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बिहार में सत्ताधारी पार्टी के 'प्रवक्ता' की प्रवक्तागिरी के सामने बड़े नेताओं का जलवा भी हुआ फुस्स, 'कप्तान' महोदय भी कोसों पीछे.....

बिहार में सत्ताधारी पार्टी के 'प्रवक्ता' की प्रवक्तागिरी के सामने बड़े नेताओं का जलवा भी हुआ फुस्स, 'कप्तान' महोदय भी कोसों पीछे.....

PATNA: बिहार की सत्ताधारी पार्टी के एक प्रवक्ता महोदय की सेटिंग तगड़ी है।अपनी सेटिंग की वजह से उन्होंने सभी साथियों को पीछे छोड़ दिया है।वैसे वे अपनी पार्टी में कोई अकेला प्रवक्ता नहीं बल्कि उनके साथ 10 अन्य प्रवक्ता हैं जो पार्टी के लिए उनसे अधिक समय देते हैं। वे अपने दल के मुख्य प्रवक्ता भी नहीं हैं लेकिन पहुंच की बदौलत वे सब पर भारी पड़ते हैं।उनकी प्रवक्तागिरी के सामने बड़े नेताओं का जलवा भी फुस्स हो गया है।यूं कहें कि कप्तान महोदय भी कोसों पीछे छूट गए हैं।

दूसरी पारी खेल रहे महोदय

कैरियर की पहली पारी खत्म कर दूसरे पारी खेल रहे प्रवक्ता महोदय ने ऐसी घेराबंदी की हुई है कि कई मामलों में तो अपने अध्यक्ष को भी काफी पीछे छोड़ दिया है। प्रवक्ता महोदय की पार्टी दफ्तर से लेकर मीडिया हाऊस तक गहरी पैठ है। लिहाजा वे उसका लगातार फायदा उठा रहे और जमकर प्रचार पा रहे। बिहार का मुद्दा हो या फिर देश स्तर का, सत्ताधारी पार्टी के बिहार वाले प्रवक्ता महोदय उस पर रिलीज जारी करने से बाज नहीं आते। बजाप्ता उनका रिलीज पार्टी दफ्तर से जारी होता है।वे पटना दफ्तर में मौजूद रहें अथवा नहीं, उससे कोई फर्क नहीं पड़ता। ससमय यानि हर दिन सूरज की रोशनी खत्म होने से पहले सभी मीडिया हाऊस में उनका रिलीज पहुंच जाता है। 

साथी प्रवक्ता भी सेटिंग की देते हैं दाद

जानकारों की मानें तो प्रवक्ता महोदय की सेटिंग की वजह से साथी प्रवक्ता एवं नेता जले भुने रहते हैं।आखिर हों भी क्यों नहीं, दिन भर पार्टी दफ्तर में रहने के बाद भी अखबारों में जगह नहीं मिलती और किसी एक प्रवक्ता जो न तो पार्टी दफ्तर में होता है और न पटना में उसे हर दिन अखबारों में तस्वीर के साथ जगह मिलती है।सिर्फ जगह हीं नहीं मिलती है बल्कि अपनी पार्टी के बड़े नेता के आसपास दिखते-छपते हैं।

कभी 'साहेब' के काफी करीबी माने जाते थे प्रवक्ता महोदय

आज भले हीं ये एक दल के प्रवक्ता हों लेकिन कभी बिहार के 'साहेब' के काफी करीबी माने जाते थे।उनके रहमो-करम से वे सम्मानित जगह पर भी पहुंच गए थे। पांच सालों तक वे इसका जमकर लुफ्त भी उठाया। लेकिन वे वहां भी अपनी कुटिल चाल से बाज नहीं आए और अपने आप को साहेब की बराबरी करने लगे।हद तो तब हो गई जब वे सेटिंग की बदौलत मीडिया में साहेब की बराबरी पर छपने लगे।इसके साथ हीं कई अन्य मुद्दों पर अपने को राजा के बराबर दिखाने की कोशिश करने लगे। यह सब साहेब को अच्छा नहीं लगा। इसके बाद इनकी उस पार्टी में उल्टी गिनती शुरू हो गई।स्थिति यह हो गई कि साहेब ने उन्हें अपनी पार्टी से चलता कर दिया।

थक हारकर ये राष्ट्रवादी पार्टी की शरण में गए, लेकिन इनको कोई फायदा नहीं हुआ। मतदाताओं ने इन्हें सड़क पर ला दिया।भले हीं आज वो सम्माननीय नहीं हों....लेकिन चर्चा में रहने के लिए छपने का भरपूर इंतजाम किया हुआ है।

तब साहेब ने कहा था-अब प्रवक्तागिरी करेगा.......

जब पब्लिक ने उन्हें सड़क पर ला दिया और नई पार्टी ने थोड़ा सम्मान देते हुए प्रवक्ता बना दिया तब साहेब की त्वरित प्रतिक्रिया थी......हंसते हुए कहा था कि अब.........प्रवक्तागिरी करेगा.......?

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