PATNA: बिहार के सरकारी विद्यालयों में छुट्टी विवाद के बीच शिक्षा विभाग ने एक बड़ा फैसला लिया है. शिक्षा विभाग ने स्पष्ट किया है कि इस शैक्षणिक कैलेंडर वर्ष में 200 से लेकर 220 दिन की क्लास होगी. जरूरत पड़ी तो घोषित या आकस्मिक अवकाशों पर पुनर्विचार किया जाएगा. अगर, 200 दिनों तक क्लास होने की संभावना नहीं दिखी तो घोषित या आकस्मिक अवकाश को रद्द भी किया जा सकता है.
केके पाठक का बड़ा निर्णय !
शिक्षा विभाग की तरफ से बताया गया है कि शिक्षा के अधिकार अधिनियम में कम से कम 200 से 220 दिन की पढ़ाई की व्यवस्था की गई है. शिक्षा विभाग की तरफ से बताया गया है कि 1 जुलाई से विद्यालयों का लगातार निरीक्षण किया जा रहा है, जो पहले नहीं होता था. आज की तारीख में लगभग 40000 विद्यालयों का निरीक्षण प्रतिदिन किया जा रहा है. अब विद्यालय कितने दिन खुले हैं और कितने दिन बंद हैं, अब यह स्पष्ट तौर पर कहा जा सकता है. पहले इतने बड़े पैमाने पर निरीक्षण की व्यवस्था नहीं थी, तो जिला शिक्षा पदाधिकारी केवल घोषित और आकस्मिक अवकाश के आधार पर गणना करते थे कि विद्यालय में कुल कितने दिनों की पढ़ाई हुई. अब जबकि निरीक्षण की व्यवस्था की गई है, उसे पता चला है कि कई अघोषित अवकाश भी स्थानीय कारणों से प्रशासन द्वारा किये जाते रहे हैं. इतना ही नहीं कई विद्यालय बिना कोई अवकाश घोषित किया ही स्थानीय वजह से बंद रहे और वहां पढ़ाई नहीं हुई.
घोषित नहीं बल्कि अघोषित अवकाश सबसे बड़ी समस्या
शिक्षा विभाग की मुख्य समस्या घोषित अवकाश नहीं बल्कि अघोषित अवकाश है. जिसकी जानकारी मुख्यालय की बात तो छोड़िए जिला शिक्षा पदाधिकारी को भी नहीं हो पाती थी. जब से निरीक्षण की व्यवस्था हुई है तो कई चौंकाने वाले तथ्य सामने आए हैं. अब बिना घोषित, आकस्मिक अवकाश के भी विद्यालय के बंद होने की सूचना मिल रही है. शिक्षा विभाग ने बताया है कि कई स्थानीय वजह से विद्यालयों में अघोषित अवकाश किया जाता है. जिसमें बाढ़ के चलते स्कूलों में पानी लग जाना, शीत लहरी के कारण विद्यालय बंद किया जाना, लू के चलते विद्यालय बंद किया जाना. स्वतंत्रता दिवस, गणतंत्र दिवस या अन्य विधि व्यवस्था संबंधी वजह जैसे स्कूलों में पुलिस का रुकना, श्रावणी मेला में कांवरियों के रुकने की व्यवस्था किया जाना, जिसकी वजह से लगातार 1 महीने तक पाठन बाधित रहना. विभिन्न प्रकार के आयोग, परीक्षा, बोर्ड की परीक्षा हेतु विद्यालय अथवा शिक्षक अथवा दोनों का इस्तेमाल किया जाना. यही वजह है कि स्कूलों में पठन-पाठन बाधित हो जाती है.