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नवजात की जान बचाना समाजसेवी को पड़ा महंगा, डॉक्टर ने लगाया बच्चा चोरी का आरोप

नवजात की जान बचाना समाजसेवी को पड़ा महंगा, डॉक्टर ने लगाया बच्चा चोरी का आरोप

BHAGALPUR : भागलपुर में मानवता को शर्मनाक करनेवाली घटना सामने आई है. एक नवजात लावारिस बच्चे का जान बचाना एक सामाजिक कार्यकर्ता छोटू पांडे को महंगा पड़ गया. भागलपुर के डॉक्टर अजय कुमार सिंह के क्लीनिक में छोटू पांडेय द्वारा इलाजरत नवजात लावारिश बच्चे को लेकर भागने के आरोप के मामले ने तूल पकड़ लिया है. 

मामला यहां तक पहुंच गया है कि लॉकडाउन के दौरान कोरोनाकाल में कोराना वैरीयर्स के रूप में समाज में काम कर रहे एक सामाजिक कार्यकर्ता छोटू पांडे को चाईल्ड लाईन भागलपुर के समन्यवयक अमन कुमार और डॉक्टर ने क्लिनिक से बच्चा लेकर भागने और बच्चा चोर कहकर समाज के बीच बदनाम कर दिया. वहीं आदमपुर थाने मे छोटु पांडेय पर प्राथिमिकी दर्ज करने का दबाब भी दिया गया. लेकिन आदमपुर थाने ने अपना समझदारी दिखाते हुए मात्र रेस्क्यू तक ही मामले को सीमित रखा है. 

हुआ यह कि कहलगांव नंदलालपुर के पास हाट परिसर की झाड़ी में बीते 8 अगस्त को एक नवजात बच्चे को किसी अज्ञात व्यक्ति द्वारा फेक दिया गया था.. कहलगाँव के सामाजिक कार्यकर्ता छोटू पांडे अपने चारपहिया वाहन से उसी रास्ते से गुजर रहे थे गुजरने के क्रम में बच्चे के रोने की धीमी आवाज सुनाई दिया. कार्यकर्ता छोटू पांडे गाड़ी रोककर झाडी़ के पास देखने चले गए. वहां का दृश्य एवं बच्चे का दृश्य देखकर दंग रह गए. झाड़ी में नवजात को डलिया से ढँक कर और ऊपर से ईंट रख दी गई थी. उन्होंने डलिया को हटाया तो पाया कि नवजात की सांसे चल रही है और उनके गाल पर काफी गहरे कटे का निशान एवं जख्म है. छोटू पांडे ने नवजात को गोद में उठा लिया. साथ ही शहर की ओर भागे और कई डॉक्टर के पास जाकर उसके इलाज का अनुरोध करने लगे. 

लेकिन नवजात की हालात देखकर डॉक्टरों ने भागलपुर के एक अच्छे अस्पताल में ले जाने की सलाह दी. छोटू पांडे ने बिना देर किए अपने वाहन से उक्त नवजात बच्चे को लेकर डॉक्टर अजय कुमार सिंह के क्लिनिक में भर्ती कराया. जब बच्चे में सुधार होने लगा तो डॉ. अजय कुमार सिंह एवं चाइल्ड लाईन भागलपुर के जिला समन्वयक अमन कुमार ने मिलकर बिना प्रक्रिया का छोटू पांडेय पर बच्चे को छोड़ने का दबाब बनाने लगा. काफी दबाब को देखकर छोटू पांडेय ने खूद बच्चे का परवरिश करने का फैसला कर लिया. इस फैसले से डॉक्टर और समन्वयक को नागबार गुजरा और एक सामाजिक कार्यकर्ता छोटू पांडेय पर क्लिनिक से ईलाजरत नवजात शिशु को लेकर भागने का आरोप मढ़ दिया. ये कैसी विडम्बना है. आखिर लोग किसी की जान बचाने आगे कैसे आएँगे. बता दें कि फिलहाल बच्चे के हालात में सुधार हो रहा है. नवजात बच्चे के परिजन की भी पता चलने की संभावना जताई जा रही  है. 

भागलपुर से मनोज कुमार की रिपोर्ट 

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