सीटों के बंटवारे से पहले लालू-तेजस्वी करा रहे बिहार की सभी 40 लोकसभा सीटों पर सर्वे, सर्वे के बाद हीं 'इंडिया' महागठबंधन में सीट बंटवारे के आसार

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पटना: लोकसभा चुनाव की सरगर्मी अब तेज होने लगी है. सत्ताधारी गठबंधन एनडीए (एनडीए) और विपक्षी दलों के गंठजोड़ 'इंडिया' के बीच तरकश में तीर सजाए जाने लगे हैं. इसी महीने हो रहे संसद के विशेष सत्र के बाद दोनों गठबंधन खुल कर मैदान-ए-जंग में उतरने की कोशिश करेंगे. इसी महीने विपक्षी गठबंधन की समन्वय समिति की बैठक भी होनी है.  लालू प्रसाद यादव की पार्टी राजद ने बिहार की सभी 40 लोकसभा सीटों पर अपनी और इंडिया गठबंधन में शामिल पार्टियों की स्थिति जानने के लिए सर्वेक्षण शुरू करा दिया है. यह सर्वेक्षण इस बात को लेकर हो रहा है कि इंडिया गठबंधन में शामिल कांग्रेस, राजद, जदयू और लेफ्ट को किन-किन सीटों से लड़ना चाहिए. सर्वेक्षण के लिए एक एजेंसी को जिम्मेदारी सौंपी गई है. सर्वेक्षण के दौरान जाति गणना, पिछड़े वर्ग के लिए  बढ़ाए गए आरक्षण पर भी फीडबैक लिया जा रहा है. सू त्रों के अनुसार अगले कुछ दिनों में ही सर्वेक्षण पूरा कर रिपोर्ट सौंप दी जाएगी. 

राजद के सूत्रों के अनुसार कुछ हफ्ते पहले शुरू हुआ सर्वेक्षण दो स्तरों पर  एक स्वतंत्र एजेंसी कर रही है. इसमें पार्टी यह जानने की कोशिश कर रही है कि किस सीट पर उसकी कैसी स्थिति है. उन सीटों पर जहां राजद का पहले से बड़ा वोटबैंक है।.दूसरे स्तर का सर्वेक्षण जिला स्तर पर पार्टी के अपने नेताओं द्वारा किया जा रहा है. इसमें विभिन्न सीटों पर पब्लिक का मूड जानने की कोशिश हो रही है. इसमें यह पता लगाया जा रहा है कि जाति सर्वेक्षण और पिछड़ों और दलितों के लिए आरक्षण सीमा को 65% तक बढ़ाने के बारे में लोगों की क्या सोच है. 

सूत्रों के अनुसार सर्वेक्षण के दौरान यह भी पता लगाया जाएगा कि अलग अलग निर्वाचन क्षेत्रों में किस पार्टी को मैदान में उतरना चाहिए. किस पार्टी का कहां पर अच्छा जनाधार है, यह भी पता किया जा रहा है. गठबंधन सहयोगियों और विपक्षी दलों के मौजूदा सांसदों के बारे में भी फीडबैक लिया जा रहा है. बिहार की 40 में से कोई सीट राजद के पास नहीं है. जबकि राजद सहयोगी जदयू के पास लोकसभा में 16 सांसद हैं. कांग्रेस का एक सांसद है. 

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 डिप्टी सीएम तेजस्वी प्रसाद यादव सहित पार्टी के शीर्ष नेतृत्व द्वारा कराए जा रहे सर्वेक्षण का उद्देश्य न केवल पार्टी की सीटें जीतने की संभावना के बारे में फीडबैक लेना है बल्कि जेडीयू, कांग्रेस और लेफ्ट जैसे सहयोगियों के साथ बातचीत के लिए डेटा भी सामने रखना है. रिपोर्ट से यह भी पता चलेगा कि राजद कहां मजबूत है और इंडिया गठबंधन के अन्य सहयोगी किन सीटों पर मजबूत हैं. इससे सीटों के बंटवारे में भी आसानी हो जाएगी. इससे सीटों की अदला-बदली भी हो सकती है.  इंडिया गठबंधन के सहयोगी पिछले कुछ महीनों से सीटों के बंटवारे को लेकर बातचीत की प्रक्रिया में जुटी है. बीच में पांच राज्यों में विधानसभा चुनावों के कारण यह प्रक्रिया धीमी हो गई थी. हालाकि इस पर कोई भी नेता सरेआम कुछ बोलने से बच रहे हैं.

इंडी गठबंधन  बनने के पहले से ही बिहार में 6 दलों के महागठबंधन की सरकार चल रही है. आरजेडी. जेडीयू, कांग्रेस, और लेफ्ट की तीन पार्टियों- सीपीएम, सीपीआई और सीपीआई (एमएल) महागठबंधन में शामिल हैं. कांग्रेस ने पहले ही नौ सीटों पर दावा ठोंका हैं. सीपीआई (एमएल) ने भी चार सीटों पर दावेदारी की है. नीतीश कुमार की पार्टी जेडीयू के अभी 16 सांसद हैं, इसलिए वे इससे कम नहीं चाहेंगे. आरजेडी का भले ही लोकसभा में प्रतिनिधित्व शून्य है, लेकिन विधानसभा में सबसे बड़ी पार्टी होने के कारण उसकी भी नीतीश से कम की दावेदारी नहीं बनती है. अगर नीतीश अपनी सिटिंग सीटों जितनी संख्या यानी 16 मांगते हैं तो आरजेडी भी इससे कम पर तैयार नहीं होगा. ऐसे में 8 सीटें ही बचेंगी, जिनसे वाम दलों और कांग्रेस को संतुष्ट करना है. विपक्षी गठबंधन में सीटों के बंटवारे का पेंच यहीं फंसेगा. देखना है कि बिहार में विपक्षी गठबंधन को लीड करने वाली दो पार्टियां- आरजेडी और जेडीयू कितना त्याग करती हैं.