हाय रे विधि का विधान! सड़क दुर्घटना में माता-पिता, बहु-बेटे की दर्दनाक मौत,बच गई तो सिर्फ तीन साल की याशी...अस्पताल में जिंदगी से जूझ रही...

जिंदगी और मौत उपर वाले के हाथ में है जहांपनाह, जिसे ना आप बदल सकते हैं ना मैं. हम सब तो रंगमंच की कठपुतलियां हैं, जिसकी डोर उपर वाले के हाथ बंधी हैं, कब, कौन, कैसे उठेगा, ये कोई नहीं जानता.इंसान की जिंदगी और मौत ऐसी हकीकत है, जिसका सामना हर इंसान को करना है. तो दूसरी सच्चाई यह भी है कि “जिंदगी और मौत सिर्फ ऊपर वाले के हाथ में है.” मुश्किल परिस्थितियों के बावजूद कुछ लोग जिंदगी की जंग जीत जाते हैं, तो उसी परिस्थिति में  जिंदगी की जंग हार जाते हैं. ऐसा ही एक मामला राजस्थान के अजमेर-चित्तौड़गढ़ हाईवे से सामने आया है, जिसमें माता पिता काल कवलित हो गए तो  तीन साल की एक बच्ची याशी ने मौत को मात दे दिया.

भीलवाड़ा से गुजर रहे अजमेर-चित्तौड़गढ़ हाईवे पर सुबह सड़क हादसे में एक ही परिवार के चार लोगों की असामयिक मौत हो गई, मृतकों में एक हीं परिवार के चार लोग शामिल हैं.माता-पिता और उनके बेटा-बहू  काल के गाल में समा गए.कार में सवार राधेश्याम, उनकी पत्नी शकुंतला देवी, बेटा मनीष और बहू याशिका की मौत हो गई.  वहीं इस दुर्घटना में 3 साल की बच्ची याशी ने मौत को परास्त कर दिया.बेटी याशी और कार ड्राइवर को हॉस्पिटल में भर्ती कराया गया है. मृतक के परिजन अजमेर में रहते हैं. सबसे दुखद ये है कि परिवार में केवल बच्ची हीं बची है.भीलवाड़ा के पुर थाना प्रभारी शिवराज गुर्जर ने बताया कि पांसल के पास एक चलती हुई कार का अचानक से टायर फट गया, इसके बाद  कार डिवाइडर से टकराने के बाद उछलकर सड़क के दूसरी तरफ गिरी और सामने से आ रहे ट्रक जा टकराई ,जिससे कार के चिथड़े उड़ गए.

मृतक के का कहना है कि मृतक राधेश्याम खंडेलवाल रिटायर्ड बैंक कर्मचारी थे और अभी डेयरी चलाते थे वहीं उनका बेटा  मनीष खंडेलवाल, बहू याशिका और उनकी तीन साल की बेटी किया अमेरिका में रहते थे. तीनों कुछ दिन पहले हीं अपने पैतृक घर राजस्थान आए हुए थे. सभी श्रीनाथ जी के दर्शन करने के लिए गए थे और वहां से लौटते वक्त यह दर्दनाक वाक्या हो गया.

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NIHER

अमेरिका से आए तो थे अपनी जन्मभूमि पर अपनों के साथ समय गुजारने .उन्हें क्या पता था कि यहां मौत खड़ी उनका इंतजार कर रही है. परिवार के चार लोगों ने तो मौत के आगे घुटने टेक दिए लेकिन एक तीन साल की बच्ची ने काल को परास्त कर दिया. आज परिवार में केवल एक तीन साल की बच्ची बची है, जिसे ये भी नहीं पता कि उसके सिर से मां-बाप का साया उठ चुका है.