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साइबर क्राइम के लेकर एक्शन में बिहार पुलिस, ऑनलाइन ठगी करने वालों की अब ऐसे होगी पहचान, यह है प्लान

साइबर क्राइम के लेकर एक्शन में बिहार पुलिस, ऑनलाइन ठगी करने वालों की अब ऐसे होगी पहचान, यह है प्लान

PATNA: बिहार पुलिस उप महानिरीक्षक, आर्थिक अपराध इकाई मानवजीत सिंह ढिल्लो ने मंगलवार को प्रेसवार्ता कर जानकारी दी है कि बिहार में साइबर संबंधित मामलो में कार्रवाई साइबर टीम की काफी बढ़ी है। अब साइबर सेल को और बल देने के लिए साइबर डोमेन और साइबर लेबोरेट्री खोले जा रहे हैं। जिससे साइबर ठगी के अपराध शैली को समझ उसपर त्वरित कार्रवाई की जाएगी। 

साइबर अपराध उप महानिरीक्षक ने बताया कि बीते वर्षों में साइबर अपराध के मामलों पर कार्रवाई और उसे रोकने में बिहार काफी पीछे था। जिसपर अन्य राज्यों के साइबर सेल की व्यवस्था को देख मुख्यालय आदेश पर साइबर अपराध पर नियंत्रण करने और उसपर कार्रवाई करने के लिए अलग से 1930 सहित जिला में कुल 44  साइबर थानों को बनाया गया। जिसमें 24 घंटे बिहार आर्थिक अपराध इकाई की निगरानी में कर्मी कार्य कर रहे हैं। 

वहीं अब इसके क्षमतावर्धन कर फोरेंसिक साइबर लैब को स्थापित किया जा रहा है। बीते वर्ष 2022 में मिले CCPWC  योजना के तहत राज्य सरकार से मिले अनुदान के पौने तीन करोड़ रुपए प्राप्त हुए। उन्हीं रुपयों से साइबर फोरेंसिक लैब का स्थापना किया गया है। उप महानिरीक्षक ने बताया कि सी डेक व अन्य एजेंसियों से साइबर फोरेंसिक लैब में 12 तरह के सॉफ्टवेयर और उन्नत किस्म के 6 हार्ड वेयर को इंस्टॉल किया गया है। जो भी जिलों से साइबर मामलों के प्राथमिकी का पता चलता है।

उसका अनुसंधान लैब के माध्यम से पता लगाया जाता है। वहीं उप महानिरीक्षक ने कहा कि मुख्यालय स्थित साइबर फोरेंसिक लैब के अलाव जिलों के साइबर थानों में अलग से छोटा लैब व्यवस्थित किया जा रहा है। वहीं कृप्टो करेंसी एक अलग चुनौती है। जिसको देखते हुए माइक्रो क्रिप्टो यूनिट बैठाया जा रहा है। साइबर रैनसम और नारकोटिक में क्रिप्टो करेंसी का अपराधी डार्क नेट का उपयोग करते हैं। जिसपर लगाम लगाने के लिए मुख्यालय स्तर से विशेष एक्यूपमेंट खरीदने का प्रस्ताव दिया गया है।

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