पटना हाइकोर्ट ने भारतीय नागरिक नहीं होने के मामलें में 2016 से जेल में बंद अरवल के सैयद नकवी को रिहा करने का आदेश दिया है ।जस्टिस पीबी बजंथ्री एवं जस्टिस आलोक कुमार पांडेय की खंडपीठ ने सैयद नकवी की पत्नी अफ़शान निगार की आपराधिक रिट याचिका पर सुनवाई करते हुए यह निर्णय सुनाया। साथ ही जेल में सात महीने रहने के बाद बाकी की उसकी सजा भी माफ कर दी. सैयद नकवी के वकील अमित नारायण ने बताया कि सुप्रीम कोर्ट में 2022 में अना परवीन के मामले में दिये गये फैसले को आधार मानकर नकवी को जमानत मिली है.
उल्लेखनीय है कि अरवल में जन्मे सैयद नकवी को 1982-83 में उसकी नानी अपनी सेवा के लिए पाकिस्तान लेकर चली गयी थी । इस दौरान वहां नकवी को पाकिस्तान की नागरिकता मिल गयी । 2012 में नकवी के पिता ने संदेश भेजा कि वह बीमार हैं, नकवी पाकिस्तान से वीजा लेकर अरवल पहुंच गया । वीजा की अवधि मात्र छह महीने थी । छह महीने में उसके पिता की तबीयत ठीक नहीं हुई । नकवी बिना वीजा की अवधि बढ़ाये भारत में रह गया । पुलिस ने इस आधार पर उसे गिरफ्तार कर लिया । पुलिस को शक हुआ कि कहीं नकवी पाकिस्तान से ट्रेनिंग लेकर तो नहीं आया है। हालांकि, बाद में जांच में यह शक गलत साबित हुई।
भारतीय महिला से की शादी
नकवी ने पटना हाइकोर्ट में अपील की. हाइकोर्ट ने केंद्र और राज्य सरकार को नोटिस भेजा. इस दौरान नकवी ने भारतीय मुस्लिम महिला से शादी भी कर ली. 2017 से जहानाबाद के डिटेंशन सेंटर में रह रहे नकवी के वकील अमित नारायण ने बताया कि उन्होंने हेबियस कार्पस के रूप में याचिका दायर की है. इस बीच जब भारतीय विदेश मंत्रालय ने जब पाकिस्तान से संपर्क किया, तो पाकिस्तान सरकार ने कहा कि नकवी ने जो पता बताया है, वह मिल नहीं रहा है. राज्य सरकार ने अपनी ओर से हलफनामा दायर कर कहा कि नकवी को लेकर कोई खतरा नहीं दिखता, लेकिन नागरिकता पर फैसला लेने का अधिकार केंद्र सरकार के पास है.
राज्य सरकार ने अपनी ओर से हलफनामा दायर कर कहा कि नकवी को लेकर कोई खतरा नहीं प्रतीत होता है, लेकिन नागरिकता पर फैसला लेने का अधिकार केंद्र सरकार के पास है ।