DARBHANGA: जिले में कृषि विभाग के सचिव एन.श्रवण कुमार ने बिहार के सभी जिलाधिकारियों के साथ ऑनलाइन बैठक की। यह बैठक फसल अवशेष प्रबंधन को लेकर आयोजित की गई थी, जिसमें पराली जलाने वाले किसानों को खासतौर पर चिन्हित करने के निर्देश दिए गए।
बैठक में कृषि विभाग के निदेशक आदेश तितरमारे ने बताया कि सरकार द्वारा 10 जून 2019 को प्रत्येक जिले के लिए जिलाधिकारी की अध्यक्षता में 13 सदस्यीय अंतर विभागीय कार्य समूह का गठन किया गया है। जिसके सदस्य सचिव जिला कृषि पदाधिकारी हैं। वर्ष में दो बार खरीफ एवं रबी फसल कटनी के पूर्व इस समूह की बैठक किया जाना है। उन्होंने कहा कि फसल कटनी के लिए कंबाइंड हार्वेस्टर का प्रयोग से पराली जलाने के मामलों में बढ़ोतरी हुई है। पराली जलाना मिट्टी की उर्वरकता एवं पर्यावरण के लिए बेहद नुकसानदेह है। यह समस्या पहले शाहाबाद क्षेत्र में उत्पन्न हुई और अब धीरे-धीरे पटना, सारण होते हुए राज्य के अन्य क्षेत्रों में भी फैल गया है।
कृषि विभाग ने फैसला किया है कि कंबाइंड हार्वेस्टर चलाने के लिए जिलाधिकारी से पास लेना अनिवार्य होगा। उन्हें पास इस शर्त के साथ दिया जाएगा कि जिन खेतों में वह फसल कटनी करेगी, उन खेतों में फसल पराली नहीं जलायी जाएगी। यदि उन खेतों में फसल अवशेष जलाने की सूचना मिलेगी तो उनके पास रद्द कर दिए जाएंगे। अब बिना पास के कोई भी कंबाइंड हार्वेस्टर नहीं चलेगा। साथ ही जो किसान पराली जलाएगा, उनको कृषि विभाग के डीबीटी पोर्टल पर 3 साल तक के लिए पंजीकरण से वंचित कर दिया जाएगा। साल 2020 में 2138 किसानों पर यह कार्रवाई की जा चुकी है।
समस्तीपुर कृषि विश्वविद्यालय के कृषि वैज्ञानिकों ने यह प्रयोग किया है कि पराली रहने पर भी अगली खेती की जा सकती है। वहां कुछ खास क्षेत्रों में विगत 10 वर्षों से ऐसी खेती की जा रही है। उनके अनुसार खेती के लिए खेत की जुताई आवश्यक नहीं है, बिना जुताई किये भी खेती की जा सकती है और पैदावार भी अच्छी होती है। उन्होंने सभी जिला अधिकारी को इसके लिए किसानों के बीच जागरूकता लाने के लिए प्रचार प्रसार कराने का सुझाव दिया।