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बाप रे....पथ निर्माण के एग्जीक्यूटिव इंजीनियर की 'पत्नी' 2021-22 में अचानक हो गईं 'जमींदार', इसके पहले कागज पर बताते थे NIL...खुद के ब्योरा से खुली पोल

बाप रे....पथ निर्माण के एग्जीक्यूटिव इंजीनियर की 'पत्नी' 2021-22 में अचानक हो गईं 'जमींदार', इसके पहले कागज पर बताते थे NIL...खुद के ब्योरा से खुली पोल

PATNA: बिहार सरकार भ्रष्टाचार रोकने को लेकर कई कदम उठाये हैं.सभी सरकारी सेवकों को हर साल अपनी संपत्ति का ब्योरा सार्वजनिक करना होता है। संपत्ति छुपाने पर उसे अवैध संपत्ति की श्रेणी में रखा जाता है। मुख्य सचिव ने कई दफे पत्र के माध्यम से सभी सरकारी सेवकों को साफ कर दिया है कि अगर संपत्ति के ब्योरा में जमीन-जायदाद का उल्लेख नहीं किया तो उसे अवैध मानी जायेगी.साथ ही आय से अधिक संपत्ति का केस दर्ज कर कार्रवाई भी की जा सकती है। इसके बाद भी संपत्ति को छुपाने का खेल जारी है.सरकार के आदेश पर रिश्वतखोर भ्रष्ट अफसरों के ठिकानों पर लगातार छापेमारी भी जारी है. आज हम पथ निर्माण विभाग के एक ऐसे कार्यपालक अभियंता के बारे में बता रहे हैं, जिनकी पत्नी अचानक जमींदार बन गईं. वित्तीय वर्ष 2020-21 तक इंजीनियर साहब की पत्नी के नाम पर एक ईंच भी जमीन नहीं थी. अगले साल यानि 2021-22 में 5 बीघा से अधिक कृषि योग्य व गैर कृषि योग्य भूमि की मालकिन बन गईं. हाऊस वाइफ पत्नी के नाम पर अचानक इतनी जमीन को कैसे दिखा दिया, यह तो पथ निर्माण विभाग के एग्जीक्यूटिव इंजीनियर ही बता सकते हैं.

पथ निर्माण के कार्यपालक अभियंता के बारे में जानें

हम बात कर रहे हैं पथ निर्माण विभाग के कार्यपालक अभियंता शैलेश कुमार की। शैलेश कुमार पिछले महीने तक बिहार पुल निर्माण निगम पटना में प्रोजेक्ट इंजीनियर के पद पर पदस्थापित थे. अक्टूबर 2022 में इन्हें किशनगंज में पथ निर्माण विभाग का कार्यपालक अभियंता बनाकर भेजा गया है. इन्होंने 2020-21 में अपनी संपत्ति का जो ब्योरा दिया था उसमें पत्नी के नाम पर एक ईंच जमीन का उल्लेख नहीं किया था। स्पाउस (wife) की संपत्ति वाले खाने में NILL का उल्लेख किया था. वर्ष 2020-21 तक इंजीनियर साहब की पत्नी के नाम पर न तो कृषि योग्य भूमि थी और न गैर कृषि योग्य। यानी पत्नी बिल्कुल ही भूमिहीन थीं. लेकिन अगले साल इंजीनियर शैलेश कुमार की पत्नी जमींदार बन गईं. अचानक उनके नाम पर पांच बीघा से अधिक जमीन हो गया। खुद कार्यपालक अभियंता शैलेश कुमार ने 2021-22 में अपनी संपत्ति के ब्योरा में इसका उल्लेख किया है. 6 फरवरी 2022 को सरकार को दिये संपत्ति ब्योरा में पत्नी के नाम पर 306 डिसमिल कृषि योग्य और 18 डिसमिल गैर कृषि योग्य भूमि का उल्लेख किया है। जबकि 31 जनवरी 2021 को इंजीनियर ने अपनी संपत्ति का जो ब्योरा दिया था उसमें पत्नी के नाम पर एक डिसमिल जमीन का भी उल्लेख नहीं किया था। इसके पहले के संपत्ति के ब्योरा में भी पत्नी के नाम जमीन का जिक्र नहीं किया है.  

2021 तक नहीं दी जानकारी, अचानक 2022 में किया सार्वजनिक 

आखिर एक साल में ही इंजीनियर के पास इतनी जमीन कहां से आ गई। इस पर हमने तहकीकात किया।  तब पता चला कि पत्नी के नाम पर जमीन तो पहले से ही है. लेकिन इंजीनियर साहब ने पत्नी के नाम पर खरीदी गई जमीन के बारे में सरकार को जानकारी नहीं दी थी। पत्नी के नाम पर बांका में 2016-19 में ही जमीन खरीदी गई. इसके अलावे पटना में भी। अब बड़ा सवाल यही है कि आखिर पथ निर्माण विभाग के इंजीनियर ने पत्नी के नाम पर अर्जित संपत्ति को इसके पहले तक छुपा क्यों रहे थे. हमने किशनंगज में पदस्थापित पथ निर्माण के कार्यपालक अभियंता शैलेश कुमार से पूछा तो उन्होंने कहा कि ऐसी बात नहीं है। मैं हर साल अपनी संपत्ति का ब्योरा सरकार को देता हूं. जब हमने पूछा कि पिछले साल तक तो आपने पत्नी के नाम वाली संपत्ति का उल्लेख तो नहीं किया था...अचानक पत्नी के नाम इतनी जमीन ? तब कार्यपालक अभियंता ने कहा कि कहीं कोई तकनीकी गड़बड़ी हुई होगी,इसी वजह से यह समस्या हुई होगी। वैसे कार्यपालक अभियंता ने अपनी संपत्ति के ब्योरा में एक और बड़ी गड़बड़ी की है. उसके बारे में अगली कड़ी में खुलासा करेंगे।  

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