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धनकुबेरों की पोल-खोल : RCD एक्जीक्यूटिव इंजीनियर का ऑपरेशन 'ब्लैक टू व्हाइट मनी' ! जांच एजेंसियों की जाल से बचने के लिए 200 रू कम वाले फार्मूले पर किया काम, पर हुए बेनकाब...

धनकुबेरों की पोल-खोल : RCD एक्जीक्यूटिव इंजीनियर का ऑपरेशन 'ब्लैक टू व्हाइट मनी' ! जांच एजेंसियों की जाल से बचने के लिए 200 रू कम वाले फार्मूले पर किया काम, पर हुए बेनकाब...

PATNA:  सुशासन राज में भ्रष्टाचार चरम पर है. अधिकारियों के मन से सुशासनी डंडे का भय खत्म हो गया है. लिहाजा जो जहां है सरकारी सिस्टम का दोहन करने में जुटा है. कुछ अधिकारी जमकर रिश्वत कमा रहे और काले धन को सफेद बना ले रहे. रिश्वत कमाने और काले को सफेद बनाने का धंधा अनवरत जारी है. अब तो स्थिति यह हो गई है कि खुलासे के बाद भी कोई फर्क नहीं पड़ता. आज ही नीतीश कैबिनेट में मंत्री रहे रामाधार सिंह ने खुल्लम खुल्ला बताया है कि कैसे एक डीटीओ अपने जिलाधिकारी के लिए हर हफ्ते 30-40 लाख की वसूली कर  पटना पहुंचा रहा. लेकिन यहां जांच होती कहां है..जांच होती भी है तो सिर्फ दिखाने के लिए। हमने दो दिन पहले पथ निर्माण विभाग के एक कार्यपालक अभियंता जो वर्तमान में राजधानी में पदस्थापित हैं, उनकी पोल खोली थी. बताया था कि ये किस फार्मूले के तहत काले धन को सफेद बनाने में जुटे हैं. दरअसल, वे राजधानी में फ्लैट खऱीद रहे, फिर उसे दो गुणा सरकारी दाम पर बिक्री दिखाकर ब्लैक को व्हाइट कर रहे. यहां तक तो हम पहले भी बता चुके हैं. अब आइए.. पथ निर्माण विभाग के उक्त कार्यपालक अभियंता जो हाल ही में T.A. के पद पदस्थापित हुए हैं, उनकी अगली चालाकी को बताते हैं. इस बार एक्जीक्यूटिव इंजीनियर ने रजिस्ट्री में 200 रू कम दिखाकर पाक साफ होने की पूरी कोशिश की है, हालांकि उनकी पोल खुल गई है.  

काले धन को सफेद बनाने में जुटे इंजीनियर साहब  

पथ निर्माण विभाग में एक कार्यपालक अभियंता हैं. वर्तमान में अभी राजधानी में T.A.( तकनीकी सलाहकार) के पद पर पदस्थापित हैं. कुछ समय पहले तक ये राजधानी से बाहर 'दक्षिण बिहार'  के एक पथ प्रमंडल में बतौर कार्यपालक अभियंता के पद पर पदस्थापित थे. अभी ये अपने से एक रैंक ऊपर वाले अधिकारी(S.E.) के कार्यालय में तकनीकी एडवाइजर के पद पर पदस्थापित हैं. वैसे इस कार्यपालक अभियंता ने सरकार की नजरों से बचने को लेकर पूरा बंदोबस्त कर रखा है. इनकी रणनीति है कि आंखों में धूल झोककर किसी तरह से बच जाना. हालांकि गड़बड़ी करने वाला कुछ न कुछ सबूत छोड़ जाता है. 'कुमार' नाम वाले कार्यपालक अभियंता ने 2022 में ऑपरेशन 'सफेद धन' लॉन्च किया. अपनी पत्नी  के नाम पर फरवरी 2022 में दानापुर के मुस्तफापुर इलाके में फ्लैट खरीदा. सरकारी रेट दिखाया... 2483000 रू. रजिस्ट्री में एरिया मिला 0.9397 स्कॉयर फीट. यहां तक को सबकुछ ठीक था. इसके बाद से असली खेल शुरू हुआ। अगले ही साल यानी 2023 में कार्यपालक अभियंता कुमार साहब  ने उक्त फ्लैट को 50 लाख में बेच दिया. अपनी संपत्ति बेचना कोई अपराध नहीं. लेकिन यहां सबसे बड़ा आश्चर्य यह कि इन्होंने खऱीद किए सरकारी रेट से दो गुणा अधिक सरकारी दाम पर अपना फ्लैट बेचा. जबकि सरकार हर साल जमीन/फ्लैट के रेट में वृद्धि नहीं करती है. एक साल  में ही कार्यपालक अभियंता के फ्लैट का सरकारी मूल्य दो गुणा हो गया .यह बात किसी के गले के नीचे से नहीं उतर रही. सवाल यहीं से उठ रहा है...क्या इन्होंने खरीदते समय कम कीमत दिखाकर सरकार को चूना लगाया, या फिर अधिक मूल्य में बिक्री दिखाकर सफेद धन दिखाने की कोशिश की ?  

