिश की जाती है।