PATNA: बिहार सरकार के तमाम प्रयास के बाद भी बिहार में जमीन की दाखिल खारिज में सुधार नहीं हो रहा है. ऑनलाइन सेवाओं के बाद भी राजस्व एवं भूमि सुधार विभाग के कर्मचारी मामले को लटकाए रखते हैं. स्थिति यह है कि सारी व्यवस्था ऑनलाइन होने के बाद भी ऐसे हजारों मामले हैं जो 1 साल बीतने के बावजूद लंबित पड़े हुए हैं.राजस्व कर्मियों की वजह से सरकार के सुशासन राज पर बट्टा लग रहा है।
नकेल कसने के लिए बन रही नई प्रणाली
राजस्व एवं भूमि सुधार विभाग के अपर मुख्य सचिव विवेक कुमार सिंह ने आज इस संबंध में समीक्षा बैठक की और कार्यों की प्रगति रिपोर्ट ली. अपर मुख्य सचिव ने ऑनलाइन म्यूटेशन में व्याप्त भ्रष्टाचार की शिकायतों पर नकेल कसने के लिए पॉइंट ऑफ डिले नोटिफिकेशन का कांसेप्ट दिया. इसमें हर एक कर्मी के लिए निर्धारित समय सीमा बीतने के बाद काम नहीं करने पर उसकी सूचना वरीय अधिकारियों तक दी जाएगी. लंबित मामलों के लिए कंप्यूटर जनित अलर्ट जारी होगा और हर महीने की आखिरी तारीख को पूरे सूबे के लंबित म्यूटेशन केस का आंकड़ा कंप्यूटर में दिखने लगेगा. अपर मुख्य सचिव ने सभी पुराने मामलों की अलग से समीक्षा का निर्देश दिया।
विभाग की हो रही भारी बदनामी
अपर मुख्य सचिव ने वैसे लापरवाह अधिकारियों को चेतावनी दी है और कहा है कि समय सीमा के भीतर काम नहीं करने वाले कर्मियों- अधिकारियों पर कार्रवाई की कंप्यूटरीकृत प्रणाली विकसित की जा रही है. जिसके जरिए तय समय में लोक सेवा को पूरा नहीं करने वाले राजस्व कर्मियों की पहचान एवं दंडित किया जाएगा. विभागीय कर्मियों की लापरवाही से आम लोगों में सरकार के प्रति गलत धारणा जा रही है.सामान्य धारणा बन गई है कि राजस्व कर्मचारी रैयात से संपर्क करने के लिए समय का बेजा इस्तेमाल करते हैं और उनमें पैसे लेने के बाद ही उनका काम करते हैं. इससे विभाग की बदनामी होती है.
राजस्व एवं भूमि सुधार विभाग के अपर मुख्य सचिव विवेक कुमार सिंह ने लॉक डाउन की वजह से सुस्त पड़े विशेष सर्वेक्षण कार्यो की भी समीक्षा की. समीक्षा के दौरान यह पता चला कि लॉकडाउन एवं बाढ़ की वजह से कई महीनों से जमीन पर कोई प्रगति नहीं हुई है.