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बिहार में यहां बेटियों के नाम से रखे जाते हैं पौधों के नाम, बेटियां ही करतीं हैं देखभाल

बिहार में यहां बेटियों के नाम से रखे जाते हैं पौधों के नाम, बेटियां ही करतीं हैं देखभाल

VAISHALI : म्हारी छोरियां छोरों से कम हैं के, ये कहावत कई बार आपने सुनी होगी, कई बार बेटियों ने कुछ ऐसा किया होगा जिसके हिम्मत और जज्बे को देखकर आपने ये लाइन्स बोली होगी. अब देश बदल रहा है.. समाज बदल रहा है. बेटियों के सपने को लेकर लोगों के विचार बदल रहे हैं..इसी बीच बिहार के वैशाली जिले में बेटियों को शिक्षा के क्षेत्र में आगे बढ़ाने के लिए एक अनोखा प्रयास किया गया है. बेटियां स्कूल में पढ़े इसके लिए स्कूल ने छोटा सा प्रयास किया है और इस कदम का असर भी हुआ है.  इससे स्कूल में बेटियों का नामांकन भी बढ़ गया है. 

दरअसल वैशाली के राजकीय मध्य विद्यालय बेलकुंडा राजापाकर ने बेटियों के नाम से स्कूल परिसर में पौधे लगाना शुरू किया है। यहां स्कूल में हर छात्रा के नाम से एक पौधा लगाया गया है। ये पौधे वे छात्राएं लगाती है जिनका नामांकन इस स्कूल में होता है. यहां हर एक- एक पौधे पर नामांकित लड़कियों के नाम का एक बोर्ड लगाया जाता है। इस बोर्ड पर छात्रा का नाम, वर्ग का नाम और स्कूल का नाम रहता है। इसके साथ ही इस  पौधे की देखभाल भी छात्राएं खुद करती हैं। 

आपको बता दें कि विद्यालय प्रबंधन की तरफ से उठाए गए इस कदम का असर साफ़ तौर पर दिख रहा है फिलहाल स्कूल में सौ से अधिक छात्राएं नामांकित हैं। प्रखंड साधन सेवी प्रमोद कुमार ने बताया कि पौधे लगाने को लेकर छात्राओं में काफी उत्साह रहता है। स्कूल परिसर में दो सौ से अधिक पौधे बेटियों के नाम पर हैं। पर्यावरण के सजग प्रहरी के तौर पर राजापाकर का यह स्कूल ही उदाहरण नहीं है बल्कि अलग-अलग तरीके से प्रदेश के कई स्कूल पर्यावरण के प्रहरी बने हैं और हरियाली को बढ़ावा दे रहे हैं। 

बिहार से ये पहली तस्वीर नहीं है दरभंगा जिले में उतक्रमित मध्य विद्यालय सोनहर घनश्यामपुर दरभंगा के शिक्षक सुचित कुमार मंडल अब तक एक हजार से अधिक पौधों का वितरण कर चुके हैं। वह बताते हैं कि शादी-विवाह या किसी भी मौके पर गिफ्ट देना होता है तो केवल पौधे ही भेंट करते हैं। यहीं नहीं इसके लिए उन्होंने नर्सरी खोल रखी है। इसके अलावा हर महीने पांच पौधे स्कूल परिसर में लगाते हैं और उसकी देखभाल भी खुद ही करते हैं. 

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