पटना: पूर्व राज्यसभा सांसद सह बीजेपी के वरिष्ठ नेता संस्थापक सदस्य आरके सिन्हा ने कार्यपालिका को लोकतंत्र की मर्यादाओं के ही अनुरूप कार्य करने की बात कही है। एक बयान जारी कर उन्होंने कहा कि अफसर यह समझें कि अब अंग्रेजों का जमाना चला गया, वे लोकतंत्र के वेतनभोगी सेवक हैं। दरअसल उन्होंने यह बातें सूबे में मंत्री मदन सहनी के इस्तीफे की पेशकश के बाद उठे सियासी घमासान को लेकर दी है।
उन्होंने कहा कि मुझे यह जानकारी मिली है कि बिहार में एक वरिष्ठ कैबिनेट मंत्री ने अपने इस्तीफे की पेशकश सिर्फ इसलिए की है कि वे अफसरशाही की निरंकुशता से और अफसरशाही के बिलकुल असंवेदनशील व्यवहार से रुष्ट है। वास्तव में लोकतंत्र में संविधान द्वारा विधायिका, कार्यपालिका और न्यायपालिका सबका कार्य बहुत ही विस्तृत रूप से वर्णित है। जो निर्वाचित जनप्रतिनिधि है, जिसको मंत्री का भार दिया गया है, उसकी बात को मानने के लिए कार्यपालिका बाध्य होती है। हां, अगर वो कोई गैर कानूनी काम करने के लिए कह रहे हैं तो उसमें वो प्रोटेस्ट कर सकते हैं, लेकिन अगर कोई योजना उनके मन आती है और वे बताते हैं कि इस पर काम करना है तो कार्यपालिका को इस पर काम करना चाहिए।
उन्होंने यह भी कहा कि विधायिका और कार्यपालिका में ऐसे विवाद बंद होना चाहिए। क्योंकि, अंग्रेजों का जमाना खत्म हो गया है और हम लोकतंत्र में जी रहे हैं । सभी को लोकतंत्र की आस्थाओं के अनुसार कार्य करना होगा।