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दिल्ली के बिहार भवन में सीपीआर के प्रशिक्षण कार्यक्रम का हुआ आयोजन, कार्डियक अरेस्ट से बचने की दी गयी जानकारी

दिल्ली के बिहार भवन में सीपीआर के प्रशिक्षण कार्यक्रम का हुआ आयोजन, कार्डियक अरेस्ट से बचने की दी गयी जानकारी

DELHI: बिहार भवन दिल्ली में सोमवार को सीपीआर प्रशिक्षण कार्यक्रम का आयोजन किया गया। जिसमें बिहार भवन, बिहार निवास और बिहार सदन से जुड़े अधिकारियों एवं कर्मियों ने कार्डियो पल्मोनरी रिससिटेशन (सीपीआर) तकनीक से जीवन बचाने का प्रशिक्षण लिया। मेदांता अस्पताल के बैसिक लाइफ सपोर्ट इंस्ट्रक्टर (बीएलएस) शैंकी डागर ने यह प्रशिक्षण दिया। इस प्रशिक्षण कार्यक्रम के दौरान स्थानिक आयुक्त कुंदन कुमार मौजूद रहे। 

शैंकी डागर ने अपने प्रशिक्षण के दौरान बताया कि हर साल कार्डियक अरेस्ट से 12 लाख युवा अपनी जान गंवा देते हैं। इसलिए उनके अस्पताल के बाहर इससे जिंदगी बचाने के लिए जरूरी प्रशिक्षण देने की एक मुहिम शुरू की है। इसके तहत ही कार्डियक अरेस्ट या रेस्पिरेटरी अरेस्ट या दोनों के होने पर मरीज की जान कैसे बचाई जाए इसको लेकर प्रशिक्षण कार्यक्रम आयोजित किए जा रहे हैं। उन्होंने अपने प्रशिक्षण के दौरान कहा कि सीपीआर एक जीवन रक्षक प्रक्रिया है। इसको लेकर समाज के लोगों में जागरूकता लाना जरूरी है। कोई भी आम आदमी इसे सीख सकता है। जिससे मौके पर ही मरीज को राहत दी जा सकती है और उसकी जान बचाई जा सकती है। डागर ने कहा कि इस तरह के प्रशिक्षण से अगर एक भी जान बचाने में सहायता मिलती है तो यह बड़ी सफलता होगी। 

सीपीआर से ऐसे बचाए जान

शैंकी डागर ने बताया कि सीपीआर संजीवनी का काम करता है। सीपीआर के दौरान अपने दोनों हाथों की मदद से एक मिनट में 100 से 120 बार छाती के बीच में जोर से पुश करना होता है। इसके बाद मुंह से सांस देनी होती है। इस प्रोसेस को माउथ टू माउथ रेस्पिरेशन कहते हैं। इसके लिए उस पीड़ित को पहले किसी समतल जगह पर लिटाया जाता है और इसके बाद रेस्पिरेशन दिया जाता है। यह रेशो व्यस्क के लिए 30:2 में होना चाहिए। जबकि बच्चे में अगर आप अकेले हैं तो यहीं रेशो रख सकते हैं, नहीं तो 15:2 रेशो में इसे दिया जाना चाहिए। रिस्पांस, पल्स और सांस सीपीआर में जरूरी है। उन्होंने कार्डियक और रेस्पिरेटरी अरेस्ट में भी अंतर की जानकारी देते  हुए कुछ टिप्स सांझा किए।

स्थानिक आयुक्त कुंदन कुमार ने इस प्रशिक्षण कार्यक्रम की सराहना करते हुए कहा,  "यह एक ऐसी प्रक्रिया है, जिसकी सभी को जानकारी होनी चाहिए। जो किसी का जीवन बचाने में मददगार हो सकती है। उम्मीद है कि इस प्रशिक्षण कार्यक्रम से यहां मौजूद कर्मी किसी का जीवन बचाने में आगे अहम भूमिका निभा सकेंगे।" साथ ही में उन्होंने यह भी कहा कि ऐसे प्रशिक्षण कार्यक्रम समय-समय पर आयोजित किए जाने चाहिएं। कुंदन कुमार ने कार्यक्रम के समापन पर शैंकी डागर को इस ट्रेनिंग सेशन को सफलतापूर्वक संपन्न करने पर एक भेट देकर सम्मानित किया।

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