DARBHANGA: कोरोनावायरस से उत्पन्न वैश्विक महामारी ने हमारे जीवन में एक बहुत बड़ा उथल पुथल मचाया है। आज पूरा विश्व इस महामारी से जूझ रहा है। विश्व का कोई भी देश या कोरोना इससे अछूता नहीं है। भारत में इस वायरस की बढ़ते दूसरी लहर को रोकने के लिए सभी राज्यों ने अपने-अपने यहां लॉकडाउन से संक्रमण की रफ्तार को काबू में रखने के लिए लॉकडाउन लगाया। वहीं इस दौरान आवश्यक स्वास्थ्य सुविधाओं को दुरुस्त करने के साथ साथ इससे जुड़े अन्य आवश्यक सुरक्षा उपकरण आदि की समुचित व्यवस्था हो सकी। ऐसा ना किया गया होता तो आज हालात कैसे होते इसका अंदाज लगाना भी मुश्किल है।
इस लॉकडाउन के साथ ही आर्थिक गतिविधियां पुन: थम सी गई। इसका सबसे अधिक बुरा प्रभाव मिडिल क्लास और प्रवासी मजदूरों पर पड़ा। पुन: काम धंधे सब बंद होने के कारण कुछ दिन तक तो गुजारा हुआ लेकिन लॉकडाउन धीरे धीरे बढ़ने के साथ स्थिति बद्तर होने लगी। लगने लगा कि पिछले वर्ष की तरह ही खाने पीने की दिक्कत के साथ साथ रहने की समस्याएं आने लगेगी, मकान मालिक भाड़े के लिए परेशान करने लगेंगे। अनिश्चित भविष्य से उनका सब्र का बांध टूटने लगा और फिर सब अपने गांव की ओर प्रस्थान करने लगे। वहीं जब अब जिंदगी धीरे धीरे पुनः पटरी पर लौटने लगे हैं तो प्रवासी मजबूर पुनः अपने काम पर लौटने लगे हैं।
दरभंगा स्टेशन पर बड़ी संख्या में प्रवासी मजदूर ट्रेन के इंतजार में बैठे दिखे। उनका कहना है कि भविष्य की अनिश्चितता को देखते हुए वापस जाने का मन बनाया है। पहले उनका विचार वापस जाने का नहीं था। अब हालात सामान्य होने पर मालिक ने वापस काम पर बुलाया है। वहां उनका काम-धंधा बंद पड़ा हुआ है। उन्हें काम की उचित मजदूरी मिलती है। इसलिए सभी धीरे-धीरे पलायन कर रहे हैं। प्रवासी मजदूर राजकुमार चौपाल ने बताया कि हम पंजाब में जुट मिल में काम करते हैं। जब कोरोना की रफ्तार बढ़ाने लगी और वहां पर लॉकडाउन लगा और काम धंधा बंद हो गया तब हम घर आ गये थे। अब जब पुनः काम शुरू हुआ है और मालिक ने बुलाया हैं, तो हम वापस जा रहे हैं।