सदन के विशेष सत्र से एक दिन पहले कांग्रेस ने सरकार से की मांग, लोकसभा में पारित हो महिला आरक्षण विधेयक

लोकसभा के विशेष सत्र के एक दिन पहले कांग्रेस ने रविवार को अपनी मांग दोहराई कि महिला आरक्षण विधेयक को 18 सितंबर से शुरू हो रहे संसद के विशेष सत्र के दौरान पारित किया जाना चाहिए. एक्स पर एक पोस्ट में कांग्रेस नेता जयराम रमेश ने कहा कि कांग्रेस कार्य समिति की मांग है कि महिला आरक्षण विधेयक संसद के विशेष सत्र के दौरान पारित किया जाना चाहिए. पिछली कांग्रेस सरकारों की प्रशंसा करते हुए, जयराम रमेश ने कहा कि पूर्व प्रधान मंत्री राजीव गांधी ने पहली बार मई 1989 में पंचायतों और नगरपालिकाओं में एक तिहाई आरक्षण के लिए संविधान संशोधन विधेयक पेश किया था - जो लोकसभा में पारित हो गया लेकिन राज्यसभा में विफल हो गया.
कांग्रेस महासचिव जयराम रमेश ने कहा कि कांग्रेस कार्य समिति ने मांग की है कि इस विधेयक को संसद के पांच दिवसीय विशेष सत्र के दौरान पारित किया जाना चाहिए. प्रधान मंत्री पीवी नरसिम्हा राव ने अप्रैल 1993 में पंचायतों और नगर पालिकाओं में महिलाओं के लिए एक तिहाई आरक्षण के लिए संविधान संशोधन विधेयक फिर से पेश किया. दोनों विधेयक पारित हुए और कानून बन गए. जयराम रमेंश ने कहा कि पूर्व पीएम मनमोहन सिंह संसद और राज्य विधानसभाओं में महिलाओं के लिए एक तिहाई आरक्षण के लिए संविधान संशोधन विधेयक लाए. यह विधेयक 9 मार्च, 2010 को राज्यसभा में पारित हो गया, लेकिन लोकसभा में नहीं लाया गया.विधेयक 9 मार्च, 2010 को राज्यसभा में पारित किया गया. लेकिन इसे लोकसभा में नहीं लाया गया. उन्होंने कहा कि राज्यसभा में पेश या पारित किए गए विधेयक निष्प्रभावी नहीं होते हैं और महिला आरक्षण विधेयक अभी भी बहुत प्रासंगिक है.
रमेश ने कहा, 'कांग्रेस पार्टी पिछले नौ साल से मांग कर रही है कि राज्यसभा में पहले ही पारित महिला आरक्षण विधेयक अब लोकसभा में भी पारित होना चाहिए. कांग्रेस कार्य समिति (सीडब्ल्यूसी) ने पुनर्गठन के बाद अपनी पहली बैठक में शनिवार को पारित एक प्रस्ताव में मांग की है कि महिला आरक्षण विधेयक को विशेष सत्र के दौरान पारित किया जाए. कांग्रेस की यह मांग ऐसे समय में आई है जब महिला आरक्षण विधेयक को पारित करने की फिर से मांग की जा रही है और कयास लगाए जा रहे हैं कि इसे संसद के पांच दिवसीय विशेष सत्र के दौरान पेश किया जा सकता है.