बिहार उत्तरप्रदेश मध्यप्रदेश उत्तराखंड झारखंड छत्तीसगढ़ राजस्थान पंजाब हरियाणा हिमाचल प्रदेश दिल्ली पश्चिम बंगाल

LATEST NEWS

हाय रे बिहार के अस्पताल: बदहाल स्वास्थ्य व्यवस्था की कहानी,हाथ में स्लाइन ले कर पानी चढ़वाओ, सदर अस्पताल में कुछ इस तरह होता है मरीजों का इलाज

हाय रे बिहार के अस्पताल: बदहाल स्वास्थ्य व्यवस्था की कहानी,हाथ में स्लाइन ले कर पानी चढ़वाओ, सदर अस्पताल में कुछ इस तरह होता है मरीजों का इलाज

कटिहार- बिहार स्वास्थ्य व्यवस्था के मामले में हमेशा सवालों के घेरे में रही है. राज्य के स्वास्थ्य मंत्री तेजस्वी यादव हैं, तेजस्वी लगातार स्वास्थ्य महकमें के चुस्त जुरुत होने की बात करते हैं. लेकिन आए दिन उनके दावों की पोल खुल जाती है. एक बार फिर एक ऐसी तस्वीर सामने आई है जिससे स्वास्थ्य विभाग पर सवाल खड़े कर दिया  है. 

कटिहार सदर अस्पताल में मोहम्मद सलाउद्दीन अपने दामाद मोहम्मद इकबाल को कोढ़ा थाना क्षेत्र के सालेपुर महेशपुर से इलाज के लिए लेकर आए. आधा घंटा बीत जाने के बाद  डॉक्टर ने स्इलाइन चढ़ाना शुरु किया तो स्लाइन संटैंड गायब था मजबूरी में परिजन ने हीं स्लाइन पकड़ कर चढ़वाना शुरु किया. इस दौरान न तो डॉक्टर को और नहीं नर्स को मरीज का ख्याल आया. परिजन बार बार डॉक्टर के सामने गुहार लगा रहे थे,लेकिन डॉक्टर साहब हैं साहब कैसे इतनी जल्दी सुन लेते. कटिहार अस्पताल का आलम है कि स्लाइन स्टैंड तक मरीजों को नसीब नहीं हो पा रहा है. अस्पताल में बुनियादी सुविधाओं का अभाव है. कभी डॉक्टरों की कमी, कभी सुविधाओं की कमी की वजह से मरीज़  सदर अस्पताल का रुख करने से बचते हैं. जो स्वास्थ्य सुविधा मरीज़ों को प्राइमरी और सेकेंडरी लेवल पर अपने ज़िलों में मिल जानी चाहिए थी, वो उन्हें नहीं मिल रही.

यह कोई हाल की घटना नहीं है बल्कि ऐसी घटनाएं शुरु से चलती आ रही हैं लेकिन कभी किसी ने इसे गंभीरता से नहीं लिया अधिकारी भी बयान देने से कतराते हैं क्योंकि उनकी पोल खुल जाती है, तो उनके पास दलील रखने के लिए कोई शब्द ही नहीं होते। ऐसे में उनसे भी किसी बदलाव की उम्मीद कैसे की जा सकती है? अस्पतालों में लोग स्वस्थ्य होने के लिए जाते हैं. इस आस में कि वहां उन्हें सही देखभाल और परामर्श मिलेगा लेकिन इसके विपरीत सुविधाएं मिलने लग जाएं तो? कहने का मतलब है कि अस्पताल में बिस्तर ना मिले और फर्श पर सोना पड़े, सलाइन की बोतल बिस्तर के साथ न होकर किसी परिवारजन के हाथों में ऊपर से लटक रही हो. 

कटिहार के सदर अस्इपताल के इस दृश्य को सोचकर देखिए. क्या आप ऐसी जगह पर इलाज कराना चाहेंगे? नहीं ना, तो सोचिए जिन मरीजों के पास लाखों रुपये देकर महंगे अस्पतालों में अपना इलाज कराने का विकल्प नहीं है उनके लिए सरकारी अस्पताल ही अंतिम सहारा होगा. ऐसे में सरकारी अस्पतालों का सुविधाओं से पूर्ण होना बहुत आवश्यक है. हालांकि आपातकालीन स्थिति में कभी-कभी समझौता किया जा सकता है लेकिन आम दिनों में बिल्कुल भी नहीं. 

Suggested News