पटना. बिहार सरकार ने प्रशासनिक सुधार और विकास हितों को देखते हुए प्रावधान बना रखा है कि अधिकारियों और कर्मचारियों का तबादला तीन साल की अवधि के बाद ही होगा. ऐसे अपवाद स्वरूप कई दफा विशेष प्रशासनिक प्रयोजन के तहत जून के महीने में तीन साल से कम अवधि वालों का भी तबादला किया जाता है. लेकिन अमूमन ऐसा नहीं होता. दूसरी तरह बिहार सरकार को अपने ही एक अधिकारी का एक साल से कम की अवधि में तबादला करना महंगा पड़ा. पटना हाई कोर्ट के आदेश के बाद न सिर्फ उस अधिकारी को पुनः उसी जगह पदस्थापित किया गया बल्कि कई विभागों के लिए यह एक पाठ की तरह सामने आया है.
BDO का तबादला करना भारी: दरभंगा के सिंहवाडा प्रखंड के प्रखंड विकास पदाधिकारी शशि प्रकाश को तबादला से जुड़े एक मामले में बड़ी जीत मिली है. शशि प्रकाश ने अपने स्थानातंरण से जुड़े एक आदेश को चुनौती दी थी. ग्रामीण विकास विभाग से जुड़े इस मामले में शशि प्रकाश को सहायक परियोजना पदाधिकारी, जिला ग्रामीण विकास अभिकरण, मधेपुरा में पदस्थापित किया गया था. शशि प्रकाश ने अपने इस स्थानांतरण को चुनौती दी जिसके बाद उनके पक्ष में बड़ा आदेश जारी हुआ. राज्य सरकार की ओर से जारी हालिया आदेश में शशि प्रकाश को सहायक परियोजना पदाधिकारी, जिला ग्रामीण विकास अभिकरण, मधेपुरा से स्थानांतरित करते हुए दरभंगा के सिंहवाडा प्रखंड में ग्रामीण विकास पदाधिकारी पर पदस्थापित किया गया है.
दरअसल, शशि प्रकाश का एक साल से भी कम समय में अन्य जगह पर तबादला किया गया था. इसे उन्होंने नियम विरुद्ध बताते हुए चुनौती दी थी. पटना हाई कोर्ट द्वारा जारी एक आदेश के अनुसार इस प्रकार एक साल से कम समय के तबादलों पर राज्य सरकार को पहले ही सख्त आदेश दिया जा चुका है. हाई कोर्ट के उसी आदेश के अनुसार शशि प्रकाश को बड़ी जीत मिली है और उन्हें पुनः सिंहवाडा में पदस्थापित किया गया है. ग्रामीण विकास विभाग की ओर से जारी पत्र में कहा गया है कि राजीव रंजन कुमार जो मौजूदा समय में सिंहवाडा में ग्रामीण विकास पदाधिकारी सह प्रभारी प्रखंड विकास पदाधिकारी का कार्यभार देख रहे थे वे अब ग्रामीण विकास विभाग (मुख्यालय) में योगदान दें.
विकास कार्यों को करता है प्रभावित: सूत्रों का कहना है कि बिहार सरकार के कई विभागों में इसी तरह कई अधिकारियों का तबादला एक साल से भी एक समयावधि में अन्य जगहों पर किया गया है. कई अधिकारी इसे नियमतः नहीं बताते हैं. उनका कहना है कि इस प्रकार का स्थानांतरण कार्य को प्रभावित करता है और नियम के खिलाफ है. खासकर कई बार अधिकारियों को इसी बहाने निशाना भी बनाया जाता है. अधिकारी बार बार के तबादले से परेशान होते हैं. कई बार ऐसे तबादले दबाव या फिर किसी को ‘सजा’ के तौर पर भी दिया जाता है.
शशि प्रकाश के तबादले को लेकर सूत्रों का कहना है कि वे भी ‘शिकार’ बनाए गए. हालांकि उन्होंने अपने स्थानांतरण के खिलाफ आवाज उठाई और अब उन्हें पुनः सिंहवाडा का प्रभार मिला है. एक अधिकारी के अनुसार इस प्रकार के तबादले से कई विभाग के अधिकारी प्रताड़ित हैं. ऐसे में शशि प्रकाश का मामला एक नजीर है कि उन्होंने अपने अधिकार की लड़ाई लड़ी और बड़ी जीत हासिल की.
कई विभागों के लिए सबक : दरअसल, सरकार के कई विभागों के अधिकारी नाम न छापने की शर्त पर कहते हैं कि कई बार जानबूझकर ऐसे तबादले किए जाते हैं. ऐसे में यह मामला अब विभागों के लिए सबक है जो तबादला के नाम पर अधिकारियों और कर्मचारियों को प्रताड़ित करते हैं.