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जदयू सांसद किंग महेंद्र के निधन के बाद पैतृक गाँव में पसरा मातम, ग्रामीणों ने कहा उनके जैसे व्यक्तित्व की भरपाई असंभव है

जदयू सांसद किंग महेंद्र के निधन के बाद पैतृक गाँव में पसरा मातम, ग्रामीणों ने कहा उनके जैसे व्यक्तित्व की भरपाई असंभव है

JEHANABAD : देश के जाने माने उद्योगपति और राजनीतिक क्षेत्र में भी बड़ी पकड़ रखने वाले महेंद्र प्रसाद उर्फ किंग महेंद्र की रविवार की रात्रि मौत हो गई। जैसे ही मौत की खबर उनके पैतृक गाँव गोविंदपुर गांव में पहुँची तो गांव में मातम छा गया। उनके घर पर ग्रामीणों की भीड़ लगी है। ग्रामीणों ने बताया कि आज उनकी मौत की खबर से पूरे गाँव में मातम छा गया है। गांव में उनकी मौत से लोग सदमे में हैं। मौत की सूचना के बाद गांव में एक भी चूल्हा नहीं जला है। गौरतलब हो कि किंग महेंद्र का जन्म घोसी थाना क्षेत्र के ओकरी ओपी अंतर्गत गोविंदपुर गांव में 8 जनवरी 1940 को हुआ था। उनकी शिक्षा-दीक्षा गांव से शुरू होकर ओकरी हाई स्कूल एवं पटना के कॉलेजों में पूरी हुई। इनकी जीवन की शुरुआत एक दवा कंपनी एम आर के काम से किया। 

उसके बाद दवा के क्षेत्र में कदम बढाकर दवा की कंपनी बनाकर उसके मालिक बन बैठे। इनकी राजनीतिक जीवन की शुरुआत 1963 कम्युनिस्ट पार्टी से हुई। उसके बाद 1980 के दशक में कांग्रेस के टिकट पर जहानाबाद लोकसभा से चुनाव जीते। जब 1984 में चुनाव हार गए तो राज्यसभा सदस्य के रूप में इनको मनोनीत किया गया। इनके संपर्क में रहने वाले लोग बताते हैं कि राजनीति के क्षेत्र में लोकसभा एवं राज्यसभा में जितने पहलू से सांसद बनते हैं सभी पहलुओं से सांसद बने हैं। 1980 के समय से लेकर अब तक सांसद थे। महेंद्र प्रसाद एक गरीब परिवार में पैदा हुए। इनके पिता जी का मुख्य पेशा कृषि कार्य रहा। किसान के बेटा जिस तरह से इतने बड़े उद्योगपति बने। जिनका नाम बिहार एवं देश दुनिया में भी जाना जाता है। 

इनके संग रहने वाले लोगों ने बताया कि उन्होंने 224 देशों का भी दौरा किया है। 2004 में लिम्का बुक ऑफ वर्ल्ड रिकॉर्ड में इनका नाम दर्ज हो चुका है। इनके मौत के बाद गांव ही नहीं पूरे इलाके के लोगों में मायूसी है। ग्रामीण क्षेत्रों में जिस तरह से महेंद्र प्रसाद ने शिक्षा की अलख जगाई है। उससे पूरा इलाका शिक्षित हो गया है। इलाके के लोग कहते हैं कि महेंद्र प्रसाद ने इस इलाके के बहुत सारे युवाओं को रोजगार भी उपलब्ध कराया है । ग्रामीणों ने यह भी बताया उनके जाने से गांव का विकास निश्चित ही अवरुद्ध हुआ है। आने वाले वक्त में उनके जैसे व्यक्तित्व की भरपाई कर पाना असंभव है। उन्होंने अपने गांव और जिले के विकास के लिए काफी कुछ सोच रखा था।


जहानाबाद से गौरव की रिपोर्ट 

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