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बिहार माध्यमिक शिक्षक संघ का बड़ा सवालः एक राष्ट्र,एक कर, एक संविधान, तो फिर एक समान शिक्षा क्यों नहीं?

बिहार माध्यमिक शिक्षक संघ का बड़ा सवालः एक राष्ट्र,एक कर, एक संविधान, तो फिर एक समान शिक्षा क्यों नहीं?

PATNA: आज देश में एक राष्ट्र, एक संविधान, एक समान कर और एक चुनाव की बात हो रही है तो फिर एक समान शिक्षा क्यों नहीं? यह विचार बिहार माध्यमिक शिक्षक संघ के शैक्षिक परिषद द्वारा शिक्षा नीति-2019 पर आयोजित दो दिवसीय संगोष्ठी में वक्ताओं द्वारा उठाई गई और इसे कैसे क्रियान्वित किया जा सकता है पर अपने-अपने सुझाव रखे गए।

राजधानी के जमाल रोड स्थित बिहार माध्यमिक शिक्षक संघ के सभागार में आयोजित संगोष्ठी में नई शिक्षा नीति पर हुए विचार-विमर्श के आधार पर सुझाव व परामर्श ड्रॉफ्ट तैयार किया।

संघ के अध्यक्ष सह विधान पार्षद केदारनाथ पांडेय ने इन सुझावों व अनुशंसाओं के बारे बताते हुए कहा कि सामाजिक बदलाव के लिए शिक्षा पर जीडीपी का दस प्रतिशत खर्च हो जिसमें पिछड़े राज्यों को ज्यादा से ज्यादा सहायता दी जाए। समान व गुणवत्तापूर्ण शिक्षा पड़ोस पद्धत के माध्यम से देने की बात का सुझाव शामिल किया गया है। शिक्षा को सर्वसुलभ बनाया जाए। मात्रात्मक शिक्षा का विकास जरूर हुआ पर गुणवत्तापूर्ण शिक्षा का विकास करना होगा।  

उन्होंने कहा कि बेहतर समाज के निर्माण में शिक्षकों की भूमिका अहम है और समाज में शिक्षकों के उत्थान व सम्मान के बिना गुणवत्तापूर्ण शिक्षा की बात बेमानी है। नई शिक्षा नीति में शिक्षकों, अध्यापकों के लिए अर्हता व चयन की प्रक्रिया काफी कठिन करने की बात जरूर की गई है मगर उनके वेतन पर स्पष्ट उल्लेख नहीं किया गया है, इसीलिए पूरी दुनिया में अपने बेहतर शिक्षा के लिए मशहूर स्वीडन व फिनलैंड की तरह ही शिक्षकों को वेतन 

उन्होंने कहा कि आगामी दस वर्षों के लिए शिक्षा नीति में बड़ी ही बाजीगरी के साथ सरकार के कुल खर्च का 20 प्रतिशत शिक्षा पर खर्च करने की बात कही गई है। यदि इसकी गणना की जाए तो जीडीपी का लगभग 5.5 प्रतिशत के आसपास होता है जबकि कोठारी आयोग ने 60 के दशक में ही जीडीपी का छह प्रतिशत शिक्षा पर खर्च करने की बात कही थी जो आज बढ़ कर कई गुणा ज्यादा होना चाहिए था। नई शिक्षा नीति-2019 में ही स्वीडन और फिनलैंड में क्रमश: जीडीपी का 5.7 प्रतिशत व सात प्रतिशत खर्च की उल्लेख की बात कही गई है। साथ ही भूटान में सात प्रतिशत खर्च होता है। 

नई शिक्षा नीति में निजी विद्यालयों की फीस व संचालन की स्वतंत्रता की बात कही गई है। मगर संघ का सुझाव है कि निजी विद्यालयों को आरटीई तथा ह्ययूमन राइटस के अंतर्गत लाया जाए और ऐसे विद्यालयों के लिए रेगुलेटरी बने। 

बिहार माध्यमिक शिक्षक संघ के मीडिया प्रभारी सह प्रवक्ता अभिषेक कुमार ने कहा कि संघ द्वारा जल्द ही इस सुझाव व परामर्श ड्रॉफ्ट को केंद्रीय शिक्षा मंत्री डॉ रमेश पोखरियाल ‘निशंक’, नई शिक्षा नीति कमेटी के अध्यक्ष डॉ के.कस्तूरीरंगन व राज्य के शिक्षा मंत्री कृष्णनंदन प्रसाद वर्मा को सौंपा जायेगा।

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