PATNA : पटना के आसरा होम में दो महिलाओं की संदिग्ध मौत मामले में हाईप्रोफाइल मनीषा दयाल बेऊर जेल मे बंद है। मनीषा दयाल को आसरा गृह संचालित करने वाली एनजीओ अनुमाया ह्यूमन रिसोर्स फाउंडेशन की ट्रेजरर के नाते जेल भेजा गया है। मनीषा के साथ-साथ संस्था के सचिव चिरंतन कुमार को भी पुलिस ने जेल भेजा है लेकिन जिस संस्था पर आसरा होम को चलाने का जिम्मा था उस NGO के अध्यक्ष रिटायर्ड अधिकारी प्रेमनाथ दास पर पुलिस ने चुप्पी साध रखी है। जांच टीम ने अबतक अध्यक्ष से किसी तरह की पूछताछ नहीं की है। पुलिस मनीषा दयाल और चिरंतन को जेल भेजकर अपनी ड्यूटी पूरी करती दिख रही है।
एनजीओ के अध्यक्ष पर कब होगी कार्रवाई
पूरे प्रकरण में एनजीओ के अध्यक्ष का कहीं कोई पता नहीं चल रहा। पुलिस अधिकारी भी अपनी जांच को मनीषा और चिरंतन तक ही सीमित रखे हुए हैं जबकि एनजीओ के क्रियाकलाप में अध्यक्ष की बड़ी भूमिका होती है। आसरा होम मामले में मजिस्ट्रेट नीलू पॉल ने राजीव नगर थाने में संचालक चिरंतन कुमार और मनीषा दयाल के खिलाफ ही एफआईआर दर्ज कराया था।
किस ओर है पुलिसिया तफ्तीश
पटना पुलिस की जांच दर्ज एफआईआर के आधार पर ही आगे बढ़ रही है। अब तक की जांच में पुलिस टीम ने पाया कि आसरा होम के अंदर लड़कियों और महिलाओं के रहने की सही सुविधा उपलब्ध नहीं थी। इनके लिए बढ़िया मेडिकल व्यवस्था भी नहीं थी। डॉक्टर और नर्स की कोई सुविधा नहीं थी। एक भी फिजियोथेरेपिस्ट नहीं था। खाने-पीने का सही इंतजाम नहीं था।
जबकि बिहार सरकार के कल्याण विभाग की तरफ से आसरा होम चलाने के लिए अनुमाया ह्युमन रिसोर्सेज फाउंडेशन को एक साल के लिए करीब 72 लाख रुपये देने की बात थी। चूंकि चिरंतन कुमार और मनीषा दयाल का ये आसरा होम इसी साल यानी 2018 के अप्रैल में खुला था इसलिए अब तक इन्हें सिर्फ 4 महीने के ही सरकारी रुपये मिले थे।
कब होगा एनजीओ से जुड़े सारे लोगों से पूछताछ
मामले की जांच कर रहे अधिकारी एनजीओ अध्यक्ष के सवाल पर चुप्पी साध ले रहे हैं। जांच टीम ने अभी तक एनजीओ के अध्यक्ष से इतने बड़े मामले में किसी तरह की पूछताछ नहीं की है। जानकारों का कहना है कि अध्यक्ष को बचाने की कोशिश की जा रही है। एनजीओ के अध्यक्ष प्रेमनाथ दास एक रिटायर्ड अधिकारी हैं और उन्हें एक बड़े अधिकारी का संरक्षण प्राप्त है। लिहाजा पुलिस उनसे पूछताछ नहीं कर रही।
कहां है IAS
इधर एक आईएएस अधिकारी को भी लेकर सवाल खड़े हो रहे हैं कि आखिर पुलिस उनसे पूछताछ क्यों नहीं कर रही ? उनपर इसलिए सवाल खड़ा हो रहा है क्योंकि वो लंबे समय तक समाज कल्याण विभाग में कार्यरत् रहे हैं। फिलहाल वो रिटायर्ड बताये जा रहे हैं। साथ ही ऐसा कहा जा रहा है कि पूरा मामला सामने आने के बाद वो भूमिगत हो गये हैं।
कहां है डॉक्टर
अब पूरे मामले में पुलिस की जांच पर सवालिया निशान खड़ा हो रहा है। एनजीओ से जुड़े कई ऐसे लोग हैं जिनसे अबतक न तो पूछताछ हुई है और न ही वो पुलिस की गिरफ्त में आये हैं। विधायक की गाड़ी वाला मामला भी ठंडा पड़ गया है। कांग्रेस विधायक और मनीषा दयाल के संबंधों को लेकर सवाल उठ रहे थे लेकिन उस दिशा में जांच नहीं हुई। आसरागृह कांड में जिस डाक्टर का नाम आया था पुलिस अभी तक उसे भी नहीं ढूंढ पाई है। ये वही डॉक्टर हैं जिन्हें आसरा होम में रहनेवाली संवासिनों के इलाज के लिए अनुबंधित किया गया था।