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पूर्णिया से 46 फीसदी आबादी को साधने का संदेश देंगे अमित शाह, 2024 और 2025 में नीतीश-लालू को मात देने की भाजपाई रणनीति को समझिये

पूर्णिया से 46 फीसदी आबादी को साधने का संदेश देंगे अमित शाह, 2024 और 2025 में नीतीश-लालू को मात देने की भाजपाई रणनीति को समझिये

पटना. गृह मंत्री अमित शाह शुक्रवार को पूर्णिया आ रहे हैं. दो दिनों के सीमांचल दौरे के दौरान अमित शाह एक तीर से कई शिकार करने की फ़िराक में होंगे. वे भले पूर्णिया और किशनगंज का दौरा करेंगे लेकिन उनका यह दौरा आने वाले लोकसभा चुनाव 2024 और विधान सभा चुनाव 2025 की रणनीति को पेश करने वाला भी रहेगा. अमित शाह जिस सीमांचल के इलाके में आ रहे हैं वहां भाजपा फ़िलहाल राजद-जदयू-कांग्रेस की तुलना में कमजोर है. दरअसल सीमांचल का यह इलाका अल्पसंख्यक बहुल है. यहां भाजपा की तुलना में अन्य दलों की मजबूत उपस्थिति मानी जाती है. पिछले लोकसभा चुनाव 2019 में राजग ने राज्य की 40 में से 39 सीटों पर जीत हासिल की थी. तब एक मात्र किशनगंज की सीट कांग्रेस के खाते में गई थी. लेकिन अब परिस्थिति बदल गई है. राज्य में महागठबंधन की सरकार है. ऐसे में राजद-जदयू और कांग्रेस सहित वाम दलों के एकजुट हो जाने से सीमांचल में भाजपा को कड़ी चुनौती मिल सकती है. यही कारण है कि अमित शाह ने सीमांचल से ही अपने दौरे की शुरुआत कर विपक्षी दलों को बड़ा संदेश दे दिया है. 


सीमांचल के जिलों की बात की जाए तो किशनगंज, पूर्णिया, अररिया और कटिहार के चार जिलों में अल्पसंख्यक आबादी करीब 46 फीसदी है. इसमें किशनगंज में अल्पसंख्यक आबादी करीब 68 से 70 फीसदी है. यहां लोकसभा की चार और विधानसभा की 24 सीटें हैं. इन पर जीत हार में इस अल्पसंख्यक वोट बैंक का अहम योगदान होता है. चुकी इस वर्ग का बड़ा समर्थन अब तक राजद-जदयू और कांग्रेस को मिलता रहा है, इससे ये दल यहां मजबूत रहे हैं. वहीं पिछले विधानसभा चुनाव में ओवैसी की पार्टी ने इसी सीमांचल इलाके में करीब आधा दर्जन विधानसभा सीटें जीतने में कामयाबी हासिल की. माना गया कि इसका कारण अल्पसंख्यक वोट बैंक का राजद-जदयू से शिफ्ट होकर ओवैसी के पक्ष में जाना रहा. हालांकि इसी साल ओवैसी के अधिकांश विधायक राजद में शामिल हो गए और अब सिर्फ उनकी पार्टी के एक विधायक शेष बचे हैं. 

अमित शाह और भाजपा की नजर सीमांचल में अल्पसंख्यक वोट बैंक पर भी है. हिंदुओं को मजबूती से अपने साथ बनाए रखने के साथ ही अल्पसंख्यक बिरदारी में पैठ जमाने के लिए भी अमित शाह कुछ विशेष ऐलान कर सकते हैं. पूर्णिया के रंगभूमि मैदान पर सियासत के नए रंग को साकार करने के लिए अमित शाह हुंकार भरेंगे. उनकी कोशिश इस इलाके के 46 फीसदी अल्पसंख्यक वोट बैंक को अपने पाले में करने की होगी. अगर वे ऐसा करने सफल रहते हैं तो 2024 के लोकसभा चुनाव में भाजपा का बिहार में 40 में 35 संसदीय सीटों पर जीत हासिल करने का सपना साकार हो सकता है. साथ ही अगर सीमांचल की चार सीटों पर भाजपा ने जीत का परचम लहरा दिया तो इसका मतलब होगा कि भाजपा के पक्ष में परम्परागत बहुसंख्यक वोट के साथ ही अल्पसंख्यकों का भी समर्थन मिलना. 

साथ ही अगर इस इलाके में भाजपा ने बड़ी जीत हासिल कर ली तो इसका दूरगामी असर विधानसभा 2025 के चुनाव पर भी पड़ेगा. भाजपा तब अपने गोलबंद वोटों के जरिए बिहार में अपने बल बूते सत्ता में आने सपना साकार कर सकती है. राजनीतिक जानकारों का कहना है कि यही कारण है कि भाजपा ने बिहार में सीमांचल से अपने अभियान की शुरुआत की है. इसमें भाजपा एक ओर अल्पसंख्यक वोटों को अपने पाले में लाने की कोशिश करेगी, दूसरी ओर उसकी कोशिश इस इलाके में हिंदुओं से जुड़े मुद्दों को उठाकर अपने लिए बड़ा भावनात्मक समर्थन हासिल करना होगा. 



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