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BIHAR NEWS: जिला प्रशासन का राहत कार्य बेअसर, खतरनाक ढंग से कटाव जारी, डर से पलायन को मजबूर कई गांव के लोग

BIHAR NEWS: जिला प्रशासन का राहत कार्य बेअसर, खतरनाक ढंग से कटाव जारी, डर से पलायन को मजबूर कई गांव के लोग

KISHANGANJ: बिहार का करीब-करीब आधा हिस्सा इस वक्त बाढ़ की त्रासदी से जूझ रहा है। लोग खुद को, परिवार को और संपत्ति को बचाने की जद्दोजहद में लगे हुए हैं। हर साल सूबे के कई इलाकों को बाढ़का दंश झेलना ही पड़ता है, इसमें कुछ नया नहीं है। हालांकि हर साल इस विभीषिका के बावजूद सरकार वक्त पर राहत और बचाव कार्य शुरू नहीं करती, जिस वजह से लाखों ग्रामीण सराकरी सुविधाओं से वंचित रह जाते हैं और बाढ़ में अपना सबकुछ गंवा बैठते हैं।

किशनगंज जिले के टेढ़ागाछ प्रखंड अन्तर्गत चिल्हनिया पंचायत में इस वक्त लोग हर पल खौफ में जी रहे हैं। यहां बहने वाली रतुवा नदी उफान पर है जिससे लोगों के घरों में पानी आ गया है और लोग अपने घर जान को लेकर घरों से भगवान भरोसे निकल पड़े है। हर साल बाढ़ में नदी के कटाव की वजह से कई एकड़ में फैली कृषियुक्त भूमि नदियां अपने साथ ले जाती है, जिससे काफी नुकसान होता है। कई गांव विस्थापित हो जाते हैं तो कई परिवारों का आशियाना नदी अपने साथ बहाकर ले जाती है। सरकार द्वारा बाढ़ को लेकर कई तरह की योजना-परियोजनाएं बनती हैं, करोड़ों की योजनाओं से बाढ़ निरोधक कार्य भी किया जाता है, लेकिन जब बाढ़ आती है तो यह सब कुछ नाकाफी साबित होता है और लोग आपने घर-बार को छोड़कर जाने को मजबूर हो जाते और लोगों की ऐसी स्थिति हो जाता है कि करे तो करें क्या? जाएं तो जाएं कहा, मदद मांगे तो मांगे किससे? ऐसे वक्त में कोई मदद को आगे नहीं आता और जनप्रतिनिधि भी खुद का फायदा देखने में लगे रहते हैं। इनसब के बीच सवाल यह है कि वक्त पर लोगों को सरकारी मदद क्यों नहीं मिल पाती और क्यों उन्हें हर बार पलायन का दंश झेलना पड़ता है?

आखिर क्यों नेता और माननीय इन लोगों की जिम्मेदारी लेने को तैयार नहीं, जिन्हें उन लोगों ने ही लोकतांत्रिक अधिकार से वोट देकर चुना है? या फिर जिनके पास जनता की टैक्स का पैसे है वह क्यों जिम्मेदारी लेने को तैयार नहीं है? अब यह लोग भगवान भरेसे घरों से निकल चुके है और सोच लिए हैं कि जो होगा देखा जाएगा। 


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