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बड़ा सियासी दांव : सरकार गंवाने के पहले उद्धव ठाकरे ने महाराष्ट्र में किया बड़ा खेला, लिया ऐसा फैसला जिसे हर हालत में स्वीकारेगी भाजपा

बड़ा सियासी दांव : सरकार गंवाने के पहले उद्धव ठाकरे ने महाराष्ट्र में किया बड़ा खेला, लिया ऐसा फैसला जिसे हर हालत में स्वीकारेगी भाजपा

DESK. करीब एक सप्ताह के राजनीतिक उठापटक के बाद उद्धव ठाकरे ने बुधवार को अंततः महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री पद से इस्तीफा से दिया. लेकिन, इस्तीफा देने के पहले ठाकरे ने ऐसा काम कर दिया जिसे बदलना अब आने वाली संभावित भाजपा नीत गठबंधन सरकार के लिए नामुमकिन है. दरअसल उद्धव ठाकरे ने सीएम पद से इस्तीफा देने कुछ घंटे पहले राज्य के दो शहरों के नामों को लेकर बड़ा ऐलान किया. महाराष्ट्र कैबिनेट ने कल शाम दो शहरों और एक एयरपोर्ट के नाम बदलने पर मुहर लगा दी. महाराष्ट्र कैबिनेट ने इस बात की मंजूरी दी कि औरंगाबाद अब संभाजीनगर के नाम से जाना जायेगा. इसके अलावा उस्मानाबाद शहर का नया नाम धारशिव होगा. इन दो शहरों के अलावा अब नवी मुंबई अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डे को दिवंगत नेता बीए पाटिल अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डे के नाम से जाना जायेगा.

उद्धव सरकार के इन फैसलों का राज्य की राजनीति पर दूरगामी असर पड़ना तय है. औरंगाबाद और उस्मानाबाद का नाम बदलने का प्रस्ताव लम्बे समय से लटका था. कई राजनीतिक दल और सामाजिक संगठन इन दोनों शहरों का नाम मुस्लिम शासकों और इस्लामी नाम से बदलकर मराठी एवं हिंदू स्वाभिमान से जुड़े ऐतिहासिक महापुरुषों के नाम पर रखने की मांग करते रहे हैं. अब सरकार जाने के कुछ घंटे पहले ही उद्धव ठाकरे ने बड़ा फैसला लिया और दोनों शहरों का नाम बदल दिया. इसी तरह हवाईअड्डे का नाम बदलकर भी एक दीर्घ लंबित मांग पूरी कर दी. 

चुकी ये सारे बदलाव ऐसे हैं जिसका वोटबैंक के लिहाज से असर पड़ना तय है इसलिए आने वाली भाजपा सरकार शायद ही नाम को बदलने की पहल करे. ऐसे भी बदले गए नाम बहुसंख्यक समुदाय के वोट बैंक को प्रभावित करने वाला है इसलिए अब दोनों शहरों और हवाईअड्डे का नाम क्रमशः संभाजीनगर, धारशिव और बीए पाटिल अंतरराष्ट्रीय हवाईअड्डा होना तय है. 

हालांकि नाम बदले को लेकर अब महारष्ट्र में राजनीति भी शुरू हो गई है. औरंगाबाद का नाम बदलने से भड़के AIMIM के सांसद इम्तियाज जलील ने उद्धव ठाकरे पर तंज कसते हुएऐ और कहा कि जैसे ही उन्होंने सत्ता खोना शुरू किया, उन्होंने यह निर्णय लिया. मैं उद्धव जी को बताना चाहता हूं कि इतिहास बदला नहीं जा सकता, नाम बदल सकते हैं. आप सस्ती राजनीति का एक बड़ा उदाहरण स्थापित कर रहे हैं. केवल लोग ही तय कर सकते हैं कि औरंगाबाद का कौन सा नाम रहेगा.


वहीं, शिवसेना के मुखपत्र सामना में उद्धव सरकार द्वारा औरंगाबाद और उस्मानाबाद का नाम बदले जाने के फैसले की तारीफ की गयी है. सामना ने अपने संपादकीय में लिखा कि जैसे शिवसैनिकों ने जैसे अयोध्या से बाबर का नामोनिशान मिटाया था, वैसे ही महाराष्ट्र से औरंगाबाद का नाम मिटा दिया गया. सामना ने लिखा कि उद्धव कैबिनेट में जनभावना से संबंधित फैसले लिये गये. औरंगाबाद का संभाजीनगर और उस्मानाबाद को धाराशीव करके मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे ने वचन पूरा किया. लिखा कि औरंगाबाद का नाम बदलने पर कुछ लोगों के पेट में दर्द हुआ. फिर भी उसकी परवाह किये बगैर मुख्यमंत्री ने यह निर्णय लिया.

मुस्लिमों से इस नाम बदलने के फैसले का सम्मान करने की अपील करते हुए लिखा गया कि  अयोध्या मामले में सुप्रीम कोर्ट का निर्णय जिस नम्रता से देश भर के मुस्लिम समाज ने स्वीकार किया था, वही भूमिका संभाजीनगर के मामले में अपनानी चाहिए. विपक्ष ने यह बात फैलायी थी कि ठाकरे सरकार औरंगाबाद का संभाजीनगर करने से डरती है. पूछा कि फडणवीस का शासन जब महाराष्ट्र में था, तो उन्होंने यह काम क्यों नहीं किया, इस सवाल का जवाब उन्हें पहले देना चाहिए?


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