25 लाख का फ्लैट अगले साल 50 लाख सरकारी मूल्य पर बेच दिया 

अब जरा KUMAR नाम वाले कार्यपालक अभियंता के 2023 वाली पूरी खबर पर आइए। कुमार साहब ने पत्नी के नाम पर 2022 में दानापुर के मुस्तफापुर इलाके में फ्लैट खरीदा था, उसे मई 2023 में एक पति-पत्नी के नाम पर रजिस्ट्री कर दी. कार्यपालक अभियंता ने 2022 में पत्नी के नाम पर 2484000 रू सरकारी मूल्य पर  फ्लैट खरीदा था, उसे वह अगले साल सीधे दो गुणा से भी ज्यादा यानि 50 लाख रू में बेचा. यानी सरकारी वैल्यू से सीधे 200 फीसदी अधिक में. किसी संपत्ति का मार्केट मूल्य  भी एक साल में दो गुणा बड़ी मुश्किल से होता है. यहां तो कार्यपालक अभियंता के फ्लैट का सरकारी मूल्य ही साल भर में ही दो गुणा हो गया. बिक्री करने के कुछ माह बाद ही कुमार साहब नाम वाले कार्यपालक अभियंता ( T.A.) ने पत्नी के नाम पर दूसरा नया फ्लैट खरीद लिया. 

जितना सफेद धन बनाया..उससे 200 रू कम में दूसरा फ्लैट खरीद लिया

जरा ध्यान से पढ़िए.... इंजीनियर 'कुमार' ने 2023 मई में जितना सफेद धन बनाया उससे सिर्फ 200 रू कम (4999800) में दानापुर के गोला रोड में फिर से नया फ्लैट खरीदा. पत्नी के नाम पर दिसंबर 2023 में गोला रोड के एक नामी स्कूल के समीप सैनिक कॉलोनी इलाके में रियल इस्सेट कंपनी से फ्लैट की रजिस्ट्री कराई। सरकारी रेट दिखाया गया 4999800 रू. यानि जितना में फ्लैट की बिक्री की उससे सिर्फ 200 रू कम. फ्लैट के साथ 1.15 डिसमिल जमीन का निबंधन हुआ। मतलब साफ है...कार्यपालक अभियंता जो वर्तमान में RCDमें  तकनीकी सलाहकार के पद पर हैं, उन्होंने बचने की पूरी कोशिश है. अगर खुलासा भी हो तो यह बता सकें कि जितने की संपत्ति हमने बेची है, उससे 200 रू कम में हीं हमने दूसरी संपत्ति रजिस्ट्री कराई है. लिहाजा उनके संपत्ति अर्जन पर सवाल खड़ा नहीं किया जा सकता. हालांकि यहां वे गच्चा खा गए..आखिर एक साल में ही एक फ्लैट का सरकारी मूल्य दो गुणा कैसे हो सकता है ? इसका जवाब तो पथ निर्माण विभाग के चालाक कार्यपालक अभियंता ही दे सकते हैं. वैसे यह खबर जांच एजेंसी तक भी पहुंच गई है. बता दें, पथ निर्माण विभाग के कार्यपालक अभियंता, वर्तमान में (टी.ए.) कुमार साहब का पैतृक घर चंपारण है. वर्तमान में दानापुर के गोला रोड के समीप रहते हैं. कार्यपालक अभियंता के इस पूरे खेल का सबूत न्यूज4नेशन के पास है. 


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