DESK. बिलकिस बानो दुष्कर्म मामले में जेल से छोड़े गए दोषियों को पुनः आत्मसमर्पण करने के सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद भी अब तक लेट लतीफी जारी है. इस बीच गुजरात में 2002 के दंगों के दौरान बिलकीस बानो से सामूहिक दुष्कर्म और उनके परिवार के सात सदस्यों की हत्या के मामले के तीन दोषियों ने उच्चतम न्यायालय में बृहस्पतिवार को याचिका दाखिल करके आत्मसमर्पण के लिए और वक्त दिए जाने का अनुरोध किया। उच्चतम न्यायालय ने गुजरात सरकार पर अपनी शक्तियों का दुरुपयोग करने का आरोप लगाते हुए 2002 के दंगों के दौरान बिलकीस बानो से सामूहिक दुष्कर्म और उनके परिवार के सात सदस्यों की हत्या के मामले में 11 दोषियों को सजा में छूट देने के राज्य सरकार के फैसले को आठ जनवरी को रद्द कर दिया था और दोषियों को दो सप्ताह के अंदर जेल भेजने का निर्देश दिया था।
न्यायमूर्ति बी वी नागरत्ना और न्यायमूर्ति संजय करोल की पीठ के समक्ष और वक्त दिए जाने संबंधी मामले का उल्लेख किया गया। इस पर पीठ ने रजिस्ट्री को याचिका प्रधान न्यायाधीश के समक्ष पेश करने को कहा। पीठ ने कहा, ‘‘तीन प्रतिवादियों की ओर से यह कहा गया है कि आत्मसमर्पण करने और जेल जाने के लिए समय बढ़ाने संबंधी अर्जियां दाखिल की गई हैं। पीठ का पुनर्गठन किया जाना है और क्योंकि रविवार को समय समाप्त हो रहा है इसलिए रजिस्ट्री को पीठ के पुनर्गठन के लिए प्रधान न्यायाधीश से आदेश लेने की जरूरत है।
इसके पहले बिलकिस बानो के दोषियों को समय से पूर्व ही गुजरात की भाजपा सरकार ने जेल से छोड़ने का आदेश दिया था. सभी 11 दोषियों को सजा में छूट देने के राज्य सरकार के फैसले पर बिलकिस बानो ने आपत्ति जताई और सुप्रीम कोर्ट का रुख किया. इन सबके बीच कोर्ट ने इसी साल 8 जनवरी को अपने आदेश में दोषियों को दो सप्ताह के बीच जेल भेजने के निर्देश दिया. लेकिन अब तक दोषियों को लेकर कार्रवाई नहीं हुई है. वहीं अब तीन दोषियों ने आत्मसमर्पण के लिए और ज्यादा समय देने की मांग की है.