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कांग्रेस के 6 विधायक अयोग्य करार, विधानसभा में खेला कर भाजपा को समर्थन करने वालों पर चला स्पीकर का डंडा

कांग्रेस के 6 विधायक अयोग्य करार, विधानसभा में खेला कर भाजपा को समर्थन करने वालों पर चला स्पीकर का डंडा

DESK. कांग्रेस के उन 6 विधायकों की विधानसभा सदस्यता समाप्त कर दी गई है जिन्होंने राज्यसभा चुनाव में बागी होकर भाजपा उम्मीदवार को वोट दिया था. हिमाचल प्रदेश विधानसभा स्पीकर ने गुरुवार को सभी 6 बागी विधायकों को अयोग्य करार दे दिया. हिमाचल प्रदेश विधानसभा अध्यक्ष कुलदीप सिंह पठानिया  ने कहा कि "कांग्रेस के चुनाव चिन्ह पर चुनाव लड़ने वाले छह विधायकों ने दलबदल विरोधी कानून के प्रावधानों का उल्लंघन किया है.  यह घोषणा किया जाता है कि ऐसे  छह विधायक तत्काल प्रभाव से हिमाचल प्रदेश विधानसभा के सदस्य नहीं रहेंगे.

68 सदस्यीय राज्य विधानसभा में कांग्रेस के 40 विधायक जीते थे जबकि भाजपा के 25 विधायक हैं. लेकिन राज्यसभा चुनाव में कांग्रेस के 6 विधायकों ने कांग्रेस के खिलाफ जाकर भाजपा को वोट किया. इसी के बाद कांग्रेस ने अपने बागी विधायकों के कार्रवाई की मांग की थी. अब स्पीकर ने उन सभी छह बागी कांग्रेसी विधायकों की विधानसभा की सदस्यता रद्द करने का आदेश सुनाया. उन्होंने कहा कि इन छह विधायकों ने लोकतांत्रिक मूल्यों का उल्लंघन किया है. उनके खिलाफ इसीलिए यह फैसला लिया गया है. राज्य में कांग्रेस सरकार छह विधायकों के पाला बदलने और भाजपा के संपर्क में होने के बाद कांग्रेस की सरकार संकट का सामना कर रही है। 68 सदस्यीय राज्य विधानसभा में कांग्रेस के 40 विधायक हैं, जबकि भाजपा के 25 विधायक हैं। बाकी तीन सीटों पर निर्दलीयों का कब्जा है।

कांग्रेस के सभी छह बागी विधायकों सुधीर शर्मा (धर्मशाला) राजिंदर राणा (सुजानपुर), इंद्र दत्त लखनपाल (बड़सर), रवि ठाकुर (लाहौल स्फीति), चैतन्य शर्मा (गगरेट), देविंदर भुट्टो (कुटलेहर) ने भाजपा के उम्मीदवार को राज्यसभा चुनाव में वोट किया था. स्पीकर कुलदीप पठानिया ने कहा कि पार्टी व्हिप के उल्लंघन की वजह से उन पर दलबदल विरोधी कानून का प्रावधान लागू होता है और इस वजह से सदस्यता तुरंत प्रभाव से खत्म कर दी गई है.

कुलदीप पठानिया ने गुरुवार को मीडिया के सामने अपना फैसला सुनाते हुए कहा, 'अध्यक्ष नहीं बल्कि ट्राइब्यूनल जज के नाते मैं यह फैसला सुना रहा हूं। छह माननीय विधायकों ने चुनाव कांग्रेस पार्टी से लड़ा और दलबदल विरोधी कानून के प्रावधान उन्होंने अपने ऊपर लगवाए। इसकी शिकायत की गई। दोनों तरफ से सुप्रीम कोर्ट और हाई कोर्ट के वरिष्ठ वकील पेश हुए। दोनों तरफ की दलीलें विस्तार से सुनीं गईं। मैंने इस पर 30 पेज में फैसला दिया है। पार्टी ने जब व्हिप जारी किया था तो उन्होंने इसका उल्लंघन किया। इसलिए इनकी सदस्यता तुरंत प्रभाव से खत्म की जाती है।'

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