पटना. राजद के बिहार प्रदेश अध्यक्ष पद से जगदानंद सिंह की छुट्टी तय मानी जा रही है. दूसरी बार अध्यक्ष बनाए गए जगदानंद सिंह के बारे में कहा जा रहा है कि वे राजद नेतृत्व से रूठे हुए हैं. इसलिए अध्यक्ष बनने के बाद से जगदानंद सिंह लगातार पटना से बाहर रह रहे हैं. अब पार्टी से दूरी बनाए रखने वाले जगदानंद सिंह से लालू यादव और तेजस्वी यादव भी दूरी बनाने की तैयारी में हैं. सूत्रों के अनुसार राजद के नए बिहार प्रदेश अध्यक्ष अब्दुल बारी सिद्दीकी होंगे. उनके नाम की आधिकारिक घोषणा जल्द ही की जा सकती है. अब्दुल बारी सिद्दीकी पहले भी पार्टी में अहम जिम्मेदारी संभाल चुके हैं. वे सात साल तक राजद के बिहार प्रदेश अध्यक्ष भी रहे हैं.
7 बार के विधायक और एक बार के विधान परिषद सदस्य अब्दुल बारी सिद्दीकी ने वर्ष 2003 से 2010 तक राजद के प्रदेश अध्यक्ष की जिम्मेदारी संभाली थी. साथ ही वे राज्य सरकार में मंत्री भी रह चुके हैं. 2015 में भी पिछली महागठबंधन सरकार में अब्दुल बारी सिद्दीकी को वित्त मंत्री का अहम जिम्मा दिया गया था. राजद में वे पार्टी के शीर्ष नेताओं में शुमार हैं. पहली बार 1977 में विधायक बने सिद्दीकी के पास बेहतर सांगठनिक कौशल माना जाता है. साथ ही लालू यादव के वे वफादार लोगों में गिने जाते हैं. माना जा रहा है कि पार्टी उनकी वरीयता और अनुभव को देखते हुए अब फिर से प्रदेश अध्यक्ष का जिम्मा देगी. हालांकि नाम की घोषणा शेष है.
सूत्रों का कहना है कि लालू यादव ने अब्दुल बारी सिद्दीकी को प्रदेश अध्यक्ष बनाकर दूर की चाल चलने की तैयारी की है. लालू हमेशा से यादव और मुस्लिम यानी एमवाई समीकरण को अपने लिए मुफीद मानते हैं. ऐसे में अब्दुल बारी सिद्दीकी को प्रदेश अध्यक्ष बनाकर वे राज्य के मुसलमानों को बड़ा संदेश देना चाहते हैं. इससे बिहार के मुसलमानों के बीच तेजी से पैर पसार रहे ओवैसी को भी रोकने में सफलता मिल सकती है. ओवैसी की पार्टी ने हालिया सम्पन्न गोपालगंज विधानसभा उपचुनाव में प्रभावशाली प्रदर्शन किया था. राजद उम्मीदवार को मिली हार में बड़ा कारण मुस्लिम वोटों का राजद से दूर होना माना गया. ऐसे में अपने परम्परागत वोट बैंक को बरकरार रखने के लिए लालू यादव एक बार फिर से अब्दुल बारी सिद्दीकी के सहारे एमवाई समीकरण को मजबूत करना चाहते हैं.
कहा जा रहा है कि अब्दुल बारी सिद्दीकी के नाम पर उप मुख्यमंत्री तेजस्वी यादव भी सहमत हैं. ऐसे में सिद्दीकी की ताजपोशी से राजद में नए युग की शुरुआत हो सकती है. यह एक तीर से कई निशाना साधने के जैसा होगा. जहाँ मुस्लिम वोट बैंक की गोलबंदी होगी, वहीं ओवैसी को राज्य से दूर करने की भी रणनीति होगी. सूत्रों की मानें तो लालू यादव के उपचार के लिए सिंगापुर जाने से पहले ही सिद्दीकी के नाम की घोषणा हो सकती है.
दरअसल, जगदानंद सिंह ने पिछले दिनों दिल्ली में लालू यादव से मुलाकात की थी. वे वहां से लौटने के बाद पटना के बदले कैमूर चले गए. कहा जा रहा है कि जगदानंद सिंह और लालू यादव की हुई मुलाकात में दोनों के बीच प्रदेश अध्यक्ष की जिम्मेदारी सँभालने को लेकर चर्चा हुई. हालांकि जगदानंद सिंह ने अपने स्वास्थ्य का हवाला दिया. वे पिछले कुछ समय से अलग अलग बिमारियों से ग्रसित बताए जा रहे हैं. कहा जा रहा है कि इसी कारण से वे पिछले करीब 2 महीनों से राजद दफ्तर भी नहीं गए हैं. वहीं उनके इस तरह राजद दफ्तर नहीं जाने से पार्टी का सांगठनिक कामकाज प्रभावित हो रहा है. इसी कारण पार्टी अब उनकी जगह किसी अन्य नेता को प्रदेश अध्यक्ष का जिम्मा सौंपना चाहती है.
इतना ही नहीं अगस्त में नीतीश कुमार के महागठबंधन में शामिल होकर नई सरकार बनाने के बाद जगदानंद सिंह के बेटे सुधाकर सिंह को कृषि मंत्री बनाया गया था. लेकिन वे लगातार अपने बयानों के कारण विवादों में रहे. अंत में जगदानंद सिंह ने ही सुधाकर के मंत्री पद छोड़ने की घोषणा की. उसके बाद से लगातार जगदानंद के तेवर तल्ख देखे जा रहे हैं. उनका राजद के कामकाज से अलग रहना ही उनकी नाराजगी का ही एक हिस्सा माना जा रहा है. लेकिन, अब उनकी जगह अब्दुल बारी सिद्दीकी को कमान सौपकर लालू अपने पुराने वफादार और साथी पर भरोसा जता सकते हैं.