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डेब्यू मैच में ही छा गए बिहार के सासाराम के रहनेवाले आकाशदीप, तेज गेंदों का सामना नहीं कर पाए इंग्लैंड के बल्लेबाज, तीन खिलाड़ियों को किया आउट

डेब्यू मैच में ही छा गए बिहार के सासाराम के रहनेवाले आकाशदीप, तेज गेंदों का सामना नहीं कर पाए इंग्लैंड के बल्लेबाज, तीन खिलाड़ियों को किया आउट

RANCHI : टेस्ट क्रिकेट में अपने पहले ही मैच में बिहार के रहनेवाले आकाश दीप ने शानदार प्रदर्शन कर चयनकर्ताओं के फैसले को सही साबित कर दिया। रांची में इंग्लैंड के खिलाफ खेले जा रहे चौथे टेस्ट में टीम इंडिया के स्टार गेंदबाज जसप्रीत बुमराह को आराम देने के कारण डेब्यू कर रहे आकाश दीप ने शुरूआत में ही बता दिया वह इस मौके को नहीं गंवाएंगे।

मूल रूप से बिहार के सासाराम के रहनेवाले 27 वर्षीय डेब्यूटेंट पेसर आकाश दीप ने इंग्लैंड के खिलाफ रांची टेस्ट में बेन डकेट के रूप में अपना पहला शिकार किया। हालांकि, उनका पहला शिकार जैक क्राउली होते अगर उनकी गेंद को नो बॉल नहीं दिया गया हो तो। दरअसल, वह टेस्ट क्रिकेट में अपने पहले स्पैल में एक बड़ी छाप छोड़ी। आकाश की शानदार गेंद ने क्राउली को चकमा दे दिया और गेंद ऑफ स्टंप ले उड़ी, लेकिन भारत के गेंदबाज की गेंद को अंपायर ने नो बॉल करार दिया और फिर टीम इंडिया का जश्न शांत हो गया

जैक क्राउली का जब स्टंप उड़ा तो टीम इंडिया और आकाश की खुशी देखते बन रही थी, लेकिन गेंद करते समय उनका पैर क्रीज से बाहर था और अंपायर ने आउट देने की जगह नो-बॉल करार दिया। हालांकि, आकाश ने बाद में एक बेहतरीन गेंद पर जैक क्राउली को क्लीन बोल्ड ही किया। हालांकि, इससे पहले उन्होंने ओपनर बेन डकेट को विकेट के पीछे ध्रुव जुरेल को कैच आउट कराकर अपना खाता खोला तो दो गेंद के भीतर ही ओली पोप को LBW किया। ये दोनों ही विकेट DRS से मिले थे।

एक ही ओवर में लिए दो विकेट

आकाश दीप के लिए यह सिर्फ शुरुआत थी, जिन्होंने एक ही ओवर में बेन डकेट और ओली पोप जैसे खिलाड़ियों को पवेलियन भेज दिया। कुछ ओवरों के बाद दीप ने क्राउली की गलती की भी भरपाई की। उन्होंने इंग्लिश बल्लेबाज को उसी तरह से आउट किया। हालांकि, इस बार उसने स्टंप के ऊपर से गेंद मारी, जिससे बेल्स उड़ गईं।

क्रिकेट खेलने के लिए छोड़ दिया था बिहार, पिता और भाई के निधन के बाद नहीं थे पैसे

आकाश के लिए राष्ट्रीय टीम के लिए खेलने का सफर आसान नहीं रहा। मूलरूप से बिहार के रहने वाले इस खिलाड़ी ने अपने जीवन में संघर्ष के कई दौर देखे हैं। कभी पिता-भाई के निधन ने तोड़ा तो कभी आर्थिक तंगी के कारण क्रिकेट छोड़ना पड़ा। आकाश के पिता उन्हें सरकारी नौकरी करते देखना चाहते थे। उन्होंने कई परीक्षाएं भी दीं, लेकिन उनके मन में हमेशा क्रिकेट चल रहा था। पढ़ाई में उतना मन नहीं लगता था। वह क्रिकेट के लिए ज्यादा समय निकालते थे।

आकाश के लिए 2015 उनके जीवन का सबसे कठिन साल रहा। उन्होंने छह महीने के अंदर अपने पिता और भाई दोनों को खो दिया था। पिता का निधन स्ट्रोक के कारण हुआ था। वहीं, दो महीने बाद उनके भाई ने भी दुनिया छोड़ दी। आकाश के घर में पैसे नहीं थे। उन्हें अपनी मां की देखभाल करनी थी। इस कारण उन्होंने क्रिकेट को तीन साल के लिए छोड़ दिया था। बाद में आकाश को लगा कि वह क्रिकेट से ज्यादा दिन दूर नहीं रह सकते हैं। इसके बाद दुर्गापुर चले गए। वहां से फिर कोलकाता पहुंचे। एक छोटे से कमरे में भाई के साथ रहने लगे।

दुर्गापुर में चाचा ने भी काफी मदद की। उन्होंने आकाश को मुश्किलों से बाहर निकाला और क्रिकेट पर ध्यान देने के लिए प्रेरित किया। आकाश ने 2019 में बंगाल के लिए पहला प्रथम श्रेणी मैच खेला। उसी साल लिस्ट ए और टी20 फॉर्मेट में भी डेब्यू का मौका मिला।

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