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सारण में नियोजन के बाद 75-100 शिक्षक एक भी दिन नहीं गए स्कूल, अफसरों की तीमारदारी करना ही इसका काम

सारण में नियोजन के बाद 75-100 शिक्षक एक भी दिन नहीं गए स्कूल, अफसरों की तीमारदारी करना ही इसका काम

सारण. शिक्षा विभाग लगातार शिक्षा व्यवस्था को सुधारने के लिए आदेश पर आदेश निकालते जा रहा हैं। लेकिन सारण में अभी ऐसे 75 से 100 शिक्षक हैं, जिन्होंने अपने नियोजन के बाद से आज तक स्कूल नहीं गए। अफसरों के बीच पैठ बना कर वे या तो प्रखंड कार्यालय में जमे हुए हैं या फिर जिला मुख्यालय में है। ऐसे शिक्षकों की फेहरिस्त आसानी से तैयार की जा सकती है।

अफसरों की तीमारदारी है इनका काम

अपने नियोजन की तिथि से आज तक स्कूल का मुंह नहीं देखे ऐसे शिक्षकों का काम विभाग के अफसरों की तीमारदारी करना है. यह शिक्षक अफसरों के कार्यालय में बैठकर अफसरों से ज्यादा हुकुम चलाते हैं और कहां से कितना रुपया आएगा इसे लेकर वे अपनी दिमाग लगाते हैं. किस स्कूल में शिक्षक नहीं आते और किस स्कूल में किस तरह की लापरवाही बढ़ती जा रही है, इसकी यह दलालों के माध्यम से जानकारी लेते रहते हैं और अफसरों की टीम लेकर वहां पहुंच जाते हैं. फिर तय होती है जांच की प्रक्रिया और वसूली का धंधा. जिला मुख्यालय में नजर दौड़ाएं तो पता चलेगा कि कोई शिक्षक नियोजन के नाम पर प्रतिनियुक्त है तो कोई कोर्ट कार्य के लिए। कई शिक्षक स्थापना विभाग का भी कार्य देखते हैं।

कहां कहां है ऐसे अधिक शिक्षक

सारण में मांझी प्रखंड, एकमा प्रखंड, लहलादपुर प्रखंड, बनियापुर प्रखंड, दिघवारा प्रखंड, जलालपुर प्रखंड, सदर प्रखंड, गरखा प्रखंड, अमनौर प्रखंड, परसा प्रखंड, दरियापुर प्रखंड आदि प्रखंडों में ऐसे मामले ज्यादा देखने को मिलेंगे। जिला मुख्यालय कार्यालय कार्यालय में तो 2 दर्जन से अधिक शिक्षक जमे हुए हैं।

बिल्ली कर रही है दूध की रखवाली

जिला मुख्यालय में कई ऐसे संभाग हैं, जहां शिक्षक नियोजन की जांच हो रही है और उस जांच कार्यालय में रखें शिक्षकों के अभिलेख की संधारण की जिम्मेवारी ऐसे शिक्षकों के हवाले की गई है, जो खुद ही संदेह के घेरे में है। उनके नियोजन पर ही आंच आई हुई है और उनको जांच की जिम्मेवारी सौंपी गई है। ऐसे में समझा जा सकता है कि यह शिक्षक वहां पर किसलिए डटे हुए हैं. अपना तो बचाव करते ही हैं भाया दोहन कर अच्छी खासी रकम भी वसूल कर रहे हैं. कुछ शिक्षक स्कूल छोड़ जिला मुख्यालय में दूसरे कार्य का निष्पादन कर रहे हैं, उन्हें पठन-पाठन या स्कूल जाने से कोई मतलब नहीं है.

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