PATNA: राजधानी के टी. पी. एस. कॉलेज में दो दिवसीय एडवांस मोलेकुलर बायोलॉजी टेक्नोलॉजी विषय पर यूनिवर्सिटी वनस्पति विभाग के संयुक्त तत्वाधान में हाई मीडिया के सहयोग से समापन समारोह आयोजित की गई. समापन समारोह की अध्यक्षता करते हुए प्रधानाचार्य प्रोफेसर उपेंद्र प्रसाद सिंह ने बताया कि मोलेकुलर बायोलॉजी का क्षेत्र व्यापाक है । देश के सभी विश्वाविद्यालय में स्नातक एवं स्नाकोर स्तर पर पढ़ाई हो रही है ।
साइंस डीन प्रोफेसर रिमझिमशील ने सभी अतिथियों एवं प्रतिभागियों का स्वागत करते हुए बताया कि इस ट्रेनिंग प्रोग्राम में पांच विश्वाविधायलयों के कई कॉलेज के शिक्षकों, रिसर्च स्कॉलर, पोस्ट ग्रेजुएट एवं अंडर ग्रेजुएट छात्र-छात्राओं ने भाग लिया । दक्षिण बिहार के केंद्रीय विश्वविद्यालय, पटना विश्वविद्यालय, पाटलिपुत्र विश्वविद्यालय, बी. आर. ए. बी. यू., टी. एम. बी. यू., जी-बिहार, एवं आर. एम. आर. आई. एम. एस. के कुल 76 प्रतिभागियों ने भाग लिया। मॉलिक्युलर बायोलॉजी करियर कॉलेज के पादप विज्ञान (बॉटनी) के विभागाध्यक्ष डॉ. विनय भूषण कुमार ने एडवांस मॉलिक्युलर बॉयोलॉजी टेक्निक्स में कैरियर की जानकारी देते हुए बताया कि मॉलिक्युलर बायोलॉजी यानी आणविक जीव विज्ञान एक दुर्लभ क्षेत्र है, जिसमें बहुत अधिक सभावनाएं हैं. इस प्रकार बुनियादी और अनुप्रयुक्त विज्ञान के अन्य क्षेत्रों की तुलना में प्रतिस्पर्धा बहुत कम है ।
उन्होंने कहा कि इस क्षेत्र में नौकरियों के लिए आपको उन्नत लैब उपकरण जैसे क्लोनिंग किट, डीएनए सिंथेसाइजर, इलेक्ट्रॉनिक गन, डीएनए सिक्वेंसी, वेस्टर्न ब्लॉट आदि के साथ काम करने कीआवश्यकता होती है । मॉलिक्यूलर बायलॉजिस्ट के पास निजी उद्योगों, विश्वविद्यालयों में शोध कार्य या सरकारी एजेंसियों के लिए नौकरी पाने का अवसर है । वर्तमान दौर में मॉलिक्यूलर बॉयोलॉजी का क्षेत्र व्यापक हो गया है । इसके द्वारा विभिन्न प्रकार के रोगों के बारे में आसानी से पता किया जा सकता है । ह्यूमन जीनोम प्रोजेक्ट में इसका व्यापक प्रयोग है । पी0सी0आर के द्वारा वायरस, बैक्टरिया, फंजाई जनित रोगों का पता किया जाता है । कोरोना के समय में इसका व्यापक प्रयोग हुआ। पर्यावरण इंजीनियरिंग, फुड प्रोसेसिंग एवं सीवरेज ट्रीटमेंट में काफी सहयोग प्रदान करता है । उन्होंने कहा कि ऐसे जीवविज्ञानी विशिष्ट वैज्ञानिक समस्याओं के सलाहकार के रूप में भी कार्य कर सकते हैं । सरकारी एजेंसियों के साथ-साथ विश्वविद्यालयों में भी अनुसंधान के बहुत सारे अवसर उपलब्ध हैं । उन्होंने यूएस ब्यूरो ऑफ लेबर स्टैटिस्टिक्स की एक रिपोर्ट का उल्लेख करते हुए कहा कि अगले दस वर्षों में इस क्षेत्र में लगभग 6 प्रतिशत की वृद्धि का अनुमान लगाया है, जिसका अर्थ है कि एक बेहतरीन कैरियर बनाने का यह सुनहरा अवसर है । आणविक जीव विज्ञान की डिग्री धारी शुरुआत में भारत में छह से लाख रुपए के बीच प्रति वर्ष कमा सकता है और यह केवल शुरुआत के लिए है जो निश्चित रूप से अनुभव के साथ बढ़ता है ।
महाविद्यालय के वरीय शिक्षक प्रोफेसर अबू बकर रिज़वी, प्रोफेसर कृष्णनन्दन प्रसाद एवं प्रोफेसर श्यामाल किशोर ने भी समारोह को सम्बोधित किया । डॉ. विनय भूषण ने यह भी बताया की आने वाले वर्षों में मोलेकुलर बायोलॉजी क़ी पढ़ाई वैल्यू एडेड कोर्स में भी होगा ।