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मिड डे मील का खाना खाकर बच्चों की फिर बिगड़ी तबीयत, जांच के लिए पटना से पहुंची टीम

मिड डे मील का खाना खाकर बच्चों की फिर बिगड़ी तबीयत, जांच के लिए पटना से पहुंची टीम

BETIA : प.चम्पारण के बगहा अनुमंडलीय क्षेत्र के राजकीय मध्य विद्यालय बरवल में गुरुवार को मिड डे मील खाने से बीमार हुए सैकड़ों बच्चों का मामला शांत होने का नाम नही ले रहा है। एहतियातन तौर पर पंचायत की मुखिया सकीना खातून की पहल पर इस विद्यालय में दो दिवसीय मेडिकल कैंप का आयोजन किया गया है। इसी बीच पटना से शिक्षा विभाग के सहायक निदेशक शशि रंजन के नेतृत्व में तीन सदस्यीय टीम मिड डे मील मामले की जांच करने पहुंची है। 

बताया जा रहा है की अस्पताल से वापस घर लौटने के बाद देर रात में कुछ बच्चों की तबीयत पुनः खराब हो गई थी और बच्चों ने उल्टियां शुरू कर दी थी। जिसके बाद अभिभावकों ने इसकी जानकारी पंचायत की मुखिया को दी। लिहाजा मुखिया सकीना खातून की पहल पर दो दिवसीय मेडिकल कैंप का आयोजन किया गया है और सभी बच्चों का प्रोपर मेडिकल टीम द्वारा जांच किया जा रहा है। ORS घोल समेत अन्य दवाइयां दी जा रही हैं।

इसी बीच शिक्षा विभाग बिहार सरकार के सहायक निदेशक शशि रंजन के नेतृत्व में तीन सदस्यीय जांच टीम विद्यालय जांच करने पहुंची है। टीम असिस्टेंट डायरेक्टर के अलावा कार्यालय सहायक संतोष कुमार, डीपीओ कुणाल गौरव और बगहा दो प्रखंड के बीईओ विजय कुमार शामिल हैं। 

इस मामले में शिक्षा विभाग के सहायक निदेशक ने बताया की स्कूल में उन्होंने मिड डे मील खाने से प्रभावित बच्चों से पूछताछ की और एनजीओ द्वारा संचालित मिड डे मील भोजन का निरीक्षण किया। साथ हीं उन्होंने बच्चों के साथ बैठकर खाना भी खाया। सहायक निदेशक ने बताया की उन्होंने अस्पताल के उपाधीक्षक से भी गुरुवार को हुए घटना की जानकारी ली। जिसके बाद उन्होंने एनजीओ द्वारा खाना बनाए जा रहे स्थल का भी निरीक्षण किया। वे जल्द हीं अपनी जांच रिपोर्ट सरकार को सौंप देंगे। उन्होंने बताया की बच्चों ने भोजन के तीखा होने की शिकायत की थी।

वहीं मेडिकल कैंप का नेतृत्व कर रहे चिकित्सक डॉ डी पी गुप्ता ने बताया की प्रभारी चिकित्सा पदाधिकारी के आदेश पर विद्यालय परिसर में कैंप लगाया गया है। अधिकांश बच्चे ठीक हैं और आज भी उन्होंने मिड डे मील का भोजन किया है। दो तीन बच्चों को पर पेट दर्द की शिकायत अब भी है जिनका इलाज किया जा रहा है।

बता दें कि सरकारी स्कूलों में NGO द्वारा MDM की भोजन सप्लाई की जाती है जिससे बच्चे बीमार पड़े हैं अक्सर कीड़े मकोड़े औऱ फूड पॉयजनिंग की शिकायत मिलती है लिहाज़ा अभिभावक पूर्व की तरह स्कूलों में MDM शिक्षकों की निगरानी में बनवाने की मांग कर रहे हैं ऐसे में देखने वाली बात होगी कि शिक्षा विभाग स्कूली छात्रों के भविष्य व स्वास्थ्य को लेकर आगे क्या निर्णय लेता है

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