BANKA : बिहार सरकार स्वास्थ्य सुविधाओं को लेकर तमाम तरह की दावे कर रही हैं। सरकार प्रतिमाह स्वास्थ्य के नाम पर करोड़ो रुपया खर्च कर रही है। लेकिन जमीनी हकीकत कुछ और ही बयाँ कर रही है। ऐसा ही मामला अमरपुर रेफरल अस्पताल में देखने को मिल रहा है। अमरपुर शहर में रेफरल अस्पताल बनने के लगभग 40 वर्ष बीत चुके हैं। लेकिन आज भी अस्पताल अपनी बदहाली पर आँसू बहाने को मजबूर है। रे
फरल अस्पताल में एमबीबीएस डॉक्टरों की घोर कमी है। एमबीबीएस डॉक्टर के नाम पर तीन डॉक्टर पदस्थापित है जिसमें चिकित्सा प्रभारी डॉ रायबहादुर, महिला चिकित्सक डॉ सुधा कुमारी तथा डॉ अपुर्व अमन सिंह है। बाकी आयुष चिकित्सक के भरोसे मरीजों का उपचार हो रहा है। जबकि बांका जिला के अंदर डिलिवरी कराने के मामले में अमरपुर रेफरल अस्पताल को प्रथम स्थान प्राप्त है। फिर भी व्यवस्था के मामले में रेफरल अस्पताल सबसे पीछे है। जबसे अस्पताल बना है। तब से हड्डी रोग विशेषज्ञ एवं प्लास्टर की सुविधा अस्पताल में बहाल कराने की मांग स्थानीय लोग करते आ रहे हैं। लेकिन आज तक इस दिशा में कोई कार्य नहीं किया गया। जिस कारण हल्का सा जख्मी होने पर मरीजो को रेफर कर दिया जाता है।
जिला पदाधिकारी के निर्देश पर अस्पताल में दंत रोग चिकित्सक की बहाली की गई। जिसके लिए लाखो रूपये खर्च कर चिकित्सक कक्ष बनाया गया। लाखो रूपये की बेशकिमती अत्याधुनिक मशीन की खरीदारी की गई। दंत रोग चिकित्सक के पद पर डॉ रेणूका दूबे को बहाल किया गया। लगभग पांच माह पुर्व चिकित्सक का तबादला हो गया। तबादले के बाद आज तक चिकित्सक की बहाली नही की गई। जिस कारण लाखो रूपये की मशीन धुल फांक रही है।
इस मामले को लेकर चिकित्सा प्राभारी ने कहा की अस्पताल में डॉक्टर की कमी के संबंध में विभाग को अवगत करा दिया गया है। दंत चिकित्सक की बहाली नहीं होने की वजह से थोड़ी परेशानी बढ़ी है। विभाग ने अविलंब डॉक्टरो की कमी को पुरा करने का आश्वासन दिया है।
बांका से चन्द्रशेखर कुमार भगत की रिपोर्ट