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‘सम्राट अशोक’ पर डैमेज कंट्रोल में जुटी भाजपा, संजय जायसवाल ने फिर दी लंबी सफाई

‘सम्राट अशोक’ पर डैमेज कंट्रोल में जुटी भाजपा,  संजय जायसवाल ने फिर दी लंबी सफाई

पटना. बिहार में सम्राट अशोक पर विवाद थमने का नाम नहीं ले रहा. सम्राट अशोक को क्रूर, कामुक और अत्याचारी बताने के लेखक दया प्रकाश सिन्हा के बयान के बाद जदयू ने आपत्ति जताई थी और उनसे पद्म सम्मान वापस लेने की मांग की थी. हालाँकि शुरू में भाजपा की ओर से इस मुद्दे पर चुप्पी साधी गई लेकिन जब जदयू ने इसे बिहार की अस्मिता से जोड़ा तो अब भाजपा डैमेज कंट्रोल में जुट गई है. बिहार भाजपा अध्यक्ष संजय जायसवाल ने पहले विवादास्पद बयान देने वाले डीपी सिन्हा के खिलाफ मामला दर्ज कराया और अब शनिवार को उन्होंने अपने सोशल मीडिया पर इस मामले में एक पोस्ट लिखा है. उन्होंने भारत में सम्राट अशोक की भूमिका से लेकर मौजूदा मोदी सरकार के कार्यों तक का बखान कर लंबी सफाई दी है. 

उन्होंने लिखा, भारतवर्ष के विगत 6000 वर्षों के इतिहास जो पुरातत्व सबूतों के साथ उपलब्ध है उसमें जिस व्यक्ति ने पूरे भारत को एक सूत्र में बांधा उस व्यक्ति का नाम चंद्रगुप्त मौर्य था।फिर भी हम सम्राट चंद्रगुप्त मौर्य को अखंड भारत का जनक तो मानते हैं पर महान शब्द का प्रयोग नहीं करते। वहीं उनके पौत्र सम्राट अशोक के लिए पूरी दुनिया महान शब्द का प्रयोग करती है। 

इसका एकमात्र कारण था है कि सम्राट अशोक के जीवन के दो पहलू थे। पहला भारत के अनेक राज्यों को युद्ध के द्वारा जीतने वाला सम्राट अशोक और दूसरा कलिंग युद्ध के पश्चात वह सम्राट अशोक जिसने पूरे भारत और भारतवासियों को शांति का संदेश दिया और पूरे विश्व में शांति और सद्भावना हेतु परिवार सहित अपने पूरे राज्य की क्षमता को लगा दिया और यही एक व्यक्ति को योद्धा से महान आत्मा बनाती है ।

भगवान श्रीकृष्ण ने भी गीता में लिखा है

 यथैधांसि  समिध्दोन्गिर्भस्मसात्कुरूतेsर्जुन 

ज्ञानागिन्:  सर्वकर्माणि भस्मसात्कुरूते तथा

दुनिया में कंप्यूटर टाइपिंग को विश्व के सभी भाषाओं के योग्य बनाने के लिए एकमात्र भाषा संस्कृत है क्योंकि  इसमें सभी प्रकार के शब्द उपलब्ध हैं।  पर आधे घंटे के प्रयास के बाद भी सही संस्कृत नहीं लिख पाया हूं।

 गीता के इस श्लोक अर्थ है 


क्योंकि हे अर्जुन जैसे प्रज्वलित अग्नि ईंधनों को भस्ममय  कर देता है, वैसे ही ज्ञान रूपी अग्नि संपूर्ण अकर्मों को भस्ममय कर देता है।

कलिंग युद्ध के बाद सम्राट अशोक के ज्ञान ने भारत को एक भारत श्रेष्ठ भारत के रूप में सही मायने में पूरे विश्व के सामने खड़ा करके यह संदेश दिया कि भारत एक शांतिप्रिय देश है। यह भारत की पहचान आज भी बनी हुई है ।  मौर्य वंश की स्थापना सम्राट चंद्रगुप्त के द्वारा हुई। भारत के नागरिकों के अधिकार एवं पूरे विश्व में भारत की श्रेष्ठता चाणक्य के नियमों के कारण हुई और पूरे भारत में शांति सम्राट अशोक के कारण। इसीलिए हम सम्राट अशोक को महान कहते हैं। उनके उस समय के निर्णयों के कारण हजार वर्षों तक भारत में शांति बनी रही।   पर  इस शांतिप्रियता का एक नुकसान हुआ ।यह मंगोलों और मध्य एशिया के लुटेरों और डकैतों के द्वारा धन लूटने की वस्तु बन गई ।

  भारत का पतन बख्तियार खिलजी के नालंदा विश्वविद्यालय को जलाने से शुरू हुआ जब हमने अपनी सारी संस्कृति और ज्ञान को समाप्त होते हुआ देखा।  उसके बाद मुगलों द्वारा भारतीयों का लगातार दोहन किया गया। मुगलों में भी सबसे ज्यादा बर्बादी, हत्याएं और भारतीय संस्कृति की समाप्ति का काम औरंगजेब ने किया।

सम्राट अशोक से औरंगजेब की तुलना करना हि यह बताता है कि भले ही यह व्यक्ति आईएएस अफसर रहा हो पर मानसिक रूप से कितना निकृष्ट है। विचारों के अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता भारत में है पर विकिपीडिया में मेरे दल के साथ जोड़ना अथवा प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी जी के कार्यकाल के समय यह कहना कि यह आईसीसीआर मे उपाध्यक्ष है बिल्कुल भ्रमित करने वाला है।

  इसलिए पटना थाने में मैने एफ आई आर करवाया है और पुलिस को विकिपीडिया एवं इस व्यक्ति का संज्ञान लेकर कार्यवाही करनी चाहिए। भारत के पतन का तीसरा और अंतिम हिस्सा 17वीं शताब्दी के अंत में यूरोपीय औद्योगिक क्रांति रही। इससे न केवल भारत के कुटीर उद्योग समाप्त हो गए बल्कि अब भारत को सोने की चिड़िया के रूप में केवल याद ही कर सकते हैं। 

विकास में आजादी के बाद के 44 वर्षों तक कछुए की गति से चलने वाला भारत प्रधानमंत्री नरसिम्हा राव के कार्यकाल में पहली बार नई आर्थिक नीति को देखा। माननीय प्रधानमंत्री अटल बिहारी बाजपेई के कार्यकाल में विकास कैसा होता है यह नागरिकों को सड़कों से लेकर अनेक क्षेत्रों में देखने को मिला।

फिर 10 वर्षों के यूपीए सरकार के घोटालों के बाद पहली बार प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जी के नेतृत्व में भारत ने सांस्कृतिक राष्ट्रवाद का पुनर्जागरण भी देखा और सचमुच में एक ऐसे प्रधानमंत्री को देखा जिसके लिए गरीबी हटाओ और गरीब कल्याण महज नारा नहीं है बल्कि उन्हें दूर करने की अदम्य इच्छाशक्ति है । स्वामी विवेकानंद के भारत की कल्पना को साकार करने का सही वक्त भी है और इसके लिए अभी की सरकार ईमानदार प्रयास भी कर रही है है पर इसमें प्रत्येक नागरिक को अपना योगदान देना होगा।



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