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आदित्य एल-1 ने तीसरी बार सफलतापूर्वक बदली कक्षा, अभी दो अर्थ-बाउंड फायर बाकी

आदित्य एल-1 ने तीसरी बार सफलतापूर्वक बदली कक्षा, अभी दो अर्थ-बाउंड फायर बाकी

भारत का पहला सूर्य मिशन सूरज के बाहरी वातावरण के अध्ययन के लिए भेजे गए ‘आदित्य-एल1’ यान की पृथ्वी की कक्षा परिवर्तन से संबंधित चौथी और आखिरी प्रक्रिया मंगलवार तड़के सफलतापूर्वक पूरी कर ली गई. इसी के साथ पृथ्वी की कक्षा में 2 सितंबर से चक्कर लगा रहा ‘आदित्य-एल1’ ट्रांस-लैग्रेंजियन बिंदु-1 की तरफ स्थानांतरण कक्षा में दाखिल हो गया. इसरो ने बताया कि ट्रांस-लैग्रेंजियन बिंदु-1 की तरफ स्थानांतरण कक्षा में प्रवेश करने के साथ ही ‘आदित्य-एल1’ की लैग्रेंज बिंदु एल-1 के आसपास के निर्धारित क्षेत्र में पहुंचने की लगभग 110 दिन लंबी यात्रा शुरू हो गई. लैग्रेंजियन बिंदु पर सूर्य और पृथ्वी के बीच गुरुत्वाकर्षण बल संतुलित होता है, जिससे किसी उपग्रह को इस बिंदु पर रोकने में आसानी होती है.  इसरो ने कहा कि यह लगातार पांचवीं बार है जब भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन ने किसी वस्तु को अंतरिक्ष में किसी अन्य खगोलीय पिंड की तरफ सफलतापूर्वक स्थानांतरित किया है. ‘आदित्य एल1’ भारत की पहली अंतरिक्ष आधारित वेधशाला है, जो पृथ्वी से लगभग 15 लाख किलोमीटर दूर स्थित पहले सूर्य-पृथ्वी लैग्रेंजियन बिंदु एल-1 में रहकर सूरज के बाहरी वातावरण का अध्ययन करेगी.

भारत के सोलर मिशन आदित्य एल1 ने सफलतापूर्वक तीसरी बार भी कक्षा बदलने की प्रक्रिया को पूरा कर लिया है. यह जानकारी भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (ISRO) की तरफ से दी गई है. इसरो ने ट्वीट कर कहा कि आदित्य एल1 ने पृथ्वी की कक्षा को तीसरी बार बदलने की प्रक्रिया को बेंगलुरू के इस्ट्रैक सेंटर से सफलतापूर्वक पूरा कर लिया है. आदित्य एल1 की कक्षा बदलने की प्रक्रिया को बेंगलुरु में इसरो के टेलीमेट्री, ट्रैकिंग और कमांड नेटवर्क (आईएसटीआरएसी) से निर्देशित किया गया था. इस मिशन की प्रक्रिया को  मॉरीशस, बेंगलुरु, पोर्ट ब्लेयर में ISRO के ग्राउंड स्टेशनों से ट्रैक किया गया. आदित्य एल1 की नई कक्षा 296 किमी x 71767 किमी है. अब अगली प्रक्रिया 15 सितंबर को सुबह 2 बजे के आसपास होगी. बता दें कि सूर्य का अध्ययन करने के लिए इसरो ने अपने महत्वाकांक्षी मिशन आदित्य एल1 को 2 सितंबर को आंध्र प्रदेश के श्रीहरिकोटा में सतीश धवन अंतरिक्ष केंद्र से सफलतापूर्वक लॉन्च किया था.

इसरो के अनुसार 15 सितंबर सुबह 2 बजे उपग्रह आदित्य एल1 को चौथी कक्षा में भेजा जाएगा. इसके बाद आदित्य एल1 को एक और बार कक्षा बदलना पड़ेगा. इसके बाद उपग्रह ट्रांस-लैंग्रेजियन1 कक्षा में चला जाएगा. 18 सितंबर को आदित्य एल1 धरती के स्फेयर ऑफ इंफ्लूएंस से बाहर चला जाएगा, इस प्वाइंट को धरती का एग्जिट प्वाइंट कहा जाता है, क्योंकि यहां के बाद धरती के गुरुत्वाकर्षण प्रभाव काफी कम हो जाएगा.स्फेयर ऑफ इंफ्लूएंस से निकलने के बाद क्रूज फेज की शुरुआत करते हुए आदित्य एल-1 लैंग्रेज प्वाइंट की तरफ बढ़ेगा. फिर आदित्य एल-1 हैलो ऑर्बिट की ओर जाएगा, यहां कुछ मैन्यूवर के बाद उपग्रह एल-1 की कक्षा में दाखिल होगा.

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