मुंगेर: काम करने का सरकारी तरीका सब जानते हैं। अगर कोई नहीं जानता और उसे प्रत्यक्ष रूप में यह देखना हो तो वह केवल एक बार जिले के स्वास्थ्य विभाग में आ जाये। उदासीनता का ऐसा नमूना देखने को मिलेगा कि दुबारा उसे दूसरी जगह पर कतई नहीं देख सकते। दरअसल कोरोना महामारी से निबटने के लिए स्वास्थ्य विभाग भले अपने अस्पतालों को अहम उपकरण उपलब्ध करा दे लेकिन अधिकारी व कर्मी उसमें पलीता लगाते को जैसे तैयार रहते हैं। मिली जानकारी के अनुसार कोरोना को देखते हुए जिले में करीब नौ माह पहले ही आरटीपीसीआर मशीन भेज दी गयी थी। उद्देश्य यही था कि इस मशीन से लोगों की जांच की जाये लेकिन इतना वक्त गुजरने के बाद भी मशीन को चालू ही नहीं किया गया है। इस हालत में मशीन रहने के बाद आरटीपीसीआर सैंपल जांच के लिए पटना भेजा जाता है। इस पूरी प्रकिया में मरीजों को दस से 15 दिनों का इंतजार करना पड़ता है। ज्ञात हो कि जिले से अप्रैल से मई के बीच 36,700 सैंपलों को आरटीपीसीआर जांच के लिए पटना भेजा चुका है।
केवल इधर-उधर की बातें
जिले में जब आरटीपीसीआर मशीन के लिए जगह उपलब्ध कराने को कहा गया तो जिला स्वास्थ्य समिति द्वारा नये पोस्टमार्टम हाउस का भवन दिया गया। मशीन जब मिल गयी तो उसे यक्ष्मा केंद्र के भवन में स्थापित करने की बात कही गयी, तर्क ये दिया गया कि पोस्टमार्टम हाउस का अस्तित्व बचाना है। अभी पिछले पांच माह से केवल स्वास्थ्य विभाग के क्षेत्रीय कार्यालय के ऊपरी तल पर मशीन को स्थापित करने की बात ही चल रही है, जो केवल हवा में है।
सिविल सर्जन ने दिया अनोखा जवाब
इधर इस बारे में पूछे जाने पर सिविल सर्जन डॉ हरेंद्र कुमार आलोक कहते हैं, मशीन इंस्टॉल करने वाले ही कोरोना पॉजिटिव हो गया। मेरे आने के पहले ही मशीन आयी, जिसे वो लगवा रहे हैं। मशीन स्थापित करने के लिए जगह चयनित हो गया है। टेक्नीशियन व अन्य कर्मियों की नियुक्ति प्रक्रिया में है। मशीन जल्द से जल्द शुरू हो जायेगी। ज्ञात हो कि इस मशीन के शुरू हो जाने से न केवल मुंगेर बल्कि जमुई, खगड़िया, लखीसराय, बेगूसराय और शेखपुरा जिला के लोगों को भी लाभ मिलता