Bihar News: बिहार सरकार बालू खनन पर झारखंड की आपत्ति के बाद बैकफुट पर आ गई है। यही नहीं अब नीतीश सरकार को पैसे भी लौटाने पड़ेंगे। दरअसल, सिया की आपत्ति के बाद खनन एवं भूतत्व विभाग गेरुआ यूनिट संख्या 1 के ब्लॉक एक से तीन में संशोधन पर राजी हो गया है। जानकारी अनुसार भागलपुर जिले के गेरुआ घाट से बालू निकालने के मामले में झारखंड की आपत्ति के बाद बिहार सरकार पीछे हट गई है।
दोनों राज्यों के अधिकारियों के अनुसार, राज्य पर्यावरण प्रभाव आकलन प्राधिकरण (एसआईए) ने संशोधित डीएसआर (जिला सर्वेक्षण रिपोर्ट) के आधार पर खान एवं भूतत्व मंत्रालय को झारखंड क्षेत्र के 12 हेक्टेयर क्षेत्र में रेत खनन नहीं करने का निर्देश दिया है। एसआईए की अधिसूचना के बाद बंदोबस्तधारी ने जमा राशि वापस करने की मांग की। इससे विभाग में हड़कंप मचा हुआ है।
जानकारी के आधार पर, एसआईए की आपत्तियों के बाद खान और भूविज्ञान मंत्रालय ग्रुवा यूनिट 1 के ब्लॉक 1 से 3 को संशोधित करने पर सहमत हुआ। इस इकाई की 34.03 हेक्टेयर भूमि पर रेत निकासी होनी थी। इसकी व्यवस्था भी की गयी, लेकिन झारखंड में 12 हेक्टेयर रेतीली जमीन बन जाने से स्थिति उलट गयी है। सुलह पदाधिकारी राजेश कुमार शर्मा ने बताया कि लगभग विवाद के बाद सीओ सन्हौला द्वारा मापी करायी गयी थी। बाद में पता चला कि बिहार में सिर्फ 22.3 हेक्टेयर बालू का खनन होगा।
सबसे पहले, कुल निपटान राशि का 50 प्रतिशत भुगतान किया गया। दो पीडीएस चेक भी जारी किए गए। अब चेक वापस करने और कम की गई सेटलमेंट राशि को समायोजित करने के लिए जिला खनन कार्यालय में आवेदन दिया गया है। इस संबंध में उपनिदेशक व डीएमओ केशव कुमार पासवान ने बताया कि एसआइए से निर्देश मिला है। बंदोबस्तकर्ता को केवल 22.1 हेक्टेयर भूमि पर रेत खनन की अनुमति मिली। उसी हिसाब से राशि का भुगतान किया जाएगा। इस पर्यावरण रिपोर्ट के बाद, SIA ने सेंचुरी एरिया के रूप में वर्गीकृत 13 हेक्टेयर भूमि पर खुदाई पर प्रतिबंध लगा दिया। इससे भागलपुर प्रशासन को 64.35 लाख रुपये के राजस्व का नुकसान होगा।