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बिहार है भारत की 'सोने की चिड़िया' ! देश का 44 प्रतिशत सोना राज्य में मौजूद, अब क्या चमकेगी प्रदेश की किस्मत?

बिहार है भारत की 'सोने की चिड़िया' ! देश का 44 प्रतिशत सोना राज्य में मौजूद, अब क्या चमकेगी प्रदेश की किस्मत?

PATNA: बिहार, भारत की सोने की चिड़िया है। सुनने में ये बात भले ही अटपटी लगे लेकिन ये सच है। ये सोना ना तो तिजोर में रखे गए हैं ना ही किसी बैंक के लॉकर में... ना ही आम लोगों के पास इतने गहने है...इसके बावजूद बिहार को सोने की चिड़िया माना जा रहा है। बिहार का एक ऐसा जिला है जहां बहुत सारा सोना दबा हुआ है बस इसे निकालने की देरी है। अगर ये सोना निकाल दिया जाए तो बिहार में बहार आ जाएगा। 

दरअसल, बिहार के जमुई जिला मुख्यालय से 48 किलोमीटर दूर सोनो प्रखंड के चुरहैत पंचायत के करमटिया में पूरे देश के कुल स्वर्ण भंडार का 44 प्रतिशत सोना मौजूद है। इसकी पुष्टि भारतीय भूवैज्ञानिक सर्वेक्षण ने की है। भारतीय भूवैज्ञानिक सर्वेक्षण(जियोलॉजिकल सर्वे ऑफ इंडिया) के निदेशक ने बताया कि यहां 22 करोड़ टन सोना मौजूद है। इसके उत्खनन से न केवल जमुई को विश्व स्तर पर प्रसिद्ध मिलेगी, बल्कि स्थानीय लोगों को रोजगार मिलेगा। इसके अलावा क्षेत्र के विकास के साथ-साथ आधारभूत संरचना का भी विकास होगा।

इसके अलावा इस जगह पर प्रचुर मात्रा में सोना मिलने की जानकारी जियोलॉजिकल सर्वे ऑफ इंडिया ने वर्ष 2021 में करमटिया और उसके आसपास के क्षेत्रों में कई जगहों पर मशीन के माध्यम से खुदाई के बाद दिया था। वर्ष 2022 में केंद्रीय खनन मंत्री प्रहलाद जोशी ने लोकसभा में जियोलॉजिकल सर्वे ऑफ इंडिया की टीम की जांच रिपोर्ट के पश्चात इस जानकारी को सरकारी स्तर से सार्वजनिक किया। इसके बाद बिहार सरकार के तत्कालीन खनन मंत्री ने भी बिहार विधानसभा और परिषद में इस जानकारी को साझा किया।

बिहार सरकार देश के इस सबसे बड़े गोल्ड रिजर्व के उत्खनन के लिए अनुमति लेने का विचार किया है। भारतीय भूवैज्ञानिक सर्वेक्षण के निदेशक रूपेश कुमार ने बताया कि सरकार को करमटिया में सोना के स्वर्ण भंडार पाए जाने से संबंधित सभी प्रकार का प्रतिवेदन सुपुर्द कर दिया है। अब इस दिशा में अगली कार्रवाई के लिए सरकार के आदेश का इंतजार किया जा रहा है। 

जानकारी अनुसार पहली बार 1981 में इस बात का खुलासा हुआ था। तब रातों रात यहां के ग्रामीण अमीर बन गए थे। माना जाता है कि लोगों के द्वारा पहाड़ की खुदाई कर सोने को बेचना शुरु कर दिया गया था। जिसके चलते आनन फानन में भारत सरकार ने वर्ष 1982 में इस क्षेत्र को संरक्षित क्षेत्र घोषित करते हुए किसी भी प्रकार के उत्खनन पर तुरंत रोक लगा दिया। 

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