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देश की सियासत में "आप" के बाद "बाप" पार्टी की हुई एंट्री..बीजेपी और कांग्रेस दोनों के लिए नई मुसीबत, जानिए इस पार्टी का एजेंडा क्या है...

देश की सियासत में "आप" के बाद "बाप" पार्टी की हुई एंट्री..बीजेपी और कांग्रेस दोनों के लिए नई मुसीबत, जानिए इस पार्टी का एजेंडा क्या है...

मध्य प्रदेश में नवंबर-दिसंबर में विधानसभा चुनाव है. भीलप्रदेश की मांग के साथ आदिवासियों के संवैधानिक हक जमीन पर दिलवाने के एजेंडे के साथ 10 सितंबर 2023 को ही भारतीय आदिवासी पार्टी यानी 'बाप' की लॉन्चिंग हुई . मध्यप्रदेश विधानसभा चुनाव में अब 'आप' के बाद 'बाप' भी उतर आया है. पश्चिमी मध्यप्रदेश की 21 आदिवासी बहुल विधानसभा सीटों पर 'बाप' ने  लड़ने की बात कही है.. भारतीय आदिवासी पार्टी (BAP) भील आदिवासी बहुल इलाकों की पार्टी है.बाप' के एमपी इकाई के प्रदेश अध्यक्ष ईश्वर गरवाल ने बताया कि उनकी पार्टी पश्चिमी मध्य प्रदेश के आदिवास समुदाय के लिए आरक्षित सीटों पर चुनाव लड़ेगी.

राज्य में मुख्य मुकाबला भाजपा और कांग्रेस के बीच माना जा रहा है. हालांकि दोनों बड़ी पार्टियों के सामने पहले 'आप' और अब 'बाप' नई मुसीबत बन कर आई हैं. 'आप' के बाद अब 'बाप' का प्रवेश मध्यप्रदेश की राजनीति में हो गया है. 

बता दें मध्यप्रदेश में कुल 47 आदिवासी समुदाय के लिए सीटें आरक्षित हैं. इन 47 सीटों सहित 80 सीटों पर आदिवासी मतदाता चुनाव परिणामों को प्रभावित करते हैं. मध्यप्रदेश की आबादी में 22 प्रतिशत आबादी आदिवासियों की है यानी मध्यप्रदेश का हर पांचवां मतदाता आदिवासी है. इसी आंकड़े के चलते भारत आदिवासी पार्टी को पश्चिम मध्यप्रदेश में अपनी घुसपैठ करने की उम्मीद है. 

अब मध्यप्रदेश के सियासी गणित को समझिए. माना जाता है कि मध्य प्रदेश में आदिवासी समुदाय जिस तरफ जाता है उसकी सरकार बन जाती है. साल 2003 , साल 2008 और साल 2013 में आदिवासी समुदाय की 47 में से 37 से ज्यादा सीटों पर भाजपा ने कब्जा किया था और सरकार बनाई. साल 2018 में कांग्रेस 47 में से  30 सीटों पर कब्जा किया तो उसने सरकार बना ली. हालाकि बाद में वहां भाजपा की सरकार बन गई.राज्य में भाजपा की कांग्रेस है. 2023 के विधानसभा चुनाव में मुकाबला भाजपा और कांग्रेस के बीच ही माना जा रहा है. 'आप' की एंट्री से भाजपा और कांग्रेस से नाखुश वोटर केजरीवाल की पार्टी को वोट दे सकते हैं एमपी में 'आप' केजरीवाल के 'दिल्ली मॉडल' का जोर शोर से प्रचार कर रही है. वहीं दूसरी तरफ अब 'बाप' की एंट्री से राज्य के आदिवासी वोटरों को साधना भाजपा-कांग्रेस के लिए चुनौतीपूर्ण होगा. बहरहाल भाजपा और कांग्रेस की मुश्कीलें जहां आप ने बढ़ाया है वहीं बाप भी नई मुसिबत बन कर उभरा है.


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