पटना: राष्ट्रीय जनता दल के प्रदेश प्रवक्ता चित्तरंजन गगन ने सत्ताधारी दल के नेताओं पर मृतात्मा के साथ भी गद्दारी करने का आरोप लगाया है। राजद प्रवक्ता ने कहा कि मृत्यु शय्या से लेकर मृत्यु के बाद तक जिन लोगों द्वारा समाजवादी नेता पूर्व केंद्रीय मंत्री डॉ रघुवंश प्रसाद सिंह के नाम पर निकृष्टतम राजनीति की गयी थी, उन्होंने, उनके जन्मदिन पर श्रद्धांजलि के दो शब्द कहना भी मुनासिब नहीं समझा। सबसे शर्मनाक और हैरान करने वाली बात तो यह है कि राज्यसभा सांसद सुशील कुमार मोदी को राजद और लालू प्रसाद के परिवार को नसीहत देने वाली ट्वीट करने का तो समय मिल गया पर स्व रघुवंश बाबू के श्रद्धांजलिस्वरुप दो शब्द ट्वीट करना उन्हें गंवारा नहीं हुआ।
राजद प्रवक्ता ने कहा कि रघुवंश बाबु ने अपने निधन के तीन दिन पूर्व यानी 10 सितम्बर 2020 को मुख्यमंत्री को लिखे पत्र में अपनी अन्तिम इच्छा के रूप में कुछ ऐसी मांग रखी थी, जो उनके जीवन में अधूरी रह गयी थी या जिसे वे पुरा नहीं कर सके थे। सिंचाई विभाग से जुड़े कुछ कामों के संदर्भ में एक पत्र उन्होंने सिंचाई मंत्री को सम्बोधित करते हुए लिखा था। उम्मीद की जा रही थी कि छह जून को उनकी जयन्ती के अवसर पर सरकार द्वारा उनकी अन्तिम इच्छा के संदर्भ में कुछ सकारात्मक घोषणा की जायेगी पर सरकार तो उन्हें श्रद्धांजलि के लायक भी नहीं समझी। मुख्यमंत्री सहित सरकार के किसी मंत्री ने भी श्रद्धांजलि स्वरुप एक शब्द भी नहीं बोला।
राजद प्रवक्ता ने कहा कि बिहार विधानसभा चुनाव में लाभ लेने के लिए मृत्यु शय्या से लेकर मृत्यु के बाद तक भी रघुवंश प्रसाद के साथ जिस स्तर की घटिया राजनीति की गई , राजनीति के इतिहास में ऐसा कोई दूसरा उदाहरण देखने को नहीं मिलेगा। जब वे बाहर की घटनाओं से अनभिज्ञ जीवन और मौत से जूझ रहे थे तो सुनियोजित साजिश के तहत उनके बारे में राजद से इस्तीफे की भ्रामक अफवाह उड़ायी गई। सुशील मोदी जैसे लोगों द्वारा आज भी उस अफवाह को हवा दी जा रही है। चंद दिनों में हीं मृत्यु की सुनिश्चितता जानने के बाद रघुवंश प्रसाद द्वारा लालू प्रसाद, पार्टी कार्यकर्ताओं और आमजनों से अपने को हमेशा के लिए बिछुड़ने के दर्द को जिस पत्र में भावनात्मक रूप से व्यक्त किया गया था, एक साजिश के तहत उसे हीं उनके इस्तीफे के रूप में प्रचारित कर दिया गया। जबकि वह पत्र उनके पार्टी नेतृत्व, पार्टी कार्यकर्ता और आमजनों के साथ अटूट रिश्ते और भावनात्मक संबंध का प्रामाणिक दस्तावेज है।
जिन्हें शंका है आज भी उस पत्र को पढकर अपना दिमाग साफ कर लें। आज स्पष्टीकरण देने के लिए रघुवंश प्रसाद नहीं हैं पर जो लोग भी उन्हें नजदीक से जानने वाले हैं, जानते हैं कि वे कभी अवसरवाद की राजनीति नहीं किये। किसी के कुछ भी कहने से उन पर कोई असर पडने वाला नहीं था। और दुनिया की कोई ताकत उनको लालू प्रसाद से अलग नहीं कर सकती थी। आज उनके निधन के बाद जो लोग भी राजद से उनके इस्तीफे की झूठी अफवाह फैला कर घड़ियाली आंसू बहा रहे हैं वे सही अर्थों में मृतात्मा के साथ भी गद्दारी कर रहे हैं।