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अमित शाह का झंझारपुर दौरा,महागठबंधन के गढ़ पर नजर..इस समीकरण को साध नीतीश तेजस्वी को देंगे झटका! करेंगे चुनावी शंखनाद..

अमित शाह का झंझारपुर दौरा,महागठबंधन के गढ़ पर नजर..इस समीकरण को साध नीतीश तेजस्वी को देंगे झटका! करेंगे चुनावी शंखनाद..

पटना- कांग्रेस जैसे दल जहां 'भारत जोड़ो' यात्रा के माध्यम से अपने कार्यकर्ताओं में जान फूंकने की कोशिश में लगे हैं. वहीं भाजपा अपने विपक्षियों को बख्सने के मूड में कतई नहीं है.केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह के 16 सितंबर के मधुबनी के झंझारपुर दौरे पर आने वाले हैं तो उनके दौरे को लेकर स्वभाविक है राजनीति भी होगी.. शाह का मधुबनी में झंझारपुर के साथ ही भारत-नेपाल बॉर्डर के जोगबनी स्थित इंटिग्रेटेड चेक पोस्ट पर भी पहुंचने का कार्यक्रम है. जोगबनी में गृह मंत्री अमित शाह 20 करोड़ रुपये की लागत से एसएसबी जवानों के लिए आवासीय भवन का उद्घाटन करेंगे. इसके बाद शाह भाजपा कार्यकर्ताओं के साथ बैठक करेंगे. वहीं, केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह झंझारपुर में जनसभा को संबोधित करेंगे. बिहार के दो बड़े क्षेत्र मिथिलांचल और सीमांचल के दौरे पर एक साथ आ रहे हैं तो राजनीति के धुरंधरों के कान खडा होना स्वभाविक हीं है.

अब जरा गणित समझिए.झंझारपुर सीट 2019 में जनता दल यूनाईटेड  के खाते में थी. तब भाजपा-जदयू  साथ थे और  जदयू के रामप्रीत मंडल ने जीत हासिल की थी. राजनीतिक जानकारों का कहना है कि नीतीश के एनडीए छोड़कर लालू से हाथ मिलाने के बाद साल 2024 के लोकसभा चुनाव में असर देखने को मिल सकता है. जातीय समीकरणों के आधार पर देखें तो जदयू के राजद के साथ हाथ मिलाने का फायदा वहां मिलता दिख रहा है. अमित शाह के मिथालांचल दौरे से पहले मिथिलांचल से निषाद समाज के नेता हरि सहनी को बिहार विधान परिषद् में न केवल नेता प्रतिपक्ष बनाया, बल्कि मिथिला में इसका प्रचार भी हुआ. भाजपा ने यहां अपना दाव खेल दिया है.

झंझारपुर में केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह का दौरा अगड़ी जाति के लोगों को साथ लाने की कोशिश के रुप में भी दिखा जा रहा है. इस क्षेत्र का विधान सभा में प्रतिनिधित्व नीतीश मिश्रा करते है. नीतीश मिश्रा बिहार के पूर्व मुख्यमंत्री जगन्नाथ मिश्रा के पुत्र हैं. इस क्षेत्र में नीतीश के साथ जगन्नाथ मिश्रा का भी व्यापक प्रभाव है. वहीं नीतीश मिश्रा  यहां का प्रतिनिधित्व संसद में भी एक बार कर चुके हैं. भाजपा में नीतीश मिश्रा को मृदुभाषी, संयमित और विज्ञ नेता के रुप में जाना जाता है. नीतीश के काम करने के अलग तरीके के कारण क्षेत्र के लोग उन्हें पसंद भी करते हैं. ऐसे में माना जा रहा है कि अमित शाह स्टेज पर नीतीश मिश्रा को आगे करने का प्रयास करें, इससे संदेश देने की कोशिश होगी कि भाजपा  पिछड़ी जाति के लोगों का सम्मान दे रही है तो अगड़ी जाति को भी छोड़ नहीं रही.

शिक्षा मंत्री चंद्रशेखर के विवादित बयान के बीच अमित शाह बिहार आ रहे हैं तो  सनातन धर्म और विवादित बयान को राजनीतिक रंग देने की कोशिश होगी इससे इंकार नहीं किया जा सकता है.शाह चंद्रशेखर पर प्रहार कर नीतीश को कठघरे में खड़ा करने की कोशिश कर इसे चुनावी बहस बनाने की शुरुआत कर सकते हैं. इसका कारण है कि राजा जनक की नगरी मिथिलांचल में धर्म का अलग स्थान है.यह क्षेत्र राजा जनक की नगरी और माता जानकी का क्षेत्र कहा जाता है. ऐसे में शिक्षा मंत्री के  विवादित बयान पर केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह की प्रतिक्रिया आ सकती है.

वहीं  बिहार सरकार के जल संसाधन एवं सूचना-जनसंपर्क मंत्री संजय झा का यह गृह जिला है. उन्होंने इस इलाके को एक मिथिला हाट के रूप सौगात दी थी. लोगों का उन्हें भी समर्थन प्राप्त है, ऐसे में अमित शाह यहां रैली कर संजय झा को घेरकरर जदयू पर दबाव बनाने की कोशिश कर सकते हैं.

राजनीतिक पंडितों का कहना है कि  झंझारपुर में रैली का चुनाव अमित शाह और भाजपा ने रणनीति के तहत किया है. मिथिलांचल जिसमें दरभंगा, मधुबनी, सीतामढ़ी, समस्तीपुर, सुपौल, मधेपुरा और सहरसा जिले आते हैं  के इस इलाके में सबसे ज्यादा यादव और मुस्लिम समाज के लोग हैं. यह क्षेत्र मुस्लिम- यादव के समीकरण वाला माना जाता है. ऐसे में  अमित शाह इसी समीकरण को साधने के लिए झंझारपुर आ रहे हैं.

बहरहाल बिहार में पक्ष और विपक्ष की बदलती भूमिकाओं के इतर एक बात स्पष्ट है कि मिथिलांचल के भीतर गृह मंत्री अमित शाह की जनसभा से साल 2024 में होने वाले आम चुनाव का शंखनाद होने वाला है.

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