बेचैनी में हैं 'उम्रदराज' नेताजी ! शिलान्यास के अजब-गजब खेल में जुटे BJP सांसद, 'नेताजी' की मंशा इस बार होगी कामयाब ? 'टिकट' का संकट तो है ही बरकरार

PATNA: लोकसभा चुनाव नजदीक है. चुनावी बैतरनी पार करने को लेकर इन दिनों भाजपा सांसद (जो काफी उम्रदराज हो चुके हैं) तरह-तरह के जतन कर रहे. शिलान्यास-उद्घाटन पर नेताजी का खास फोकस है. शिलापट्ट पर नाम खुद जाय, इसको लेकर भाजपा सांसद खूब पसीना बहा रहे. क्या पता अगली दफे पार्टी टिकट देगी भी या नहीं. अगर टिकट मिल भी गया तो जनता जीता कर भेजेगी या नहीं ? वैसे बता दें, हर बार लहर पर सवार होकर ही नेता जी संसद पहुंचे हैं. एक उम्र को पार कर चुके नेताजी इन दिनों उपलब्धि लेने का कोई मौका नहीं छोड़ रहे. जिस योजना का प्रधानमंत्री मोदी ने शिलान्यास कर दिया, उसी को दूसरे तरह से पेश कर नेताजी फिर से शिलान्यास करने में जुटे हैं. दरअसल, रिटायरमेंट की दहलीज पर खड़े नेताजी फिर से चुनावी अखाड़ा में कूदने को बेचैन हैं. वैसे, 2019 लोकसभा चुनाव प्रचार के दौरान उम्रदराज हो चुके नेताजी जनता से यह वादा कर वोट लिए थे कि यह मेरे जीवन का अंतिम चुनाव है. समय के साथ नेताजी दूसरे वादों की तरह यह वादा भी भूल गए. अब नेता जी इतने बेचैन हैं कि भाजपा नेताओं को अपने संसदीय क्षेत्र में बारी-बारी से बुलवा कर ऐलान करवा रहे कि दूसरा कोई नहीं बल्कि वे ही कैंडिडेट होंगे.
उपलब्धि लेने को बेचैन हैं नेताजी
अब जरा ताजा घटनाक्रम पर आते हैं. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 6 अगस्त को एक साथ देश के 508 रेलवे स्टेशनों को अमृत भारत स्टेशन योजना के तहत पुर्नविकास का शिलान्यास किया था. इसी 508 रेलवे स्टेशनों में एक स्टेशन भाजपा सांसद (जो रिटायरमेंट के करीब हैं) के संसदीय मुख्यालय का था. कार्यक्रम को लेकर मंडल रेल प्रबंधक की तरफ से आमंत्रण पत्र छपवाया गया था. इसके इतर नेताजी की तरफ से भी अलग से आमंत्रण पत्र छपवाया गया. रेलवे के कार्यक्रम को भाजपा का बताते हुए बजाप्ता आमंत्रण पत्र बंटावाया गया, जिस पर प्रधानमंत्री और रेल मंत्री के बाद सिर्फ अपनी तस्वीर लगवाई, यानि जनता में यह बताने की कोशिश की गई कि यह कार्यक्रम सिर्फ उनका है. उनके प्रयास से ही यह सफल हो सका है. जबकि वजह कुछ और ही था. दरअसल, जिस रेलवे स्टेशन के उन्नयन के काम का शिलान्यास प्रधानमंत्री ने किया था, वो काफी ऐतिहासिक है.स्वतंत्रता आंदोलन से और गांधी जी जुड़े होने की वजह से रेलवे ने उक्त स्टेशन को पुनर्विकास का निर्णय लिया. लेकिन नेताजी ने उसमें अपनी उपलब्धि खोज ली. खैर...।
नेताजी की मंशा को जनता करेगी कामयाब ?
अब दूसरे बिंदू पर आइए. लोकसभा चुनाव सिर पर है...और अब तक नेताजी का टिकट भी कंफर्म नहीं है. लिहाजा, बूढ़े हो चुके नेताजी नेतृत्व से लेकर जनता तक को मैसेज देने की कोशिश में जुटे हैं. पार्टी को यह मैसेज देने की जुगत में हैं कि वही एक मात्र ऐसे कैंडिडेट हैं जो भाजपा के टिकट पर जीत सकते हैं. साथ ही जनता को यह बताने की कोशिश कर रहे कि विकास सिर्फ वही कर सकते हैं. अभी हफ्ते भर पहले नेताजी ने अपने संसदीय क्षेत्र के रेलवे स्टेशन पर बड़ा कार्य़क्रम कराया. बहाना शिलान्यास का बनाया. जिस रेलवे स्टेशन के पुनर्विकास का शिलान्यास पीएम मोदी ने किया उसके पच्चीस दिन बाद सांसद महोदय ने पुनर्विकास मॉडल का उद्घाटन किया. साथ ही रेलवे स्टेशन पर उसी संबंधित योजनाओं का शिलान्यास किया. बजाप्ता बड़ा कार्यक्रम किया गया और एक उम्र को पार कर चुके नेताजी ने घंटाभर अपनी उपलब्धि का बखान करते रहे.
राजनीतिक गलियारे में चर्चा...क्या ये पीएम से भी ऊपर हैं ?
राजनीतिक गलियारे में अब यह चर्चा शुरू है कि नेताजी अपने को प्रधानमंत्री से भी ऊपर समझ रहे ? प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने जिस योजना का शिलान्यास कर दिया, रेलवे स्टेशन के पुनर्विकास मॉडल को पास कर दिया उसे सांसद महोदय ने फिर से उद्घाटन-शिलान्यास किया है. जब प्रधानमंत्री ने 508 स्टेशनों के कार्य का शिलान्यास पहले ही कर दिया है तो फिर किस बात का शिलान्यास ?