SIWAN : बिहार में 20 अगस्त से भूमि सर्वेक्षण का काम शूरू है। इस सर्वे प्रक्रिया के तहत बिहार के 534 अंचलो के 45000 राजस्व गांवो का सर्वे किया जाना है। लेकिन नीतीश सरकार के द्वारा करवाया जा रहा यह सर्वे आम आदमी के लिए परेशानी का कारण बनते जा रहा है। सरकार का कहना है कि जमीम सर्वे हो जाने से लोगों की जमीन संबधी परेशानी दूर हो जायेगी। लेकिन ग्रमीण क्षेत्र में स्थिति इससे उलट है। आम अदमी सर्वे के लिए कागजात जुटाने के ले कार्यालयों का चक्कर लगाने को मजबूर है। सीवान जिला भी इससे अलग नहीं है।
तीन गांवों में नहीं होगा सर्वे
यहां 20 अगस्त से भूमि सर्वेक्षण का काम शूरू है। लेकिन लोगों के पास पर्याप्त कागजात नहीं होने के कारण सर्वे का काम तेजी में नहीं चल रहा है। सीवान जिले के रघुनाथपुर अंचल क्षेत्र में कुल 107 राजस्व गांव है। जबकि थाना क्षेत्र के अंतर्गत 84 ही गांव पड़ता है। इन 107 राजस्व गांवों में 3 में फिलहाल सर्वे का कार्य नहीं होगा।
1919 में हुई थी यह गलती
बताया जा रहा है कि कुछ वजहों से 1919 में आदमपुर, कौसड़ और बसंतपुर में सर्वे का कार्य नहीं हुआ था। उस समय जब सर्वे का काम हुआ ही नहीं था तो उन गांवों का खतियान भी नहीं है। ऐसे में सर्वे का काम यहां पर बाद में ही होगा। इस बाबत में रघुनाथपुर क्षेत्र के शिविर प्रभारी व विशेष सर्वे सहायक बंदोबस्त पदाधिकारी नवीन कुमार ने कहा कि उन्हें सिर्फ यही जानकारी है कि इन तीन गांवों का सर्वे फिलहाल नहीं होना है।
चक्कर लगाने को मजबूूर हैं लोग
बता दें कि इस सर्वे प्रक्रिया के कारण दिन-ब- दिन लोग परेशान हो रहे है। आम आदमी अंचल कार्यलय से लेकर जिला कार्यालय तक का चक्कर लगा रहे हैं। इस सर्वे प्रक्रिया के दौरान लोगो को कई प्रकार की परेशानी हो रही है। जब लोग परेशान होकर अधिकारियों के पास जाते है तो अधिकारीयों के तरफ से भी संतोषजनक जबाव नहीं मिल पाता है। कई ऐसे लोग है जिन्होंने अपना ऱसीद तो कटवा लिया है.लेकिन ऑनलाइन दर्ज ही नहीं है। कई रैयत ऐसे है जिनका नक्सा में ज्यादा है लेकिन सरकार वेवसाइट पर जमीन कम दिखा रहा है। कई रैयतो ने बताया कि उनके जमीनों का जमाबंदी हो गई है। लेकिन ऑनलाइन वो जमाबंदी चढ़ा ही नही हुआ है। यही नहीं, काफी संख्या में रैयतों के जमीन का खाता, खैसरा, रकबा और नाम आदि में गडबड़ी है। इस कारण रैयतों की रसीद नहीं कट पा रही है, इससे वे परेशान हैं।
जमीन मालिकों को है इस बात की चिंता
जमीन सर्वे को लेकर रैयतों के मन में कई तरह के सवाल हैं। पूर्व में सरकार के तरफ से इस सर्वे प्रकिया की लेकर पहले से किसी प्रकार की तैयारी नहीं की गई । ग्रमीणों क्षेत्रों में लोगो में जागरूकता की कमी है। कई गांव ऐसे है जहां राज्य सरकार के तरफ से लोगों को यह नहीं बताया गया कि सर्वे प्रक्रिया के दौरान किस किस कागजात की जरूरत पड़ेगा। जानकारी के अभाव में रैयत कर्यालयों के चक्कर लगा रहे हैं। इस बाबत में एक ग्रमीण ने बताया कि रजिस्टर-2 से कई पन्ने गायब हैं। यहां तक कि मूल खतियान में भी छेड़छाड़ की गई है। इस बात का खुद मैं भी भुक्तभोगी हूं। तो वहीं एक भू स्वामी ने बताया कि उनके पुश्तैन जमीन का अब तक ऑनलाइन नहीं किया गया है। जबकि यह कार्य 2018 तक हो जाना चाहिए था ।
REPORT - RITIK KUMAR